बिहार : पूर्व विधायक भेजे गये जेल
बांका : गोड्डा के पूर्व विधायक सह बांका थाना क्षेत्र के ढाकामोड़ निवासी संजय यादव की जमानत याचिका न्यायालय ने सोमवार को खारिज करते हुए जेल भेजने का आदेश दिया. इसके बाद कड़ी सुरक्षा के बीच पूर्व विधायक को मंडल कारा, बांका भेज दिया गया. जानकारी के मुताबिक विगत 11 दिसंबर, 2017 को उच्च न्यायालय […]
बांका : गोड्डा के पूर्व विधायक सह बांका थाना क्षेत्र के ढाकामोड़ निवासी संजय यादव की जमानत याचिका न्यायालय ने सोमवार को खारिज करते हुए जेल भेजने का आदेश दिया.
इसके बाद कड़ी सुरक्षा के बीच पूर्व विधायक को मंडल कारा, बांका भेज दिया गया. जानकारी के मुताबिक विगत 11 दिसंबर, 2017 को उच्च न्यायालय ने पूर्व विधायक की जमानत याचिका को रद्द करते हुए चार सप्ताह के अंदर कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया था. आदेश के आलोक में पूर्व विधायक ने सोमवार सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण किया. सीजेएम शत्रुघ्न सिंह ने मुकदमे की सुनवाई करते हुए जमानत याचिका रद्द कर दी.
मारपीट करने का आरोप : पूर्व विधायक संजय यादव पर विगत 12 मई को बाराहाट थाने में केस दर्ज हुआ था. इसमें मधुसूदनपुर स्थित आईओसीएल प्लांट में कार्यरत जयमाता दी कंस्ट्रक्शन कंपनी के इंचार्ज सह बेगूसराय निवासी भूषण कुमार ने पूर्व विधायक सहित अन्य पर हथियार के बल पर मारपीट, रंगदारी व जान मारने की धमकी देने का संगीन आरोप लगाया था. डीआईजी विकास वैभव ने इस घटना पर संज्ञान लेते हुए पुलिसिया कार्रवाई तेज करने का निर्देश दिया था.
इसके बाद स्थानीय पुलिस की दबिश उनकी गिरफ्तारी के लिए बढ़ती गयी. गिरफ्तारी के डर से वे लगातार फरार चल रहे थे. इस दौरान पहले उच्च न्यायालय ने पूर्व विधायक की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. बाद में उनकी जमानत याचिका को खारिज करते हुए स्थानीय न्यायालय में हाजिर होने का आदेश दिया गया था.
10 मई, 2017 को हुई थी घटना : बाराहाट थाना कांड संख्या 244/2017 के मुताबिक पूर्व विधायक पर धारा 341, 147, 148, 149, 323, 307, 386, 379, 504, 506 व 27 आर्म्स एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.
इसमें आरोप है कि पूर्व विधायक संजय यादव सहित चार-पांच नामजद व्यक्ति व 20 अज्ञात अभियुक्तों के साथ 10 मई की शाम में प्लांट में दाखिल हुए. इसके बाद प्लांट कार्य की ठेकेदारी की मांग करने के साथ रंगदारी की मांग भी की गयी. विरोध करने पर साइट इंचार्ज के साथ मारपीट की गयी. जब पीड़ित ने पूर्व विधायक सहित अन्य के खिलाफ संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया, तो प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी. उसके बाद पीड़ित सीधे डीआईजी के पास पहुंचे. डीआईजी ने संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज करने के साथ अनुसंधान का निर्देश दिया था.