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बिहार : जाली दस्तावेज बना हड़प ली प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि, ‘आधार’ को बनाया फर्जीवाड़े का आधार
बेगूसराय : सदर प्रखंड के चिलमिल पंचायत में पीएम आवास का लाभ लेने के लिए ‘आधार’ को फर्जीवाड़े का आधार बना डाला. बताया जा रहा है कि वर्ष 2016-17 में एक-दो नहीं, बल्कि आधा दर्जन लोगों ने दूसरे के नाम पर फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर योजना का लाभ लिया. इस खेल में निचले स्तर के […]
बेगूसराय : सदर प्रखंड के चिलमिल पंचायत में पीएम आवास का लाभ लेने के लिए ‘आधार’ को फर्जीवाड़े का आधार बना डाला. बताया जा रहा है कि वर्ष 2016-17 में एक-दो नहीं, बल्कि आधा दर्जन लोगों ने दूसरे के नाम पर फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर योजना का लाभ लिया. इस खेल में निचले स्तर के सरकारी कर्मियों व बिचौलियों ने अच्छी कमाई की है.
क्या है फर्जीवाड़े का सच : पीएम आवास योजना के लिए जारी सूची में क्रमांक 18 में आईडी नंबर 1517904 में जरीना खातून पति इस्लाम का नाम चयनित था. लेकिन, उनके बदले अहिदा खातून पति इस्लाम ने फर्जी तरीके से अपना दस्तावेज बना जरीना खातून बन कर आवास की राशि हड़प ली. इसी तरह क्रमांक 23 आईडी नंबर 2564073 में राजीना खातून पति अहमद का नाम चयनित था. लेकिन, उनके नाम पर नुसरत खातून पति मो शमशाद ने लाभ प्राप्त किया. क्रमांक संख्या 48 व आईडी नंबर 3308279 में अफसाना खातून पति नासिर के नाम पर फर्जीवाड़ा कर जुनेशा खातून पति नसर ने लाभ लिया.
क्रमांक 25 में आईडी नंबर 256990 में सनोबर खातून पति गुलजार के बदले में सरबरी खातून पति गुलजार ने पीएम आवास योजना का लाभ उठाया है. प्रथम किस्त की 50-50 हजार रुपये भी भुगतान होने की बात बतायी जा रही है. मतदाता सूची और आवास प्रतीक्षा सूची के मिलान से पूरे मामले का खुलासा हुआ है.
पर्यवेक्षक व सहायक की भूमिका संदिग्ध
विभागीय जानकारों की माने तो प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए चयनित लाभार्थियों का भौतिक सत्यापन की जिम्मेदारी आवास पर्यवेक्षक की होती है. जबकि ग्रामीण आवास सहायक की अनुशंसा पर राशि का भुगतान किया जाता है. लेकिन यहां इन दोनों कर्मियों की भूमिका संदिग्ध दिख रही है. ग्रामीणों का दावा है कि यदि पारदर्शी तरीके से इसकी जांच होती है, तो इस खेल में जनप्रतिनिधि से लेकर कई सरकारी कर्मियों के गर्दन फंस सकती है. सूत्र बताते हैं कि दलालों के माध्यम से मोटी रकम लेकर ऐसे कारनामों को अंजाम दिया गया है.
31 मार्च तक बना लें इंदिरा आवास, नहीं तो होंगे निराश
सीवान. अगर 52 दिनों में 18 हजार आठ सौ 18 इंदिरा आवास योजना के तहत बनने वाले आवास को पूरा नहीं किया गया तो केंद्र सरकार राशि को बंद कर देगी. क्योंकि 31 मार्च के बाद इसके लिए राशी नहीं मिलने जा रही है. इसी को देखते हुए सभी बीडीओ को जल्द से जल्द अपूर्ण आवासों को पूरा करने का निर्देश डीआरडीए ने दे दिया है. सरकार की मंशा है कि हर गरीबों को अपना पक्का का आशियाना हो सके. अब केवल प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए ही राशी मिलेगी.
जो लोग राशि लेकर अभी तक आवास को पूरा नहीं किये है वे लोग भी आवास को पूरा कर दे नहीं तो उनसे भी राशि की वसूली करने के लिए कार्रवाई चल रही है. इसको लेकर गत दिन सरकार के सचिव ने बैठक कर कार्य में तेजी लाने का निर्देश भी दे चूके है और साफ उन्होंने कहा था कि आवास का निर्माण हर हाल में 15 मार्च तक पूरा कर देना है. जिन लोगों ने अपने आवास को राशी विभाग से लेने के बाद नहीं पूर्ण किया है उन पर लाल नोटिस निर्गत किया गया है. जिनमें 2162 लोगों को लाल नोटिस निर्गत कर दी गयी है. इसके पूर्व में ये लोगों को उजला नोटिस भी भेजा गया था ताकि कार्य को शुरू कर सके.
उसके बाद भी ये लोग कार्य नहीं शुरू किये थे.
अगर इसके बाद भी कार्य पूरा नहीं करते हैं तो उन लाभुकों के विरुद्ध नीलाम पत्र दायर करने की कार्रवाई की जायेगी. रघुनाथपुर प्रखंड के 21 लोगों के खिलाफ राशी वसूली के लिए नीलाम वाद की प्रक्रिया चलायी जा रही है.
50 हजार में से 31 हजार 928 आवास हुए हैं पूर्ण
वित्तीय वर्ष 2012-13 से लेकर 15-16 में इंदिरा आवास योजन के तहत 50 हजार 746 आवास को बनाने के लिए विभाग के तरफ से स्वीकृति मिली थी. जिसमें से अभी तक 31 हजार 928 आवास को पूर्ण किया गया है. जैसे ही सूचना मिली है कि अब राशि बंद होने जा रहा है कि सभी बीडीओ द्वारा कार्य को तेज कर दी गयी है. अभी भी 18 हजार आठ सौ 18 आवास अपूर्ण है. जिन्हें 15 मार्च तक पूर्ण कर देना है. अभी बड़हरिया, रघुनाथपुर, महाराजगंज, दरौंदा, गुठनी प्रखंड की स्थिति ठीक नहीं है. यहां 60 प्रतिशत से कम आवास बनाया गया है. अब देखना है कि 15 मार्च तक ये प्रखंड कैसे आवास को पूर्ण कर देते है. अभी भी 38% आवास पूरे जिला में पूर्ण कर देना है.फिलहाल 18 हजार आवास का निर्माण चल रहा है, ऐसे में 15 मार्च तक अधूरे आवासों का निर्माण पूरा करना काफी कठिन है.
दूसरे के नाम पर पेपर बना किया फर्जीवाड़ा
जानकार बताते हैं कि पीएम आवास योजना में फर्जीवाड़े के खेल में फर्जी लाभार्थियों ने आधार कार्ड को ‘आधार’ बनाया है. चयनित लाभुकों के नाम पर अपना फर्जी आधार कार्ड बनाकर दूसरे के बदले पीएम आवास योजना का लाभ हासिल कर लिया. जबकि धरातल पर असली लाभुक आज भी आवास योजना का लाभ पाने की टकटकी लगाये हुए हैं. उन्हें जब पता चला कि उनके नाम पर दूसरे लोगों ने फर्जी तरीके से दस्तावेज बनाकर राशि उठा ली है, तो उनके पैर जमीन से खिसकने लगे. हकमारी के शिकार लोगों ने डीएम से इसकी शिकायत कर उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.
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