खौफ, एइएस से अब तक बिहार में 115 बच्चों की मौत

मुजफ्फरपुर : जिले के अस्पतालों में 24 घंटे के भीतर एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एइएस) से 17 बच्चों ने दम तोड़ दिया. 25 नये बच्चों को एइएस ने अपनी चपेट में ले लिया. सभी बच्चों को एसकेमएसीएच व केजरीवाल मातृसदन अस्पताल में भरती कराया गया. इनमें डेढ़ दर्जन बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है. सभी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 18, 2014 7:58 AM

मुजफ्फरपुर : जिले के अस्पतालों में 24 घंटे के भीतर एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एइएस) से 17 बच्चों ने दम तोड़ दिया. 25 नये बच्चों को एइएस ने अपनी चपेट में ले लिया. सभी बच्चों को एसकेमएसीएच व केजरीवाल मातृसदन अस्पताल में भरती कराया गया. इनमें डेढ़ दर्जन बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है. सभी बच्चों एसकेएमसीएच के पीआइसीयू व केजरीवाल में इलाज कराया जा रहा है.

एसकेएमसीएच में मंगलवार को पांच बच्चों ने दम तोड़ दिया. वहीं, सोमवार की देर रात पांच बच्चों की मौत हो गयी. केजरीवाल में दो बच्चों की मौत मंगलवार को हो गयी, जबकि औराई पीएचसी में भी एक बच्चे ने दम तोड़ दिया. इस बीमारी से अब तक 114 बच्चे दम तोड़ चुके हैं. एसकेएमसीएच में मंगलवार की शाम तक 207 बच्चों को भरती कराया जा चुका है, जिसमें 82 बच्चों को ठीक होने के बाद घर वापस भेज दिया गया. यहां 60 बच्चों की मौत हो चुकी है.

* पोठिया में भी एक बच्चे की मौत

जिले में इंसेफ्लाइटिस से एक बच्चे की मौत का मामला सामने आया है. छत्तरगाछ रेफरल अस्पताल में सोमवार को एक दस वर्षीय बालक को इलाज के लिए लाया गया. वह तेज बुखार से ग्रसित था. चिकित्सक डॉ अनीता कुमारी ने जांच के बाद बालक में इंसेफ्लाइटिस के लक्षण पाये. डॉ अनिता कुमारी ने उसे वहां से एमजीएम रेफर कर दिया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी. इस बात की जानकारी स्वयंसेवी संस्था के सचिव इजीकल हांसदा ने दी. कोल्था पंचायत स्थित गुवाबाड़ी निवासी सोम मरांडी के दस वर्षीय पुत्र मिलेश मरांडी को तेज बुखार आने पर परिजनों ने सोमवार की देर शाम इलाज के लिए लाया गया था.

* राज्य सरकार भेजे प्रस्ताव, महामारी घोषित करने पर होगा विचार : पासवान

केंद्रीय खाद्य व उपभोक्ता मंत्री राम विलास पासवान ने मंगलवार को एसकेएमसीएच में एइएस पीडि़त बच्चों का हाल जानने के बाद कहा कि स्थिति बेहद खराब है. राज्य सरकार इस बीमारी को गंभीरता से नहीं ले रही है. इसका प्रमाण विगत कई साल से नौनिहालों की हो रही मौत है. सरकार के पास इलाज व बचाव के लिए कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है.

बीमारी फैलने के बाद ही सरकार की नींद टूटती है. यह चिंता का विषय है. उन्होंने मृत बच्चों के परिजनों को दस-दस लाख मुआवजा देने की मांग भी राज्य सरकार से की. अस्पताल अधीक्षक कक्ष में प्रेस से बातचीत करते हुए श्री पासवान ने कहा कि केंद्र सरकार हर संभव मदद करने के लिए तैयार है, लेकिन राज्य सरकार को अपनी जिम्मेवारी लेनी होगी. 18 वर्ष से जिले के लिए अभिशाप बन चुकी एइएस को महामारी घोषित किये जाने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि इसकी पहल राज्य सरकार को करनी चाहिए. मुख्यमंत्री केंद्र सरकार के पास इसका प्रस्ताव भेजे, इस पर विचार होगा. इस दिशा में सकारात्मक पहल होगी.

हालांकि, उन्होंने कहा कि महामारी घोषित करने से पहले कई कानूनी पहलुओं से गुजरना होगा. उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल में संसाधन की कमी पर चर्चा करते हुए कहा कि सरकार अस्पताल का विस्तार करने की योजना बनानी चाहिए. खासतौर पर बच्चा वार्ड में बेडों की संख्या को बढ़ाएं. अभी मरीज के अपेक्षा बेड की काफी कमी दिख रही है. जेनरल वार्ड को खाली करा कर बच्चा को भरती किया जा रहा है. अस्पताल में संसाधन बढ़ाने में केंद्र सरकार से भी मदद मांगे. हमलोग इस संबंध में पीएम से भी बात करेंगे.

* 27 जून को यूएसए के डॉक्टर के साथ मंथन

एइएस बीमारी पर 27 जून को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में यूएसए के विशेषज्ञ डॉक्टरों की बैठक बुलायी गयी है. बीमारी की पहचान व उपचार के लिए हर बिदुओं पर मंथन होगा. इसकी जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में काफी संवेदनशील है. दो बार स्वास्थ्य मंत्री से इस मामले पर मेरी बात हो चुकी है. इस मामले में किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए. मासूम बच्चों के जान का सवाल है. इस पर सभी को एकजुटता के साथ काम करने की आवश्यकता है.

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