पद संभालते ही बोले, स्क्रूटनी में लायी जायेगी तेजी

पटना: पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लालकेश्वर प्रसाद सिंह बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के नये चेयरमैन बनाये गये हैं. तीन सालों के लिए उन्हें समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. गुरुवार को शिक्षा विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी. एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने उनके नाम पर सहमति दी थी. पदभार ग्रहण करने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 27, 2014 7:42 AM

पटना: पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लालकेश्वर प्रसाद सिंह बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के नये चेयरमैन बनाये गये हैं. तीन सालों के लिए उन्हें समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. गुरुवार को शिक्षा विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी. एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने उनके नाम पर सहमति दी थी.

पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने कहा कि इंटर साइंस के विद्यार्थियों की कॉपियों की स्क्रूटनी में तेजी लायी जायेगी. हमारा प्रयास होगा कि जिन छात्रों ने भी स्क्रूटनी के लिए आवेदन किया है उनकी जांच करायी जाये. गरमी की छुट्टी की वजह से स्क्रूटनी के लिए शिक्षक नहीं मिल पा रहे थे और अब इसमें कोई दिक्कत नहीं है, अब इस काम में तेजी लायी जायेगी.उन्होंने कहा कि बोर्ड में जो भी जरूरी सुविधाएं हैं, दुरूस्त की जायेंगी. इसके अतिरिक्त सुविधाओं को बढ़ाया भी जायेगा.

कार्यप्रणाली में तेजी लाई जायेगी. जो चुनौतियां उसे स्वीकार करते हुए उसे ठीक किया जायेगा. परीक्षा प्रणाली को बेहतर करने के लिए जरूरी कदम उठाये जायेंगे. छात्रों की समस्याओं को कम किया जायेगा. अगर परीक्षा प्रणाली में किसी तरह की कमी होगी तो उसे दूर किया जायेगा. उन्होंने कहा कि फिलहाल अभी वे कामकाज समझ रहे हैं. एक एक कर वे कर्मचारियों व अधिकारियों से बात करेंगे. प्रो लालकेश्वर प्रसाद पीयू में पीजी भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष का पद संभाल रहे थे. इससे पूर्व वे पटना कॉलेज के प्राचार्य व पीयू के प्रॉक्टर भी रह चुके हैं.

उन्हें पीयू का प्रतिकुलपति भी बनाया गया था, लेकिन उन्होंने प्रतिकुलपति का पद स्वीकार नहीं किया था. प्रो लालकेश्वर प्रसाद एक साफ सुथरी छवि के व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं लेकिन विवादों से उनका गहरा नाता रहा है. पीयू में जस्टिस मार्केडे काट्जू के आने पर उन्होंने उनका विरोध किया था. इसके अतिरिक्त पीयू में अलग-अलग वर्ष के छात्रों के लिए अलग-अलग हॉस्टल सुविधा करने के निर्णय का भी पीयू के छात्रों के द्वारा जोरदार विरोध किया गया था. बावजूद इसके वे अपने निर्णय पर अडिग रहे.

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