विजिलेंस केसों का जल्द करें निबटारा

बिल्डिंग बाइलॉज को एक माह में करें लागू पटना : पटना हाइकोर्ट ने बैंकों से कर्ज लेकर पटना में फ्लैट खरीदनेवालों को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए नगर विकास एवं आवास विभाग और पटना नगर निगम को निर्देश दिया कि विजिलेंस केसों का जल्द-से-जल्द निबटारा किया जाये. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 4, 2014 6:41 AM

बिल्डिंग बाइलॉज को एक माह में करें लागू

पटना : पटना हाइकोर्ट ने बैंकों से कर्ज लेकर पटना में फ्लैट खरीदनेवालों को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए नगर विकास एवं आवास विभाग और पटना नगर निगम को निर्देश दिया कि विजिलेंस केसों का जल्द-से-जल्द निबटारा किया जाये. कोर्ट ने विभाग के सचिव संदीप पौंड्रिक और नगर निगम के आयुक्त कुलदीप नारायण को यह भी निर्देश दिया कि वे राज्य सरकार द्वारा लाये गये नये बिल्डिंग बाइलॉज को एक माह में अधिसूचित करें. मामले की अगली सुनवाई सात जुलाई को होगी.

न्यायमूर्ति वीएन सिन्हा और न्यायमूर्ति पीके झा के दो सदस्यीय खंडपीठ ने दोनों अधिकारियों को आठ अक्तूबर, 2014 तक लंबित सभी विजिलेंस केसों का निबटारा कर लेने का भी निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान सचिव संदीप पौंड्रिक और निगमायुक्त कुलदीप नारायण मौजूद थे. हाइकोर्ट ने कहा कि बिल्डिंग बाइलॉज को लेकर राज्य में अराजकता की स्थिति बनी हुई है.

लंबे समय से इस मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है, जबकि कोर्ट ने 10 मई, 2013 को अवैध निर्माण पर जो रोक लगायी थी, वह नक्शा का विचलन, अतिक्रमण कर सरकारी जमीन पर निर्माण और निर्धारित ऊंचाई से अधिक निर्माण करने को लेकर था. हाइकोर्ट ने कहा कि कुल 447 भवनों के निर्माण पर विजिलेंस केस दर्ज कराये गये थे. इनमें सौ मामलों की सुनवाई पूरी हो चुकी है और फैसला सुरक्षित रखा गया है, 30 मामलों में फैसला भी सुना दिया है. ऐसे में कुल 317 मामले लंबित रह गये हैं. कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से कहा कि शेष सभी 317 केसों को अगले एक माह में निबटाया जाये.

फ्लैट मालिकों पर पड़ रही दोहरी मार

कोर्ट ने कहा कि 450 मामले ऐसे हैं, जिनमें भवनों के निर्माण में नक्शे का विचलन किया गया है या फिर उसकी ऊंचाई निर्धारित मानदंडों से अधिक है. ऐसे सभी मामलों की भी अगले एक माह में मापी करा कर उसका निष्पादन किया जाये. कोर्ट का कहना था कि लोगों ने बैंकों से कर्ज लेकर फ्लैट की खरीद की है. उन्हें फ्लैट पर कब्जा नहीं मिलने से दोहरी मार सहनी पड़ रही है. बैंक को इएमआइ तो चुकाना पड़ ही रहा है, उन्हें फ्लैट में रहने का अधिकार नहीं मिल रहा है.

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