एससी-एसटी एक्ट में बाप बेटे को चार वर्ष की सजा
मधुबनी : बाबूबरही थाना क्षेत्र में एक दलित परिवार के साथ मारपीट करने के मामलों को लेकर प्रथम एडीजे सह विशेष न्यायाधीश मो. इशरत उल्लाह के न्यायालय में गुरुवार को सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई. न्यायालय ने दोनों पक्षों के दलील सुनने के बाद आरोपी बाबूबरही थाना क्षेत्र के महेशवारा निवासी कपिलेश्वर यादव, सुरेंद्र […]
मधुबनी : बाबूबरही थाना क्षेत्र में एक दलित परिवार के साथ मारपीट करने के मामलों को लेकर प्रथम एडीजे सह विशेष न्यायाधीश मो. इशरत उल्लाह के न्यायालय में गुरुवार को सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई. न्यायालय ने दोनों पक्षों के दलील सुनने के बाद आरोपी बाबूबरही थाना क्षेत्र के महेशवारा निवासी कपिलेश्वर यादव, सुरेंद्र यादव एवं नागेंद्र यादव को हरिजन अत्याचार अधिनियम के धारा 3(1)(10) के तहत चार चार साल कारावास की सजा सुनायी है. वहीं प्रत्येक को पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है.
जुर्माने की राशि नहीं देने पर तीन- तीन माह अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. वहीं अन्य दफा 323 एवं 342 भादवि में भी एक एक साल की सजा सुनायी है. सभी सजाएं साथ साथ चलेगी.
अभियोजन पक्ष ने मांगी थी अधिक सजा : न्यायालय में सरकार की ओर से बहस करते हुए प्रभारी विशेष लोक अभियोजक (एससी, एसटी) मिथिलेश कुमार झा ने कहा था कि आरोपी ने एक शोषित जाति के समुदाय के साथ अमानवीय कृत्य करने का अपराध किया है. इसलिए आरोपियों को अधिक से अधिक सजा दी जाए. वहीं बचाव पक्ष से बहस करते हुए अधिवक्ता रतिकांत झा ने पहले अपराध का हवाला देते हुए कम से कम सजा की मांग की थी.
क्या है मामला. अभियोजन के अनुसार सूचक छटू राम का भाई राम प्रसाद राम एवं आरोपी के बीच मजदूरी विवाद को लेकर अनुमंडल पदाधिकारी सदर में केस चल रहा था. उक्त मुकदमा को ही सूचक से सुलहनामा करवाने के लिए कह रहा था. लेकिन सूचक द्वारा इनकार करने पर आरोपियों द्वारा जाति सूचक गाली देते हुए गर्दन में रस्सी लगाकर घसीटते हुए दरवाजा पर मवेशी के खूंटा में बांध कर मारपीट की थी. जब बचाने उसका भाई राम प्रसाद राम आया तो उसे भी बांध कर मारपीट कर सादा कागज पर निशान ले लिया था. इस बाबत सूचक छटू राम द्वारा मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में 7 अगस्त 2002 को परिवाद दायर किया था.
क्षतिपूर्ति देने का मिला निर्देश
प्रभारी विशेष लोक अभियोजक मिथिलेश कुमार झा के अनुसार न्यायालय ने जिला विधिक सेवा प्राधिकार को निर्देश दिया कि पीड़ित को कंपनशेसन अधिनियम के तहत क्षतिपूर्ति की राशि पूर्व में नहीं दी गई तो क्षतिपूर्ति की राशि दी जाए.