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तारीख पर तारीख में भ्रष्टाचार के कई मामले उलझे, मजे में दागी

पटना : राज्य सरकार भ्रष्टाचारियों खासकर भ्रष्ट लोकसेवकों पर सख्त कार्रवाई तो कर रही है. लेकिन अदालतों में इन मुकदमों के पहुंचने के बाद सालों-साल तक इनके तारीखों में उलझने का फायदा भ्रष्टाचारियों को मिल रहा है. पद का दुरुपयोग करने से संबंधित कुछ मुकदमे तो ऐसे हैं, जो 1978 से चल रहे हैं. फिर […]

पटना : राज्य सरकार भ्रष्टाचारियों खासकर भ्रष्ट लोकसेवकों पर सख्त कार्रवाई तो कर रही है. लेकिन अदालतों में इन मुकदमों के पहुंचने के बाद सालों-साल तक इनके तारीखों में उलझने का फायदा भ्रष्टाचारियों को मिल रहा है. पद का दुरुपयोग करने से संबंधित कुछ मुकदमे तो ऐसे हैं, जो 1978 से चल रहे हैं. फिर भी इनका फैसला नहीं आया है. कई अभियुक्त रिटायर भी हो चुके हैं. ऐसे ही पुराने मामले के एक अभियुक्त इंजीनियर के पद से रिटायर होने के बाद अब स्वयं कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे हैं.

जबकि राज्य सरकार भ्रष्टाचार के आरोपितों को जल्द सजा दिलाने के लिए निजी वकीलों को मोटी फीस पर हायर करती या रखती है. प्राप्त सूचना के अनुसार, राज्य सरकार निजी वकीलों को सालाना लगभग एक करोड़ फीस देती है. कुछ वकीलों को तो पिछले तीन साल के दौरान 20-25 लाख रुपये तक पेमेंट हुए हैं.
फिर भी मुकदमों के निबटारे की रफ्तार बेहद धीमी है. निगरानी में प्रत्येक वर्ष आय से अधिक संपत्ति (डीए), ट्रैप (घूस लेते पकड़ना) और अपने पद का दुरुपयोग (एओपीओ) से संबंधित औसतन 90 मुकदमे दर्ज होते हैं, लेकिन इनके सालाना निष्पादन की दर 15 से 20 मुकदमे ही हैं.
निगरानी में इन तीन तरह के मामलों के तहत लंबित मुकदमों की संख्या करीब 1600 है. इनमें सबसे ज्यादा मामले एओपीओ और इसके बाद डीए वाले हैं. डीए मामले के आरोपित लोकसेवकों का मुकदमा लंबे समय से अटका रहने के कारण इनकी संपत्ति जब्त नहीं हो पा रही है.
कानूनी मामलों के जानकार बताते हैं कि निगरानी का केस लड़ने के लिए अभी करीब 14 निजी वकील स्पेशल पीपी या पीपी के तौर पर हैं. ये लोग फीस के कारण और अपने प्राइवेट केसों के बोझ से भी दबे होने से कई बार समुचित ध्यान नहीं दे पाते हैं, जबकि इससे कही ज्यादा संख्या में सरकारी या अभियोजन सेवा के वकील हैं, लेकिन उन्हें पीपी या स्पेशल पीपी बनाकर ऐसे केस नहीं सौंपे जाते हैं. जबकि कानून में इसका प्रावधान भी है.
लंबे समय से लंबित केस
एफआइआर संख्या- 37/78 : इ हरिद्वार पांडेय पर एओपीओ का आरोप, 1978 से चल रहा मामला
केस संख्या- 20/83 : अरवल के तत्कालीन जेइ इंद्रेश्वर पर एओपीओ, 1983 से चल रहा केस
केस संख्या- 11/82 : बिजली विभाग के एसओ जुगल किशोर शरण पर एओपीओ का आरोप, 1982 से चल रहा मुकदमा
केस संख्या- 2/85 : जेइ महावीर प्रसाद पर डीए का केस, 1985 से
केस संख्या- 4/85 : लेखा पदाधिकारी परमानंद सिंह पर डीए का आरोप, 1985 से चल रहा केस

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