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कोसी : बाढ़ का खतरा टला, 70,000 से अधिक लोग सुरक्षित शिविरों में

पटना :सरकार ने आज कहा कि अभी तक कोसी नदी के जलस्तर में कोई बढोतरी नहीं हुई है और फिलहाल कोई खतरा नहीं है लेकिन किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए सभी एहतियाती कदम उठाये जा रहे हैं. इलाके से 70,000 से अधिक लोगों को निकालकर सुरक्षित शिविरों में पहुंचाया गया है जो […]

पटना :सरकार ने आज कहा कि अभी तक कोसी नदी के जलस्तर में कोई बढोतरी नहीं हुई है और फिलहाल कोई खतरा नहीं है लेकिन किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए सभी एहतियाती कदम उठाये जा रहे हैं.

इलाके से 70,000 से अधिक लोगों को निकालकर सुरक्षित शिविरों में पहुंचाया गया है जो कोसी में बाढ आने की स्थिति में प्रभावित हो सकते हैं.कैबिनेट सचिव अजीत सेठ की अध्यक्षता में आज यहां राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति की बैठक हुई जिसमें नेपाल में भूस्खलन के चलते कोसी में पानी का स्तर बढने के हालात की समीक्षा की गयी.

बिहार के मुख्य सचिव और राज्य सरकार के अन्य अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस की गयी. गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘कोसी का प्रवाह धीमा होने के कारण और उसमें पानी के स्तर में बढोतरी नहीं होने के चलते फिलहाल कोई खतरा नहीं दिखाई देता. हालांकि केंद्रीय जल आयोग और अन्य एजेंसियां हालात पर नजर रख रहीं हैं.’’केंद्र सरकार इस संबंध में राज्य सरकार को सभी संभव मदद प्रदान कर रही है. बचाव और राहत अभियान के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल के 19 दल तैनात किये गये हैं.

सशस्त्र बलों को भेजने की तैयारी और पूर्णिया बेस पर हेलीकॉप्टरों तथा मालवाहक विमानों समेत दलों को तैयार रखे जाने के साथ ही विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना के 15 गोताखोर दल तैयार हैं. केंद्रीय जल आयोग नेपाल से भारत में पानी के प्रवाह और अवरोध के संबंध में हालात पर ताजा जानकारी हासिल करने के लिए नेपाल के अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं.

बिहार सरकार ने सूचित किया है कि करीब 70000 लोगों और 2200 मवेशियों को सुरक्षित शिविरों में पहुंचाया गया है. प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हालात के मद्देनजर सुपौल, मधेपुरा और सहरसा जिलों में ध्यान देना जारी रहेगा. केंद्र और राज्य सरकार की ओर से आगे कोई भी कार्रवाई हालात में किसी तरह के बदलाव पर निर्भर करेगी.’’ एनडीआरएफ के दल नौकाओं और अन्य उपकरणों के साथ मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, खगडिया, मधुबनी और दरभंगा जिलों में तैयार हैं.

नेपाल में भूस्खलन के बाद नदी में जमे मलबे को हटाने के लिए वहां विस्फोट की अवधि 24 घंटे के लिए टल जाने से बिहार सरकार को सुरक्षात्मक तथा राहत एवं बचाव कार्य के लिए और मोहलत मिल गयी है.
वराहक्षेत्र सेआज यह खबर आयी है किडिस्चार्ज 1.19 लाख क्यूसेक रह गया है. सुबह से यह 1.22, 1.25 के आसपास था. इस तरह हम समझ सकते हैं कि पानी के डिस्चार्ज में कमी आयी है. इसका एक अर्थ जो समझ में आ रहा है वह यह है कि सुनकोसी के ब्लाकेज प्वाइंट से लगातार थोड़ा-थोड़ा पानी नियंत्रित तरीके से नीचे आ रहा है.

जो भीमनगर बराज से होकर निकल जा रहा है, तटबंधों को नुकसान पहुंचाये बगैर… सरायगढ़ तटबंध से सूचना है कि वहां अभियंता तटबंध को मजबूत करने में जुटे हैं. अगर सबकुछ इसी तरह रहा तो हम खतरे से उबर सकते हैं. मगर… नेपाल से स्पष्ट सूचना नहीं मिलने के कारण आशंका तो बनी हुई है ही.

बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधानसचिव व्यास जी ने आज दोपहर यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बताया कि भारत सरकार के माध्यम से नेपाल से सुबह में जो जानकारी प्राप्त हुई है उसके अनुसार वह स्थान जहां भूस्खलन के बाद नदी में मलबा जमा है वहां आज विस्फोट नहीं किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि मलबे वाले स्थान पर विस्फोट नहीं होने से अचानक आने वाली जिस बाढ से हमलोग निरंतर परेशान थे वह अब आज नहीं आएगी और सुरक्षात्मक तथा राहत एवं बचाव कार्य के लिए इस तरह अगले 24 घंटे की हमें मोहलत मिल गयी है.

व्यास ने बताया कि केंद्रीय जल आयोग से कल तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक नेपाल के ऊपरी हिस्से में 60 से 80 मिली मीटर बारिश की संभावना है और बारिश होने से मलबे वाले तालाबनुमा स्थल पर जलस्तर बढता और बढे हुए जलस्तर की वजह से पानी के उपर से भी बढने का खतरा था पर वहां बारिश नहीं है.

उन्होंने कहा कि नेपाल स्थित भारतीय दूतावास से प्राप्त जानकारी के मुताबिक मलबे वाले तालाबनुमा स्थल में जलस्तर घट रहा है और तीन इंच प्रति घंटा के हिसाब से वहां घटा है.

व्यास ने बताया कि स्थिति अगर ऐसी ही बनी रही तो हमलोगों की बडे पैमाने पर पानी आने की आशंका में कमी आ सकती है.

उन्होंने कहा कि इसके आलोक में बिहार सरकार ने निर्णय किया है कि इसको लेकर भारत सरकार की मंत्रिमंडल सचिव के साथ वीडियो कांफे्रंसिंग के जरिए आज अपराहन 3.30 बजे होने बैठक में प्राप्त होने वाली जानकारियों का उपयोग करते हुए महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए पांच बजे संकट प्रबंधन समूह की बैठक की जायेगी.

रविवार को एक लाख 20 हजार क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया. इससे कोसी के जल स्तर में वृद्धि हुई, लेकिन पानी का बहाव बहुत तेज नहीं है. इसी बीच प्रशासन ने 49 हजार लोगों को तटबंध के अंदर से निकाल कर सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया है और सेना और एनडीआरएफ ने मोरचा संभाल लिया है.

आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी का कहना है कि अगले 72 घंटे महत्वपूर्ण हैं. बाढ़ के खतरे के बावजूद तटबंध के अंदर के लोग अपना घर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं. इसके मद्देनजर राज्य सरकार ने नौ जिलों में तटबंधों के बीच रहनेवाले लोगों से जबरन क्षेत्र खाली कराने का आदेश दिया है. आपदा प्रबंधन विभाग के संयुक्त सचिव अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि हमने आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधान लागू किये हैं, ताकि खतरेवाले इलाकों में रहनेवाले लोगों को जबरन खाली कराया जा सके. अब तक 49 हजार को बाहर निकाला गया है. उन्होंने कहा कि हमारे नवीनतम आकलन के अनुसार अगर नदी में बाढ़ आती है, तो 4.25 लाख लोग प्रभावित होंगे. हम उन सभी को हटाने का प्रयास कर रहे हैं.

केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, वीरपुर बराज से करीब 50 किलोमीटर दूर बसुआ में कोसी का जल स्तर रविवार को दिन के एक बजे खतरे के निशान से एक सेमी ऊपर दर्ज किया गया. राज्य के जल संसाधन विभाग के मुताबिक, वीरपुर बराज से करीब 51 किलोमीटर ऊपर नेपाल के बाराह क्षेत्र में शनिवार रात 10 बजे कोसी में जलस्राव 94 हजार 775 क्यूसेक था, जो दिन के 12 बजे बढ़ कर एक लाख 26 हजार क्यूसेक था. लेकिन, दोपहर 2:30 बजे यह घट कर करीब एक लाख 22 हजार क्यूसेक हो गया और शाम छह बजे 01 लाख 16 हजार 500 क्यूसेक दर्ज किया गया. पूरे दिन कोसी में पानी का बहाव नियंत्रित रहा.

केंद्रीय जल आयोग के सूत्रों का कहना था कि रविवार शाम तक नेपाल के खैदी चौर में भूस्खलन से आये अवरोध से रुके पानी का इतना हिस्सा निकल गया था कि पानी का बहाव सामान्य हो जाये. आपदा प्रबंधन विभाग के संयुक्त सचिव अनिरुद्ध कुमार ने अब तक किसी खतरे से इनकार करते हुए कहा कि इसमें भारतीय विशेषज्ञ नेपाल की मदद कर रहा है.

* भागने का मौका नहीं मिलेगा

मुख्यमंत्री के साथ हवाई सर्वेक्षण कर लौटे आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने बताया कि फिलहाल कोसी में पानी नहीं है. इससे लोग यह नहीं समझें कि पानी का खतरा नहीं है. जब व्यापक पैमाने पर और तीव्र गति से पानी का बहाव होगा, तो लोगों को भागने तक का मौका नहीं मिलेगा. इसलिए लोग बाढ़ के खतरे को नजरअंदाज नहीं कर राहत कैंपों में चले जाएं. कैंपों में सभी प्रकार की व्यवस्था है.

घर से बेहतर नहीं,तो घर से कम व्यवस्था भी नहीं है. उन्होंने कहा कि कम-से-कम बुजुर्ग, महिला, बच्चा और शारीरिक रूप से कमजोर लोगों को कैंप तक पहुंचा दें. एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि लगभग एक लाख 20 हजार क्यू सेक पानी का बहाव हुआ है. उन्होंने बताया कि सुपौल जिला को राहत और बचाव के लिए 28 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं. खाली हुए गांवों में लोगों की संपत्ति की रक्षा के लिए पुलिस को तैनात कर दिया गया है. पानी की स्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि अगला 72 घंटे कोसी में बाढ़ मामले के लिए महत्वपूर्ण है. भारत सरकार के विशेषज्ञ दल दिल्ली पहुंच कर अगली कार्रवाई का निर्णय लेंगे.

– सुपौल के वीरपुर बैराज के पास कोसी का जलस्तर बढ़ा

* 49,000 लोगों को तटबंध के अंदर के गांवों से निकाला गया

* सवा चार लाख लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने की तैयारी

* एक सौ जवान सेना के पहुंचे सुपौल और मधेपुरा

* 855 जवान एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के तैनात

– बिहार के नौ जिलों सुपौल, सहरसा मधेपुरा, खगडि़या अररिया, मधुबनी भागलपुर, पूर्णियाव दरभंगा में बाढ़ का खतरा

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