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अब मंद पड़ी कोसी की धार

पटना: नेपाल में भोट कोसी में अवरोध के कारण उत्तर बिहार पर बाढ़ का खतरा अब सीमित हो गया है. भोट कोसी में भू स्खलन के बाद जमा पानी धीरे-धीरे कम होने लगा है और कोसी में पानी का बहाव भी सामान्य बना हुआ है. इससे बचाव कार्य में जुटे अधिकारियों को राहत मिली है. […]

पटना: नेपाल में भोट कोसी में अवरोध के कारण उत्तर बिहार पर बाढ़ का खतरा अब सीमित हो गया है. भोट कोसी में भू स्खलन के बाद जमा पानी धीरे-धीरे कम होने लगा है और कोसी में पानी का बहाव भी सामान्य बना हुआ है. इससे बचाव कार्य में जुटे अधिकारियों को राहत मिली है.

आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार फिलहाल बाढ़ की स्थिति चिंताजनक नहीं है. जल संसाधन विभाग के मुताबिक सोमवार की दोपहर तक सुपौल के वीरपुर बराज और नेपाल के बाराह क्षेत्र में पानी का बहाव सामान्य था. इस बीच केंद्रीय कैबिनेट सचिव अजित सेठ ने राज्य के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये ताजा हालात की जानकारी ली है. प्रभावित जिलों में सेना कैंप कर रही है और राहत कैंपों में छह हजार से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया है. उधर, सुपौल में राहत शिविरों में सुविधाओं के अभाव को लेकर पीड़ित लोगों ने सड़क को जाम किया और ट्रेनें रोकीं.

बचाव के लिए पर्याप्त समय होगा
एनडीआरएफ के जवानों द्वारा तटबंध के बीच बसे लोगों को बाहर निकालने का प्रयास सोमवार को भी जारी रहा है. आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने बताया कि अब तक 69 हजार लोगों को तटबंध से निकाल कर सरकारी कैपों में रखा गया है. 4730 पशुओं को 32 पशु कैपों में रखा गया है. उन्हें हर प्रकार की सुविधाएं दी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि यदि नेपाल की ओर से अचानक पानी का बहाव शुरू भी हो जाये, तो बचाव के लिए कम-से-कम 24 घंटे का समय मिलेगा. भोट कोसी से बराज पहुंचने में 24 घंटे का समय लेगा. भागलपुर और दरभंगा पहुंचने में भीमनगर बराज से 12 से 15 घंटे का समय लग जायेगा. ऐसे में बचाव का काम तेजी से किया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि अब तक नौ जिलों में 154 कैंप स्थापित किये गये हैं. इनकी संख्या बढ़ रही है. पशुओं के लिए 32 कैंप खोले गये हैं. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की19 टीमों को तैनात किया गया है. राहत और बचाव में सहयोग के लिए अब तक सेना के पांच कॉलम जवान विभिन्न जगहों पर तैनात किये जा चुके हैं. तीन कॉलम और सेना के जवान सिलीगुड़ी के बागडोगरा से बिहार के लिए उड़ान भरने के लिए तैयार है.

पानी का बहाव सामान्य
जल संसाधन विभाग के मुताबिक, सोमवार दोपहर तक बिहार के वीरपुर बराज और नेपाल के बाराह क्षेत्र में पानी का बहाव सामान्य बना हुआ था. जल संसाधन विभाग के सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि सोमवार दोपहर तक मिली सूचना के आधार पर स्थिति उतनी चिंताजनक नहीं है. अपराह्न् 03:00 बजे बराह क्षेत्र में कोसी का डिस्चार्ज 01 लाख 20 हजार 163 दर्ज किया गया. मधुबनी में कोसी का जल स्तर खतरे के निशान से दो फुट नीचे था.फिलहाल नेपाल के खैदी चौर में भोट कोसी नदी में बने अवरोध को हटाने के लिए नेपाल के अधिकारी और विस्फोट करने नहीं जा रहे थे, जिसके कारण वहां से पानी धीरे-धीरे निकलेगा. नेपाल के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक अवरोध के कारण भोट कोसी नदी में अधिकतम 74 लाख घनमीटर पानी जमा होने का अनुमान था. इस पानी के कारण वहां 390 वर्गमीटर (0.39 वर्गकिलोमीटर) के दायरे में झील बन गयी है. भारतीय और नेपाली अधिकारियों का अनुमान है कि पहाड़ टूटने के कारण नदी में बना बांध मजबूत है. उसके आसानी से टूटने के आसार नहीं हैं. इससे नियंत्रित तरीके से पानी निकालने के प्रयासों में मदद मिल रही है.

बारिश ने बढ़ा दी है परेशानी
सोमवार को सहरसा क्षेत्र के महिषी व सिमरी बख्तियारपुर क्षेत्र में हो रही बारिश ने भी लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. खासकर कोसी तटबंध पर खुले आकाश के नीचे व टेंट में रह रहे विस्थापितों को काफी दिक्कत हुई, जबकि जिला मुख्यालय दिन भर तेज धूप की चपेट में रहा. मधुबनी जिले के मधपुर व घोघरडीहा प्रखंडों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है.

नेपाल सरकार ने फिलहाल और विस्फोट नहीं करने की जानकारी दी है. ऐसे में किसी तटबंध को कोई खतरा नहीं है. इसलिए पूर्णिया और अररिया में अब कोई खतरा फिलहाल नहीं है. नियंत्रित पानी के बहाव के कारण मधुबनी, दरभंगा, भागलपुर व खगड़िया में भी पानी का दबाव नहीं बढ़ेगा. इन जिलों में भी आबादी को तटबंध से बाहर करने की कार्रवाई रोकने का निर्णय किया गया है.

व्यास जी, प्रधान सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग

अब सिर्फ सहरसा, मधेपुरा व सुपौल में बाढ़ का खतरा
पटना: कोसी में बाढ़ का खतरा अब सिर्फ सहरसा, मधेपुरा और सुपौल जिलों में रह गया है. अन्य छह जिलों में बाढ़ की खतरा कम होते देख लोगों को तटबंध से बाहर निकालने की कार्रवाई को फिलहाल रोक दी गयी है. यह निर्णय केंद्रीय कैबिनेट सचिव और बिहार सरकार के अधिकारियों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुए विमर्श के बाद लिया गया है. सोमवार की शाम आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने

कहा कि खगड़िया, अररिया, मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया और भागलपुर में लोगों को तटबंधों के बीच से बाहर निकालने की कार्रवाई रोकने का निर्णय लिया गया है. इन जिलों के कैंपों में लोगों को आने क लिए दबाव नहीं दिया जायेगा. इसके बावजूद जो लोग कैंप में रहेंगे, उन्हें रहने दिया जायेगा. पत्रकारों के प्रश्नों के जवाब में उन्होंने कहा कि सुरक्षा के लिए सेना के पांच कॉलम, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 19 टीमें सहरसा, मधेपुरा और सुपौल के अलावा अन्य छह जिलों में भी तैनात रहेंगे, ताकि विपरीत परिस्थिति में इनका उपयोग किया जा सके. कैबिनेट सचिव के साथ वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग के बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की बैठक हुई. बैठक में लिए गये निर्णयों को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को अवगत कराया गया और आवश्यक निर्देश प्राप्त किया गया.

नेपाल की ओर से बाढ़ का खतरा संबंधी एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि नेपाल सरकार ने कहा है कि वह भोट कोसी में अवरोध से नियंत्रित तरीके से ही पानी का बहाव करेगा. फिलहाल एक लाख 56 हजार क्यूसेक पानी का बहाव भोट कोसी के अवरोध स्थल से हो रहा है. इसे सामान्य बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे कोई खतरा नहीं है.

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