पटना : कोसी की तबाही की आशंका के बाद बिहारवासियों को बचाने के लिए केंद्र द्वारा किये गये गंभीर प्रयासों पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा हकीकत बयान करने पर बिहार सरकार की बौखलाहट हास्यास्पद है.
ये बातें भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुशील मोदी ने कहीं. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार को यह बताना चाहिए कि अगर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तबाही की आशंका को हल्के ढंग से लिया होता, तो बिहार के मुख्य सचिव को दो दिन पहले केंद्रीय कैबिनेट सचिव को धन्यवाद पत्र लिखने की आवश्यकता क्या थी?
उन्होंने बिहार सरकार से पूछा है कि जिस तरह नीतीश कुमार ने 2008 की कोसी की तबाही के बाद गुजरात से भेजी गयी पांच करोड़ की सहायता राशि को वापस कर दिया था, उसी तरह इस बार भी केंद्रीय सहायता मसलन सेना का सहयोग, हेलीकॉप्टर, मेडिकल सहायता और एनडीआरएफ की मदद आदि लिये जाने से वह इनकार तो नहीं कर देगी? अगर केंद्र सरकार हल्के ढंग से ले रही थी, तो दो दिनों के अंदर प्रधानमंत्री पांच बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर पल-पल की जानकारी लेकर आवश्यक कार्रवाई का निर्देश क्यों दे रहे थे?
केंद्र अगर गंभीर न होता, तो बिहार सरकार के आग्रह के पहले ही पांच कॉलम सेना बिहार पहुंच जाती? पटना से डॉक्टरों की टीम तो कोसी क्षेत्र में नहीं पहुंची, लेकिन दिल्ली से 20 डॉक्टरों की टीम दवाइओं के साथ पूर्णिया एयरबस से कैसे पहुंच गयी?
विशाखापट्टनम के नेवी के जवान और गोताखोर कैसे तैयार खड़े हो गये? एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर बिहार कैसे पहुंच गये?
एनडीआरएफ की टीमें कोलकाता और दिल्ली से बिहार कैसे पहुंच गयी? उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को बताना चाहिए कि आज जिस कांग्रेस और राजद से गलबहिया कर सरकार चला रहे हैं, केंद्र में जब कांग्रेस नेतृत्व में यूपीए की सरकार थी और राजद को उसे समर्थन भी प्राप्त था, क्या 2008 की कोसी तबाही के दौरान इस गति से बिहार की सहायता मिल पायी थी?