– ‘मिनी ड्रोन’ से हर गतिविधि पर केंद्रीय सुरक्षा बल की है नजर
– गया, औरंगाबाद और जमुई में केंद्रीय सुरक्षा बलों को उपलब्ध कराया गया विशेष यंत्र
– जमीन से पांच सौ मीटर की ऊंचाई से डेढ़ किमी के क्षेत्र की भेज रहा है सीधी तसवीरें
– आकार छोटा और अधिक ऊंचाई पर रहने से इसे देखना भी आसान नहीं
पटना : घने जंगलों और पहाड़ी इलाकों में घात लगा कर हमला करने में माहिर नक्सलियों को छुपने के लिए उनकी मांद भी काम नहीं आ सकेगी. सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन ने अब नक्सलियों की तलाश करने तथा उनकी हर गतिविधि पर अपनी निगाह रखने का पुख्ता इंतजाम कर लिया है.
ऊंची पहाड़ियों और घने जंगलों में छुप कर अपनी गतिविधियों का संचालन करनेवाले नक्सली अब केंद्रीय सुरक्षा बलों की निगाह में होंगे. नक्सलियों की हर गतिविधि की सीधी तसवीर केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान अपने बेस कैंप के कार्यालय में ही कंप्यूटर स्क्रीन पर देख रहे हैं. केंद्रीय सुरक्षा बलों को अब एक ऐसा यंत्र उपलब्ध हो चुका है, जो जमीन से 500 मीटर की ऊंचाई से नक्सलियों की हर गतिविधि की सीधी तसवीर सुरक्षा बलों को उपलब्ध करा रहा है.
कुछ जिलों में इस्तेमाल किये भी जा रहे हैं यंत्र : साइज में यह यंत्र इतना छोटा है कि जमीन से पांच सौ मीटर की ऊंचाई से इसे देख पाना भी मुमकिन नहीं है. रिमोट कंट्रोल से इसका संचालन होने से यह पूरी तरह नियंत्रण में रहता है और इसे जिधर चाहें, उधर घुमाया जा सकता है.
सीआरपीएफ के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ‘नेत्र’ नामक इस यंत्र का इस्तेमाल करना बिहार के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों औरंगाबाद, गया और जमुई में सुरक्षा बलों ने शुरू भी कर दिया है. अधिकारियों की मानें तो मिनी ‘ड्रोन’ द्वारा आसमान से भेजी गयी तसवीरों और रिकॉर्ड की गयी आवाजों की क्वालिटी इतनी साफ है कि पहाड़ों में छुपे नक्सलियों पर सीधी निगाह रखी जा सकती है.
तसवीरों को लाइव की तरह देखेंगे अधिकारी
इस अत्याधुनिक यंत्र को सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन के जवानों ने ‘नेत्र’ का नाम दिया है. इसे मिनी ‘ड्रोन’ भी कहा जा रहा है, जो नक्सल प्रभावित इलाकों में अब इस्तेमाल में आ चुका है. इस अत्याधुनिक सर्विलांस इक्वीपमेंट की खूबी यह है कि जमीन से पांच सौ मीटर की ऊंचाई पर उड़ते हुए जमीन की हर गतिविधि को यह अपने कैमरे में कैद करता है.
रिपोर्ट कंट्रोल से संचालित इस यंत्र में कुल चार हाइ रिजोल्यूशन वीडियो कैमरे लगे हैं. इस मिनी ‘ड्रोन’ में उच्च स्तरीय तकनीक के साउंड रिकॉर्डर और वायरलेस ट्रांसमीटर भी लगे हैं, जो पांच सौ मीटर की ऊंचाई से भी जमीन पर डेढ़ किलोमीटर के क्षेत्र में हो रही हर गतिविधि और आवाज को रिकॉर्ड करता है.
इसकी खूबी यह भी है कि अपनी उड़ान के दौरान यह जमीन की सीधी तसवीर भी भेज सकता है और इन तसवीरों को सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन के बेस कैंप में बैठे अधिकारी और जवान लाइव देख सकते हैं.