पटना. राज्य में नक्सली हिंसा में पिछले पांच साल के दौरान 14 गुनी कमी आयी है. 2016 के दौरान 100 नक्सली वारदातें हुईं, जबकि 2021 में नक्सली वारदातों की संख्या घट कर सिर्फ सात रह गयी. 2020 में भी सिर्फ 26 वारदातें हुई थीं. नक्सली हिंसा से संबंधित जारी रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के सिर्फ चार जिलों में अब इनकी थोड़ी-बहुत नक्सली गतिविधियां देखी जा रही हैं. इनमें गया, औरंगाबाद, जमुई और लखीसराय शामिल हैं.
इन जिलों की सीमा भी सीधे तौर पर झारखंड से जुड़ती है, जिस कारण इन इलाकों के पहाड़ी और जंगली इलाकों में उन्हें छिपने या भागने में आसानी होती है. पिछले वर्ष तक उत्तर बिहार के वैशाली और मुजफ्फरपुर जिलों में नक्सली घटनाएं हुई थीं, लेकिन एसटीएफ और सीआरपीएफ की संयुक्त कार्रवाई के कारण ही इन इलाकों से नक्सलियों का लगभग सफाया हो गया है. अब नक्सली मुख्य रूप से सिर्फ चार जिलों में ही सिमट गये हैं.
नक्सली आंदोलनों के नियंत्रित होने का मुख्य कारण बड़े नक्सली नेताओं का मारा जाना या गिरफ्तार होना है. 2016 में 468 नक्सली गिरफ्तार हुए और 33 ने सरेंडर किया. 2017 में 383 गिरफ्तारी व छह सरेंडर, 2018 में 388 गिरफ्तारी व नौ सरेंडर, 2019 में 381 गिरफ्तारी व 13 सरेंडर, 2020 में 265 गिरफ्तारी व 14 सरेंडर और 2021 में 153 गिरफ्तारी व तीन ने सरेंडर किया है.
बड़ी मात्रा में विस्फोटक बरामद
नक्सलियों के खिलाफ कॉम्बिंग और सर्च ऑपरेशन की वजह से बड़ी संख्या में गिरफ्तारी हुई है और इनसे बड़ी मात्रा में विस्फोटक व हथियारों की बरामदगी भी हुई है. 2016 में 161 हथियार, 2020 में 69 और 2021 में 21 हथियार बरामद हुए. इसी तरह 2016 में 954 किलो विस्फोटक और 37,497 डेटोनेटर बरामद हुए थे. 2020 में 65 किलो विस्फोटक व 133 डेटोनेटर और 2021 में 1351 किलो विस्फोटक और 766 डेटोनेटर बरामद किये गये.
लेवी वसूली में भी काफी कमी
नक्सलियों के कमजोर पड़ने के कारण इनकी लेवी वसूली में भी काफी कमी आयी है. 2016 में 43 लाख 56 हजार रुपये की वसूली की थी, जो 2020 में घटकर 17 लाख 58 हजार और 2021 में 19 हजार 820 रुपये हो गयी.
नक्सल हिंसा में दो वर्षों में किसी जवान की मौत नहीं
नक्सल हिंसा में पिछले दो वर्षों के दौरान किसी जवान की मौत नहीं हुई है. 2016 में 13 जवान नक्सली हमले में शहीद हुए थे. इसके बाद 2017, 2018, 2020 और 2021 में एक भी जवान शहीद नहीं हुए. बीच में 2018 एवं 2019 में एक-एक जवान शहीद हुए थे. पुलिस के साथ सीधी मुठभेड़ की संख्या भी कमी है. 2016 में 13 मुठभेड़ें हुई थीं, जबकि 2021 में सिर्फ दो हुईं. 2020 में 10, 2019 में 12, 2018 में 13 और 2017 में 10 मुठभेड़ हुई थीं.
Posted by: Radheshyam Kushwaha