पटना. बिहार से गुजरनेवाली 14 और ट्रेनों में एलएचबी (लिंक हॉफमैन बुश कोच) कोच लगाने का फैसला हुआ है. एलएचबी कोच लगाने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है. एलएचबी कोच लग जाने से न केवल यात्री सुविधाएं बढ़ेंगी, बल्कि ट्रेनों की रफ्तार भी पहले के मुकाबले ज्यादा तेज हो जएगी. रेलवे सूत्रों के अनुसार भागलपुर से प्रस्थान करने वाली या फिर भागलपुर से होकर गुजरने वाली ट्रेनों मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में लाल रंग वाली एलएचबी कोच लगाने की योजना है. फिलहाल इन ट्रेनों में ब्लू कलर वाले आइसीएफ (इंटिग्रल कोच फैक्ट्री) कोच लगे हैं.
जानकारी के अनुसार, भागलपुर दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस, वनांचल एक्सप्रेस, जमालपुर हवाड़ा एक्सप्रेस, फरक्का एक्सप्रेस आदि में श्रावणी मेला शुरू होने से पहले एलएचबी कोच लगा दिए जाएंगे. इंडियन रेलवे का भागलपुर से होकर गुजरने वाली या फिर यहां से प्रस्थान करने वाली सभी मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में एलएचबी कोच लगाने की योजना है. कुछ सप्ताह पहले ही भागलपुर-किउल रेलखंड पर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाई गई थी.
भागलपुर से प्रस्थान करने वाली या फिर इस रूट से गुजरने वली कई ट्रेनों में पहले ही एलएचबी कोच लगाये जा चुके हैं. इन ट्रेनों से आईसीएफ कोच हटाये जा चुके हैं. भागलपुर-आनंद विहार विक्रमशिला सुपरफास्ट, भागलपुर-अजमेर शरीफ एक्सप्रेस, भागलपुर-दादर एक्सप्रेस, अंग एक्सप्रेस, गरीब रथ, न्यू फरक्का एक्सप्रेस, ब्रह्मपुत्र मेल आदि ट्रेनों में पहले ही आधुननिक एलएचबी कोच लगाये जा चुके हैं. इससे इन ट्रेनों की न सिर्फ रफ्तार बढ़ी है, बल्कि यात्री सुविधाओं का भी विस्तार हुआ है.
घोषित ट्रेनों में एलएचबी कोच जल्द से जल्द लगाने की योजना है. रेलवे की प्लानिंग 14 जुलाई से शुरू होने वाले श्रावणी मेले से पहले इन सभी ट्रेनों में एलएचबी कोच लगाने की है. उच्चाधिकारियों ने बताया कि इन ट्रेनों के लिए एलएचबी कोच के रैक मिल भी चुके हैं. अब बस इन कोचों को घोषित ट्रेनों में लगाकर उसे ऑपरेशनल करने की तैयारी है. यह काम 14 जुलाई से पहले पूरा करने की कोशिश है.
भारतीय रेल देशभर में ट्रेनों में एलएचबी कोच लगा रहा है, ताकि सुविधाएं बढ़ने के साथ ही ट्रेनों की रफ्तार भी ज्यादा हो सके. ट्रेनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में एलएचबी कोच में आईसीएफ कोच के मुकाबले कम नुकसान होता है. इसी लिए भारतीय रेल ने सभी ट्रेनों में यह कोच लगाने का फैसला किया है. ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि एलएचबी कोच सुरक्षा, गति, क्षमता, आराम आदि मामलों में आइसीएफ कोच से बेहतर हैं.
रेलगाड़ी में नीले रंग वाले कोच को आइसीएफ (इंटिग्रल कोच फैक्ट्री) कोच और लाल रंग वाले कोच को एलएचबी (लिंक हॉफमैन बुश कोच) कोच कहते हैं.
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इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) चेन्नई, तमिलनाडु में स्थित है.
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इसकी स्थापना सन् 1952 में की गई थी.
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ये लोहे से बनाई जाती है और इस वजह से भारी होती है.
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इसमें एयर ब्रेक का प्रयोग होता है.
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अधिकतम गति 110 किमी प्रति घंटा है.
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इसके रखरखाव में ज़्यादा खर्चा होता है.
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इसमें बैठने की क्षमता कम होती है, कोच का आकार छोटा होता हैं.
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दुर्घटना के बाद इसके डिब्बे एक के ऊपर एक चढ़ जाते हैं.
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इसका राइड इंडेक्स 3.25 होता है.
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इस कोच को 18 महीनों में एक बार मरम्मत की आवश्यकता होती है.
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लिंक हॉफमेन बुश (एलएचबी) कोच को बनाने की फैक्ट्री कपूरथला, पंजाब में स्थित है.
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ये साल 2000 में जर्मनी से भारत लायी गयी है.
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ये स्टेनलेस स्टील से बनाई जाती है और इस वजह से हल्की होती है.
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इसमें डिस्क ब्रेक का प्रयोग होता है।
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अधिकतम गति 200 किमी प्रति घंटा है.
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इसकी परिचालन गति 160 किमी प्रति घंटा है.
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इसके रखरखाव में कम खर्चा होता है.
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इसमें बैठने की क्षमता ज़्यादा होती है. आकार में यह ज़्यादा लंबा होता हैं.
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दुर्घटना के बाद इसके डिब्बे एक के ऊपर एक नहीं चढ़ते हैं.
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इसका राइड इंडेक्स 2.5–2.75 के बीच होता है.
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24 महीनों में एक बार मरम्मत की आवश्यकता होती है.
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