पटना. राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. बिहार के 10 मेडिकल कॉलेजों में महज 14.47 प्रतिशत एसोसिएट प्रोफेसर पदस्थापित हैं. एसोसिएट प्रोफेसर के 85.53 प्रतिशत पद खाली हैं. इतना ही नहीं सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में वर्तमान में 60 प्रतिशत नियमित शिक्षकों के पद रिक्त है. इसमें प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद शामिल हैं. स्थिति यह है कि वर्ष 2025 के अंत तक राज्य के 80 प्रतिशत नियमित प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के पद रिक्त हो जायेंगे.
13 नये मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए चिकित्सकों की उपलब्धता पर संकट
यह स्थिति तब है जबकि चिकित्सक शिक्षकों की उम्र को 58 वर्ष से 60 वर्ष, फिर 62 वर्ष, 65 वर्ष और अंतिम बार 67 वर्ष कर दी गयी है. इतने रिक्त पद राज्य के 10 मेडिकल कॉलेजों की है. सरकार 13 नये मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एमबीबीएस नामांकन कराने की कोशिश में जुटी है. इसके लिए चिकित्सकों की उपलब्धता पर संकट होगी.
नियमित प्रोफेसर के 236 पद रिक्त हैं जो 45 प्रतिशत
बिहार में पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल, नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर, डीएमसीएच, एएनएमसीएच,गया, जीएमसी बेतिया, बिम्स, पावापुरी, मधेपुरा, जेएनकेटीएमसीएच, जीएमसी, पूर्णिया और जेएलएनएमसीएच,भागलपुर में प्रोफेसर के कुल 431 पद स्वीकृत किये गये हैं. इनमें से नियमित प्रोफेसर के 236 पद रिक्त हैं जो 45 प्रतिशत है.
एसोसिएट प्रोफेसर के 85 प्रतिशत पद रिक्त
इसी प्रकार से इन मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में एसोसिएट प्रोफेसर के 890 पद स्वीकृत किये गये हैं. स्वीकृत पदों के विरुद्ध 10 मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में 760 पद रिक्त हैं. एसोसिएट प्रोफेसर के 85 प्रतिशत पद रिक्त पड़े हुए हैं. इसके अलावा असिस्टेंट प्रोफेसर के 1630 पद स्वीकृत हैं. इनमें से वर्तमान में सिर्फ 628 पदों पर नियमित प्रोफेसर हैं जबकि 980 पद रिक्त हैं.
असिस्टेंट प्रोफेसर के कुल 61 प्रतिशत रिक्त
असिस्टेंट प्रोफेसर के कुल 61 प्रतिशत रिक्त पड़े हैं. सरकार इन रिक्त पदों पर भरने की कोशिश भी करे तो वर्तमान में नियुक्ति होनेवाले असिस्टेंट प्रोफेसर को छह साल तक नियमित सेवा के बाद ही एसोसिएट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की छह वर्षों की नियमित सेवा के बाद प्रोफेसर पद में प्रोन्नति दी जायेगी. ऐसे में सरकार वर्ष 2024 में बड़े पैमाने पर असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति करती है तो 2030 में ही उनको एसोसिएट प्रोफेसर बनाया जायेगा.
फिर से बहाल करने का खुला है विकल्प
हालांकि, मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी और अर्हता को देखते हुए नेशनल मेडिकल कमीशन ने भी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में शिक्षकों की योग्यता रेगूलेशन 2022 अधिसूचित कर दिया है. इसमें मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक, डीन, निदेशक या प्राचार्य को सेवा विस्तार दिया जा सकता है या पुन: नियोजन किया जा सकता है.
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असम में डाक्टरों की रिटायरमेंट उम्र हुई 70 साल
देश में असम सरकार ने अपने चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति उम्र 70 वर्ष तक कर दी है. बताया जा रहा है कि राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों से प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियमित रूप से नियुक्त चिकित्सक शिक्षकों की सेवानिवृत्ति इस माह से ही आरंभ हो रही है.