साहब, चार साल बीत गये, पर नहीं मिला भाई, क्या कर रही है पुलिस?
पटना. दोपहर के 1.30 बजे हैं. एसएसपी का जनता दरबार लगा हुआ है. सुनवाई चल रही है. फरियादियों की कतार में फतुहा का एक 17 वर्षीय युवक भी मौजूद है. दुबला-पतला शरीर, सामान्य पहनावा. एसएसपी के सामने आवेदन पेश करता है. उससे पूछा जाता है, ‘बताइए क्या है आपका मामला?’ ‘साहब, चार साल हो गये […]
पटना. दोपहर के 1.30 बजे हैं. एसएसपी का जनता दरबार लगा हुआ है. सुनवाई चल रही है. फरियादियों की कतार में फतुहा का एक 17 वर्षीय युवक भी मौजूद है. दुबला-पतला शरीर, सामान्य पहनावा. एसएसपी के सामने आवेदन पेश करता है.
उससे पूछा जाता है, ‘बताइए क्या है आपका मामला?’ ‘साहब, चार साल हो गये हैं. मेरा भाई घर से कोचिंग के लिए निकला था. आज तक वापस नहीं आया. गुमशुदगी तभी दर्ज करायी गयी, लेकिन कुछ पता नहीं चला.’ इतना कहने के बाद युवक खुद सवाल खड़ा कर देता है कि साहब, पुलिस क्या कर रही है? पिताजी दौड़ते-दौड़ते थक गये. अब पुलिस से उनका भरोसा उठ गया है, लेकिन जबसे गोगा पासवान के गैंग को पकड़ा है, तब से यह उम्मीद जगी है कि आप मेरे भाई को ढूंढ़ सकते हैं.
युवक के बेझिझक और सीधे तौर पर धारा प्रवाह बोले गये इस जुमले ने एसएसपी मनु महाराज को थोड़ी देर के लिए हैरत में डाल दिया. वह आश्चर्य चकित हुए और चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गयी. तब एसएसपी ने पूछा, ‘क्या नाम है?’ ‘सर, मनीष कुमार’, ‘क्या करते हो’ ‘पढ़ाई करते हैं.’ एसएसपी मजाकिया लहजे में पूछते हैं, पॉलिटिकल साइंस पढ़ते हो क्या? खुद जवाब देते हैं, पढ़ो अच्छा रहेगा. फिर घटना के बारे में बारीकी से पूछते हैं और सवाल करते हैं कि चार साल तक कहां थे, मनीष जवाब देता है कि सर, मेरा भाई दीपू 21 जुलाई, 2010 को घर से कोचिंग के लिए निकला था. वह पटना के सुपर थर्टी कोचिंग सेंटर में कोचिंग करता था. इसके बाद वह कहां गया, यह पता नहीं चल सका. पूरी जानकारी लेने के बाद एसएसपी ने क्राइम रीडर को युवक के मामले की जांच कर गंभीरता से अनुसंधान के निर्देश दिये.