पटना: अफ्रीका में सैकड़ों की जान ले चुके खतरनाक इबोला वायरस ने बिहार में भी दस्तक दे दी है. हाल ही में अफ्रीका से लौटे गोपालगंज के भोरे स्थित लामी चौर गांव निवासी वीरेंद्र सिंह में इस वायरस के मिलने पर स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है. तीन दिन पहले ही अफ्रीका से मुंबई आने के बाद वीरेंद्र शनिवार को अपने गांव पहुंचे थे. गोपालगंज सिविल सर्जन कार्यालय को वीरेंद्र की मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद सिविल सर्जन डॉ विभाष प्रसाद सिंह ने तत्काल डॉक्टरों की टीम भेज कर उनको अस्पताल बुलाया.
* 7 फरवरी को लाइबेरिया गये थे
वीरेंद्र सिंह सात फरवरी, 2014 को दक्षिण अफ्रीका के लाइबेरिया शहर में नौकरी करने गये थे. इसी बीच 15 दिन पहले लाइबेरिया में घातक इबोला के फैलने के बाद भारत के 625 लोगों को 27 अगस्त को मुंबई एयरपोर्ट पर वापस बुलाया गया, जहां इनके स्वास्थ्य का परीक्षण किया गया. वीरेंद्र की जांच के बाद उन्हें घर भेज दिया गया, लेकिन रिपोर्ट नहीं मिल सकी थी. वीरेंद्र शनिवार को सुबह आठ बजे घर पहुंचे. उधर, मुंबई एयरपोर्ट से स्वास्थ्य विभाग को फैक्स भेज कर वीरेंद्र की जांच रिपोर्ट में इबोला वायरल होने की पुष्टि की गयी. सिविल सर्जन को यह रिपोर्ट मिलते ही स्वास्थ्य विभाग में सनसनी फैल गयी. सिविल सर्जन ने भोरे रेफरल अस्पताल के प्रभारी को तत्काल प्रभाव से वीरेंद्र को लेकर अस्पताल पहुंचने का निर्देश दिया.
* बेटे को पढ़ाने के लिए विदेश गया था वीरेंद्र : भोरे के लामी चौर में छोटे से मकान में वीरेंद्र सिंह अपने तीन भाइयों से अलग दो बेटों और एक बेटी के साथ रहते थे. बेटे को डॉक्टर तथा दूसरे को इंजीनियर बनाने का सपना लिये वीरेंद्र सिंह पत्नी को पूरी जिम्मेदारी देकर दक्षिण अफ्रीका गये थे, जहां उन्हें 40 हजार महीना वेतन दिया जाता था. इस बीच एक सप्ताह पूर्व उसे सभी सर्दी और जुकाम भी हुआ. वीरेंद्र स्थानीय अस्पताल में दवा भी ली. इस बीच सरकार के निर्णय के अनुरूप सभी भारतीयों को लाइबेरिया से वापस भेज दिया गया.
* क्या है इबोला वायरस : दक्षिण अफ्रीका समेत पश्चिमी देशों में इबोला नामक वायरल फैला हुआ है. विश्व स्तर पर इससे निबटने की कोई दवा खोज नहीं की जा सकी है, जिसके कारण यह बीमारी लाइलाज है. डॉक्टर विभाष प्रसाद सिंह की मानें तो यह बीमारी संक्रमण है तथा पीडि़त के आसपास रहनेवाले लोगों में भी फैल सकता है.
* कैसे फैलता है : इबोला वायरस के फैलने को लेकर स्पष्ट धारणा नहीं है. पीएमसीएच माइक्रो बायलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ विजय कुमार ने बताया कि सांस की सहायता से तो यह फैलता ही है, दूसरे अन्य माध्यमों खान-पान, रहन-सहन आदि से भी इसके फैलने की संभावना है. हालांकि वैज्ञानिकों ने इस पर अधिक शोध नहीं किया है.
* इसके लक्षण : डॉ कुमार ने बताया कि इबोला के अधिकांश लक्षण डेंगू और चिकनगुनिया रोग से मिलते-जुलते हैं, मगर यह उससे कहीं अधिक खतरनाक होता है. इसमें भी सर्दी, बुखार के साथ खून निकलने जैसे लक्षण होते हैं. तीन दिन से लेकर पंद्रह-सोलह के अंदर यह पीडि़त व्यक्ति के शरीर को पूरे कब्जे में ले लेता है.
डॉ कुमार ने बताया कि अभी तक डॉक्टर-वैज्ञानिक इसका इलाज नहीं ढूंढ़ सके हैं. एक बार बीमारी के संपर्क में आने पर सिर्फ ऐहतियातन कदम ही उठाये जा सकते हैं. मसलन बुखार के लिए बुखार की दवा खाएं और रक्तस्त्राव होने पर ब्लड रिप्लेस करायें. वायरस के खतरे को देखते हुए काफी सतर्कता बरते जाने की जरूरत है.