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मोदी मिले गर्मजोशी से पर काम कुछ भी नहीं

पटना:मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सोमवार को कहा कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार के 100 दिन पूरे होने जा रहे हैं. लेकिन, बिहार के लिए अच्छे दिन नहीं आये हैं. महंगाई बढ़ी है. लोगों को रोजगार देने की पहल भी शुरू नहीं हुई और न ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने […]

पटना:मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सोमवार को कहा कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार के 100 दिन पूरे होने जा रहे हैं. लेकिन, बिहार के लिए अच्छे दिन नहीं आये हैं. महंगाई बढ़ी है. लोगों को रोजगार देने की पहल भी शुरू नहीं हुई और न ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने पर ही कोई चर्चा हो रही है.

जनता दरबार के बाद एक अणे मार्ग में प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला था. गर्मजोशी से वे मिले थे और बिहार के विकास में हर संभव सहयोग करने का आश्वासन दिया था. लेकिन, उनका काम कुछ नहीं दिख रहा है. बिहार के साथ जैसा व्यवहार पहले की सरकारें करती थीं, वैसा ही नरेंद्र मोदी की सरकार कर रही है. देश के संबंध में भी अच्छा साइन नहीं है. केंद्र की नीति खतरनाक दिख रही है. इससे देश का बंटवारा हो सकता है. भाई-भाई में भाषा-धर्म के नाम पर झगड़ा हो सकता है, यह अच्छा नहीं है.

मुख्यमंत्री ने नरेंद्र मोदी सरकार को 100 दिनों के प्रदर्शन पर 10 में तीन अंक देते हुए कहा, हम आशावादी हैं और आशा नहीं छोड़ेंगे. एक बार और प्रधानमंत्री से मिलेंग और मदद की अपील करेंगे. बिहार के सीएम महादलित और पीएम के दलित होने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं दलितों या किसी जाति का मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि बिहार का मुख्यमंत्री हूं. हमारा क्षेत्र गरीबों का है. गरीबों के प्रति जो होना चाहिए, नहीं हो रहा है. केंद्र किसान-मजदूर के लिए कुछ नहीं कर रहा है. इससे साफ हैं कि वे दलित होते हुए भी गरीबों के नेता नहीं हैं.

शिक्षक दिवस के दिन प्रधानमंत्री द्वारा बच्चों के साथ सीधी वार्ता में बिहार के बच्चों को शामिल नहीं किये जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उचित परंपरा नहीं है. हालांकि यह उनका आंतरिक मामला है, लेकिन बिहार के बच्चों से भी सीधी बात करनी चाहिए थी. हो सकता है बिहार के बच्चों के लिए उनके पास कोई दूसरी बड़ी योजना होगी. सीएम ने कहा कि बिहार की जनता ने विधानसभा उपचुनाव में साफ कर दिया कि अब वह भरमनेवाली नहीं है. लोकसभा चुनाव में तो वोट दे दिया, लेकिन आनेवाले विधानसभा चुनावों में फिर से वोट नहीं मिलेगा.

बोलने में मंत्रियों को बरतनी चाहिए सावधानी

मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्री व अधिकारी के बीच अच्छा संबंध है. कुछ दिन पहले कला-संस्कृति मंत्री कुछ बोल गये थे. वह मन से नहीं बोलना चाह रहे थे. वह नये मंत्री हैं. काम भी अच्छा कर रहे हैं. बोलने में सावधानी बरतनी चाहिए. उन्हें समझाया गया है और वह मान गये हैं. वित्त मंत्री व प्रधान सचिव के मामले पर भी सीएम ने कहा कि घर का मालिक (मंत्री) होता है, तो आर्थिक संसाधन उसके पास होते हैं. बिहार के भलाई के लिए मंत्री और अधिकारी का सोच व प्राथमिकता अलग-अलग हो सकती है. राज्यहित में अगर हमारे हाथ न रोके जाएं, तो बिहार का खजाना ही खाली हो जायेगा. छह लाख इंदिरा आवासों की जगह 2.80 लाख की ही मंजूरी मिली है. एनएच निर्माण के 1000 करोड़ पिछले तीन सालों से लंबित है. केंद्र को यह राशि देनी चाहिए.

मंत्री की देखरेख में हो रही जांच

मुजफ्फरपुर में उद्घाटन से पहले पुल के ध्वस्त होने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी जांच मंत्री की देखरेख में हो रही है. देखना है कि उसके डिजाइन या निर्माण में तो गड़बड़ी नहीं थी. किस आधार पर पुल बन रहा था और कैसे वह गिर गया. पुल निर्माण में किस सीमा का उल्लंघन किया गया. इसकी जांच रिपोर्ट के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जायेगी.

मुंबई में बिहार भवन के लिए खरीदी जायेगी जमीन

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुंबई में दिल्ली के तर्ज पर बिहार निवास बनाया जाना है. इसके लिए जमीन दान में मिल गयी, तो ठीक है, नहीं तो बिहार सरकार वहां जमीन खरीदेगी. इसके बाद बिहार भवन का निर्माण कराया जायेगा. इसकी औपचारिकताएं शुरू कर दी गयी हैं और अधिकारियों को दिशानिर्देश भी दे दिये गये हैं. प्रेस कांफ्रेंस में राजस्व व भूमि सुधार मंत्री नरेंद्र नारायण यादव, निबंधन मंत्री अवधेश प्रसाद कुशवाहा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार मौजूद थे.

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