21 प्राचार्यो की नियुक्ति रद्द
मगध विश्वविद्यालय : हाइकोर्ट का बड़ा फैसला पटना : पटना हाइकोर्ट ने मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के 21 प्राचार्यो की नियुक्ति रद्द कर दी है. न्यायाधीश शिवाजी पांडेय के कोर्ट ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने अपने निर्णय में विवि को छह महीने के अंदर इन पदों पर नये सिरे से नियुक्ति करने का […]
मगध विश्वविद्यालय : हाइकोर्ट का बड़ा फैसला
पटना : पटना हाइकोर्ट ने मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के 21 प्राचार्यो की नियुक्ति रद्द कर दी है. न्यायाधीश शिवाजी पांडेय के कोर्ट ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने अपने निर्णय में विवि को छह महीने के अंदर इन पदों पर नये सिरे से नियुक्ति करने का निर्देश दिया है. इन प्राचार्यो की नियुक्ति दो दिसंबर, 2012 को की गयी थी. कोर्ट ने माना कि नियुक्ति प्रक्रिया में कई अनियमितताएं थीं.
मगध विवि के कुलपति की अध्यक्षता मेंगठित चयन कमेटी नियुक्ति करने के लिए सक्षम नहीं थी. इस कमेटी में शिवजतन ठाकुर, गया के क्षेत्रीय शिक्षा निदेशक, झारखंड के विवि के कुलपति रहे डॉ पी पांडेय और विक्टर टिग्गा और कामेश्वर सिंह संस्कृत विवि, दरभंगा के तत्क ालीन कुलपति सुरेंद्र ब्रह्मचारी को सदस्य नियुक्त किया गया था. कोर्ट ने नियुक्ति से संबंधित पैनल को भी रद्द कर दिया है. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि चयन कमेटी को सिंडिकेट और सीनेट की मंजूरी नहीं थी. इसी आधार पर याचिका में प्राचार्यो की नियुक्ति रद्द करने का अनुरोध किया गया था. जिन प्राचार्यो की नियुक्ति रद्द की गयी है, उनमें सामान्य कोटि में आठ, अति पिछड़ी जाति कोटे से सात और छह अनुसूचित जाति कोटे से हैं.
हवाला से दिया गया था पैसा
डॉ नागेश्वर प्रसाद शर्मा, पूर्व चेयरमैन
बिहार इंटरमीडिएट शिक्षा परिषद
बिहार के विश्वविद्यालयों के कॉलजों में प्राचार्यो की नियुक्ति में पैसों का खेल हुआ था. इसमें न तो नियम, न अनुभव और न ही योग्यता का पालन किया गया. सिर्फ पैसों के आधार पर नियुक्ति हुई थी. 2006 में कॉलेजों के प्राचार्यो की नियुक्ति की नियमावली में कुछ बदलाव किये गये थे. पर, उनका पालन नहीं किया गया. जब कुलपति ही पैसा देकर नियुक्त हुए थे, तो जब प्राचार्यो की नियुक्ति की बारी आयी, तो उन्होंने भी यही काम किया. फिलहाल मगध विश्वविद्यालय के और 15 कॉलेजों के मामले पेंडिंग हैं. विजिलेंस जांच में भी यह बात सामने आयी थी कि प्राचार्यो की नियुक्ति में हवाला से पैसा दिया गया था.
मगध विवि के अलावा तिलका मांझी विवि, भागलपुर में 16, जय प्रकाश विवि, छपरा में करीब 18 और वीर कुंवर सिंह विवि आरा में करीब 17 प्राचार्यो की नियुक्ति नियम और योग्यता के विरुद्ध हुई है. पहले पैसे देकर खुद कुलपति बने, फिर प्राचार्य नियुक्ति में पैसे लिये और अब प्राचार्य भी कॉलेज में विभिन्न मदों की राशि की फर्जी निकासी कर रहे हैं. मगध विवि के अरविंद महिला कॉलेज, पटना के प्राचार्य पीके वर्मा अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों के लिए यूजीसी द्वारा दिये जाने वाले फंड को उन पर खर्च नहीं किया और राशि का गबन कर दिया. यह मामला भी चल रहा है.