पटना: दवा घोटाले में नया मोड़ आनेवाला है और निगम में सप्लाइ करनेवाले बाकी बची 70 कंपनियां भी जांच के दायरे में आनेवाली हैं. विभागीय सूत्रों के मुताबिक हाइकोर्ट में जब मामला आया, तो उसमें याचिकाकर्ता ने 38 कंपनियों पर दवा खरीद में अनियमितता करने का आरोप लगाया था, जिसके बाद विभाग ने पांच सदस्यीय टीम बनायी और उन कंपनियों की दवा खरीद में हुई गड़बड़ी की जांच करने का निर्देश दिया.
जानकारी के मुताबिक जांच कमेटी को 38 के अलावा बाकी 70 कंपनियों पर भी शक हुआ था, लेकिन वह अपने दायरे में रहते हुए विभाग को कुछ बिंदुओं पर आगे जांच करने को कहा है. इधर विभाग भी मामले की गंभीरता को देखते हुए बाकी कंपनियों की भी जांच करने की योजना बना रहा है. फिलहाल विभाग के प्रधान सचिव इंगलैंड दौरे पर हैं और उनके आते ही इस मामले में तेजी से काम शुरू हो जायेगा. जांच करनेवाले सदस्यों की मानें, तो जांच के दौरान ऐसे कई तथ्य मिले हैं, जिससे लगता है कि बाकी 70 कंपनियों में भी गड़बड़ी है, जिसकी जांच होनी चाहिए. हालांकि रिपोर्ट में जांच के लिए लिखित आदेश नहीं है. सूत्रों के अनुसार मौखिक आधार पर ही उन कंपनियों की जांच करायी जा सकती है.
दवा घोटाले की जांच करनेवाले आहत
दवा घोटाले की जांच करनेवाले डॉ केके सिंह इस बात से आहत हैं कि उनसे विभाग स्पष्टीकरण मांगेगा कि उनकी जांच रिपोर्ट देर से देने के कारण राजस्व की हानि हुई है. डॉ सिंह ने कहा कि अभी विभाग की तरफ से मुङो कोई स्पष्टीकरण नहीं भेजा गया है, लेकिन खबर छपने के बाद मेरा मन थोड़ा आहत जरूर हुआ है. डॉ सिंह ने कहा कि रिपोर्ट में देर होने का कारण हमारी सरकारी व्यवस्था है. आरोपित को जब बुलाया जाता था, तो वह नहीं आते थे. हमने पूरी ईमानदारी से जांच रिपोर्ट तैयार की है और हमारा एक ही उद्देश्य था कि गरीबों को सही दवा मिले. इसके लिए सरकार मुझसे स्पष्टीकरण मांगेगी, तो हम जवाब देने को तैयार हैं.
डॉ केके सिंह की सुरक्षा करे सरकार
आइएमए व भासा के सदस्यों ने डॉ के के सिंह पर हुए हमले की निंदा की तथा कहा कि सरकार उनकी सुरक्षा की पूरी व्यवस्था करे. भासा के महासचिव डॉ अजय कुमार ने बताया कि डॉ सिंह से बात करने के बाद यह साफ हो गया कि मामला पूरी तरह सही है, इसलिए घटना की जांच बेहद बारीकी से करायी जाये. उन्होंने कहा कि मामले को लेकर डॉ सिंह को भी पुलिस कंप्लेन करनी चाहिए और विभाग के सामने भी अपनी बात रखनी चाहिए. आइएमए वर्किग कमेटी के सदस्य डॉ राम रेखा सिंह व आइएमए के वरीय उपाध्यक्ष डॉ सहजानंद सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार से डॉ सिंह को सुरक्षा गार्ड देने की मांग की है.
ईमानदारी से किया काम, आगे भी करेंगे
स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह ने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे द्वारा मानहानि का नोटिस भेजने के बाद कहा है कि इसकी जानकारी मुङो अखबार से मिली है. अगर इस मामले में सच्चई होगी, तो हम इतना ही कहेंगे कि कीचड़ में पत्थर मारने से क्या फायदा. स्वास्थ्य मंत्री रहते अश्विनी चौबे अस्पतालों का जायजा दिन में नहीं लेते थे. रात में वह अधिक जायजा लेते थे. उनके रात की जांच का भी ब्योरा जुटाया जायेगा और उसके बाद नोटिस का जवाब दिया जायेगा. हमने ईमानदारी से काम किया है और आगे भी करेंगे. इसके बाद भी लोगों को लग रहा है कि हम गलत कर रहे हैं, तो हम इसमें कुछ नहीं कर सकते हैं.