पटना: मधुबनी के एक मंदिर में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के पूजा करने के बाद उस मंदिर की मूर्ति को धुलवाया गया. इसका सनसनीखेज खुलासा खुद मुख्यमंत्री ने रविवार को किया. पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री के जयंती समारोह में उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा उपचुनाव के दौरान मैं मधुबनी में चुनाव प्रचार के लिए गया था. वहां एक देवी के मंदिर में मैंने पूजा अर्चना की थी. बाद में उस मंदिर और मूर्ति को धुलवाने की खबर है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुङो इसकी सूचना खान व भूतत्व मंत्री रामलखन राम रमण ने दी है. सीएम ने कहा कि मुङो इस घटना से गहरा दुख हुआ है. अनुसूचित जाति में जन्म लेना ही मेरा कसूर बन गया है. आज भी लोग मुङो अछूत समझते हैं. इस कारण ऐसा हुआ.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस घटना से साफ हो गया है कि हम आज कहां हैं. जब भी कोई काम कराने के लिए मेरे पास आता है, तो पैर छूता है, प्रणाम करता है. उसके मन में क्या होता है, यह पता नहीं, लेकिन दलित के लोग पैर नहीं छूते हैं. इस तरह की व्यवस्था और हमलोगों के प्रति ऐसा सोच घायलवादी है. मनुवादी व्यवस्था में वर्णवाद की बात हो गयी है. लोग कास्टवाद में आ गये हैं. तभी तो इस तरह की घटना हुई. मुख्यमंत्री ने देश को एक रखने के लिए अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने पर भी जोर दिया. उन्होंने दलित समाज के लोगों से अपील की कि वे जातियों में नहीं बंटें. अपने शिक्षा-स्वास्थ्य पर ध्यान दें और अपने बच्चों को जरूर पढ़ाएं. साथ ही सरकार की योजनाओं की जानकारी रखें और उसका लाभ लें.
मुख्यमंत्री ने बताया कि एमबीबीएस में एससी, एसटी व विकलांग के कोटे के छात्रों को राहत दी गयी है. कट ऑफ प्रतिशत को कम कर 67 छात्र-छात्रओं के नामांकन का फैसला लिया है. इसके लिए एक रिस्क लिया गया है, जिसे मैंने उठाया है. इस काम से बहुत से लोग खुश नहीं होंगे. कह रहे होंगे कि ऐसा कर दिया, अब आगे उन्हें बतायेंगे. सीएम ने कहा कि मैं जानता हूं कि मैं बिहार का अगला मुख्यमंत्री नहीं होऊंगा. अगले 10-11 महीने तक ही मैं मुख्यमंत्री हूं. भगवान ने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बुद्धि दी कि उन्होंने मुङो मुख्यमंत्री बना दिया. समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि 50 लाख रुपये तक की ठेकेदारी के काम में एससी-एसटी को आरक्षण दिये जाने की भी व्यवस्था की जायेगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें चिंता करनी होगी कि हम क्यों उपेक्षित हैं. हमें प्रतिज्ञा लेनी चाहिए कि समाज के लिए कुछ जरूर करेंगे और समाज को सोचने पर मजबूर कर देंगे. इसके लिए रूढ़ीवादी व्यवस्था को खत्म करना होगा. सभी लोगों को इस समाज के उत्थान के लिए सोचना होगा. उन्होंने कहा कि हमें ज्यादा किताबों से पाला नहीं पड़ा है. खेलते-खेलते मैट्रिक, आइए और बीए कर गये. पहले जो विधायक होते थे, उनके पास गाड़ी नहीं हुआ करती थी. एक बार बिना गाड़ी के मुङो भी बीडीओ ने नहीं पहचाना था. अब तो विधायकों के पास दो-चार गाड़ियां होती हैं. इसमें कोई गलत बात नहीं है. लोग थोड़ा-बहुत इधर-उधर कर खरीद लेते हैं. इसे वे बुरा नहीं मानते. जयंती समारोह को खान व भूतत्व मंत्री रामलखन राम रमण, पूर्व सांसद सुखदेव भगत, महेश्वर हजारी, कामेश्वर पासवान, पूर्व एमएलए ओमप्रकाश पासवान, आइडी पासवान और रामस्वरूप पासवान ने भी संबोधित किया.
क्या कहता है कानून
देश में जाति आधारित छुआछूत को खत्म करने के लिए 1955 में अस्पृश्यता अपराध अधिनियम लागू किया गया था, जिसे 1976 में बदल कर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स एक्ट, 1955 लागू किया गया. इस कानून के मुताबिक, छुआछूत के आधार पर किसी सार्वजनिक स्थल पर पूजा-पाठ या स्नान से रोके जाने पर कम-से-कम एक माह और अधिकतम छह माह के दंड और और जुर्माने का प्रावधान है. कानून के जानकारों के मुताबिक, पूजा-पाठ के बाद मंदिर को धोने का मामला धार्मिक वैमनस्य का भी बनता है. ऐसे में इस मामले में आइपीसी की धारा 153 (ए) का भी उपयोग किया जा सकता है. ऐसे मामलों में अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(1) (10) के तहत भी कार्रवाई का प्रावधान है.
मंदिर धोया नहीं गया था: पुजारी
इधर परमेश्वरी स्थान मंदिर के पुजारी अशोक कुमार झा ने कहा कि सीएम के पूजा करने के बाद मंदिर को धोया नहीं गया था. मंदिर पर सभी वर्गो का समान अधिकार है. मंदिर में भगवती की मूर्ति नहीं है. यहां पर भगवती का पिंड मिट्टी का बना है, जिसकी साफ-सफाई होती है. हर दिन सुबह चार व शाम चार बजे मंदिर की सफाई की जाती है, लेकिन 18 अगस्त को जब मुख्यमंत्री यहां आये थे, तो उस समय भीड़ ज्यादा थी. इस वजह से 18 अगस्त की शाम को मंदिर की सफाई भी नहीं हो सकी थी. अगले दिन यानी 19 अगस्त की सुबह ही मंदिर को साफ किया गया था.
आप सभी एकजुट हुए, तो अगला मुख्यमंत्री भी दलित होगा
समारोह में मुख्यमंत्री ने दलितों की एकजुटता का आह्वान किया. कहा, अगर दलित जातियों में न बंटें और एक हो जाएं, तो बिहार का अगला मुख्यमंत्री इसी समाज से होगा. कोई दूसरा मुख्यमंत्री नहीं बन सकता है. उन्होंने कहा कि हमें अपने पूर्वजों को आदर व सम्मान से याद करना चाहिए. इससे हमें अपने गौरवपूर्ण इतिहास की जानकारी होगी. दलित समाज में अनेक ऋषि व समाज सुधारक हुए हैं. उन सबों की जयंती भव्य तरीके से मनानी चाहिए. इसके लिए एक समिति बने व रोस्टर के अनुसार धूमधाम से जयंती का आयोजन हो.