सजा शहर, मां के दर्शन का इंतजार
पटना: मां आदिशक्ति के आगमन को लेकर शहर सज-धज कर तैयार हो गया है. पूजा पंडालों की आकर्षक सजावट, बिजली लाइट की झालरों से खुशियां झलकरही हैं. घंटे और घड़ियालों की गूंज के बीच शहर की चमक-दमक बता रही है कि माता का आगमन बस चंद लमहों बाद होने जा रहा है. रविवार को माता […]
पटना: मां आदिशक्ति के आगमन को लेकर शहर सज-धज कर तैयार हो गया है. पूजा पंडालों की आकर्षक सजावट, बिजली लाइट की झालरों से खुशियां झलकरही हैं. घंटे और घड़ियालों की गूंज के बीच शहर की चमक-दमक बता रही है कि माता का आगमन बस चंद लमहों बाद होने जा रहा है.
रविवार को माता के कुष्मांडा स्वरूप की आराधना विधि-विधान से पूरी हुई, दिन भर मंदिरों और पंडालों में दुर्गा सप्तशती के ोक गूंजते रहे. शक्तिपीठों में दूर-दूर से लोग पूजा व अखंड दीपों के आकर्षण को महसूस करने के लिए पहुंचे. आज महापंचमी है और स्कंदमाता की आराधना के बाद कल बंगाली पूजा पंडालों के पट खुल जायेंगे. सप्तमी को सभी पूजा पंडालों में मां विराजमान हो जायेगी और फिर मां की आराधना के लिए भक्तों का रेला नजर आयेगा. इसे लेकर पूजा पंडालों और मां की मूर्तियों के निर्माण को अंतिम रूप देने का क्रम जारी है. लोगों को बस इंतजार है तो मां के दर्शन का.
कल रात 9.36 बजे पंडाल में विराजेंगी मां
दुर्गा मां के स्वागत की तैयारी जोरों पर है. शहर को दुल्हन की तरह सजाने का सिलसिला जारी है. रविवार को मां दुर्गा की चौथी रूप में पूजा होने के बाद सोमवार
को स्कंदमाता के रूप में पूजा की जायेगी. ज्योतिषों के अनुसार माता स्कंद की पूजा अगर लाल कनैल से की जाये, तो मां हर मनोकामना पूरी करती हैं. नवरात्र में हर दिन मां के लिए विशेष पूजा का प्रावधान होता है. ऐसे में माता स्कंद की पूजा में लाल कनैल के अलावा उड़हुल से भी की जा सकती है. पंडित विनोद झा के अनुसार इस बार तिथि का बदलाव दिन में ही हो रहा है. इस कारण हर तिथि दो दिनों का हो रहा है.
रविवार से सोमवार तक पांचवीं तिथि
पंडित कुलानंद झा ने बताया कि रविवार को दिन के 1 बज कर 34 मिनट पर पांचवीं तिथि शुरू हो जायेगी, जो सोमवार की दोपहर 12.58 बजे तक रहेगा. सोमवार को ही षष्ठी तिथि भी शुरू हो जायेगी. इसके साथ ही मां के आगमन की भी तैयारी शुरू हो जायेगी. पंडालों में मां के स्थापना के लिए अंतिम रूप देने की तैयारी भी शुरू हो जायेगा. कहीं पर मां को आंख देने के लिए बेलनोती का आयोजन होता है. इसके लिए बेल के पेड़ की पूजा-अर्चना की जाती है. उसके बाद पेड़ को न्योता दिया जाता है. दूसरे दिन सप्तमी के दिन उसी बेल को तोड़ कर लाया जाता है और उसी से मां को आंख दी जाती है. मंगलवार यानी 30 सितंबर को रात 9.36 बजे मां के सामने से परदा हटा दिया जायेगा.
बंगाली पद्धति से पूजा मंगलवार से
बंगाली पद्धति से पूजा की शुरुआत मंगलवार से होगी. इसके लिए बंगाली अखाड़े में तैयारी शुरू हो चुकी है. बंगाली अखाड़े में अष्टमी को कुमारी पूजन को लेकर ‘मां ’ का चुनाव भी कर लिया गया है. बुधवार को विधिपूर्वक मां की पूजा बंगाली अखाड़े में की जायेगी. वहीं रामकृष्ण मिशन में भी दुर्गा पूजा को लेकर मां के आगमन की तैयारी जोरों पर है. मंगलवार को सुबह ही मां के ऊपर से परदे हटा दिये जायेंगे. रामकृष्ण मिशन से मिली जानकारी के अनुसार पांच दिनों के दुर्गा पूजा उत्सव में हर दिन मां के लिए विशेष आयोजन की व्यवस्था की गयी है.