युवाओं और छात्रों को ऋण देने में उदार नीति अपनाए बैंक : आनंद कुमार
कुआलालंनपुर : सुपर 30 के संस्थापक ने कहा है कि युवाओं, छात्रों और समाज के वंचित तबकों के लोगों को कर्ज देने में बैंकों को उदार नीति अपनानी चाहिए. 13 साल के आइआइटी के लिए हजारो छात्र-छात्राओं को तैयार कर चुके आनंद ने मलेशिया के कुआलालंनपुर में बैंकर्स कांफ्रेंस में यह बात कही. कांफ्रेंस में […]
कुआलालंनपुर : सुपर 30 के संस्थापक ने कहा है कि युवाओं, छात्रों और समाज के वंचित तबकों के लोगों को कर्ज देने में बैंकों को उदार नीति अपनानी चाहिए. 13 साल के आइआइटी के लिए हजारो छात्र-छात्राओं को तैयार कर चुके आनंद ने मलेशिया के कुआलालंनपुर में बैंकर्स कांफ्रेंस में यह बात कही. कांफ्रेंस में बैंकिंग उद्योग के बहुत सारे विशेषज्ञ मौजूद थे.
सुपर 30 के 30 छात्र-छात्राओं का उदाहरण देते हुए आनंद कुमार ने कहा कि उनमें से बहुत सारे लोगों को भारत के प्रमुख संस्थान आइआइटी में दाखिले के लिए बैंकों से कर्ज की जरुरत है, क्योंकि वे प्रतिभा के बल पर क्वालिफाई तो कर लेते हैं, लेकिन पढाई के लिए उनके पास धन नहीं होता. उन्होंने कहा ‘पहली पीढी में शिक्षा ले रहे बच्चों के माता-पिता उनकी पढाई-लिखाई का खर्च नहीं उठा पाते.
ऐसे में बैंकों को उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए. मैं उन्हें कर्ज दिलाने में मदद करता हूं और कोर्स पूरा हो जाने के बाद वे राष्ट्र की संपत्ति बन जाते हैं. अबर कुछ लोग कर्ज ना भी चुका पाये तो भी चिंता नहीं करनी चाहिए. आखिरकार भविष्य की पीढ़ी में किया गया निवेश कभी बेकार नहीं जाता. यह सबसे सुरक्षित दांव है. आनंद कुमार ने कहा कि बैंकों को छोटे उद्यमियों को प्रोत्साहित करना चाहिए और उद्यमिता की संस्कृति का विकास करने में सहायता करनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि हर किसी को नौकरी नहीं मिल सकती, लेकिन उद्यमिता के जरिए अगर ज्यादा लोग रोजगार पैदा करेंगे तो दुनिया में बेरोजगारी की समस्या हल करने में मदद मिलेगी. बड़े उद्योगों की अपनी अलग महत्ता है और वे संसाधन पैदा करने में सक्षम हैं, लेकिन छोटे उद्यमियों को बैंकों से मदद की जरुरत पड़ती है. अगर ऐसा किया गया तो वे भी समाज में बदलाव ला सकते हैं.
बैंकों से समाज के दूरदराज के क्षेत्रों में विस्तार करने का अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि जब दुनिया में भूखमरी का संकट तो बैंक आसान ऋण और वित्तीय सहायता के जरिए आसानी से कृषि को बढावा देने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. उन्होंने कहा कि हम कितने भी औद्योगीकृत हो जाएं, लेकिन खेती हमारी चिंता का मुख्य मुद्दा रहेगा ही.
खाद्यान्नके बिना कुछ भी नहीं किया जा सकता, जबकि लोग बिना एसी, कार के रह सकते हैं. ऐसे में खेती और किसानों को करजा के जाल में फंसे बिना अधिक उपज के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है और बैंक ये काम कर सकते हैं. आनंद कुमार ने कहा कि बैंकों ने साल-दर-साल अपनी भूमिकाओं में विस्तार किया है, लेकिन बदलती दुनिया में आबादी के ऐसे बड़े हिस्से का ध्यान रखना आवश्यक है, जो मुश्किल में है.
उन्होंने कहा कि आज आय उत्पादक गतिविधियों में अधिक-से-अधिक लोगों को शामिल करना बड़ी चुनौती है, जिससे देश के लिए आने वाले समय के लिए संपत्ति अर्जित की जा सके. इस तरह से ही समाज बेहतर और न्यायपूर्ण बनेगा, जिसमें हर कोई रचनात्मक कामों में लगा होगा.