जोगबनी (अररिया). भारत-नेपाल खुली सीमा का अतिक्रमण जारी है. सीमा पर नये घर व दुकानें बनते जा रहे हैं. अररिया जिले से सटे भारत-नेपाल सीमा में 16 सीमा स्तम्भ गायब हैं. जिले से सटे छोटे बड़े सीमा स्तंभ मिला कर कुल 123 सीमा स्तंभ हैं. इनमें 16 का पता नहीं चल पाया है. इनमें से कुछ पिलर का अस्तित्व ही नहीं है. कुछ पिलर ऐसे भी हैं, जो अतिक्रमण कर बनाये गये घरों के आंगन में हैं.
फारबिसगंज अंचल पदाधिकारी ने सीमा पर अतिक्रमण करनेवालों को हटाने का नोटिस जारी किया था, लेकिन कोई मुकम्मल कार्रवाई अब तक नहीं हुई. दोनों देशों की जनता की ओर से भी इसको लेकर कोई शिकायत नहीं की गयी है. आम लोगों में कोई आपत्ति नही है. यही कारण है कि नेपाल और भारत दोनों देशों के प्रशासनिक अधिकारी इसको लेकर शांतिपूर्ण निराकरण के प्रयास कर रहे हैं.
भारत-नेपाल सीमा के नो मेंस लैंड पर अतिक्रमण कर सिर्फ घर ही नहीं बल्कि हेयर कटिंग सैलून, होटल, किराना दुकान, हार्डवेयर की दुकानें भी खुल चुकी हैं. नो मेंस लैंड में अतिक्रमण का फायदा तस्करों को मिल रहा हैं.
डीएम इनायत खान ने कहा कि यह एक गंभीर समस्या है. दोनों देशों के अधिकारी संयुक्त रूप से स्थानीय पुलिस की मदद से सीमा पर अतिक्रमण कर रह रहे लोगों को हटाने का प्रयास करेंगे.
कुर्साकाटा थानातंर्गत सोनामनी गोदाम में पिलर संख्या 174/621 घर के आंगन में है. संशय इस बात की है कि कौन भाग भारत का है और कौन नेपाल का. अंतरराष्ट्रीय सीमापर अतिक्रमण होने व सीमा स्तंभ को अपने आंगन में रखने सहित नो मैंस लैंड में घर बनाने व दुकानें खोलने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. अररिया का 108 किलोमीटर क्षेत्र नेपाल सीमा से जुड़ा है. वहीं नेपाल के मोरंग जिले के दक्षिण भाग की ओर से 63.2 किलोमीटर क्षेत्र अररिया सीमा से जुड़ा है.