बिहार में 16 कारणों से वोटर नहीं करते हैं मतदान, परिवार के मुखिया बन रहे बाधा, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

लोकसभा चुनाव को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने एक सर्वे कराया है जिसमें लोगों द्वारा वोट न दिए जाने के कारण का खुलासा हुआ है.

By Anand Shekhar | March 10, 2024 8:11 AM
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शशिभूषण कुंवर, पटना. लोकसभा चुनाव में परिवार के मुखिया ही सदस्यों के मतदान करने में बड़ी बाधा बनकर खड़े हो रहे हैं. बिहार में पिछले लोकसभा चुनाव को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने एक सर्वे कराया है जिसमें इसका खुलासा हुआ है. सर्वे में बताया गया है कि इपिक नहीं रहने के कारण सर्वाधिक वोटरों ने अपना वोट नहीं दिया. इसके बाद दूसरे स्थान पर परिवार के मुखिया द्वारा घर के अन्य सदस्यों के मतदान में बाधक बने थे. कम मतदान को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार में 243 विधानसभा क्षेत्रों में सर्वाधिक मतदान और न्यूनतम मतदान को लेकर सर्वे कराया है. इस सर्वे में दिलचस्प आंकड़े सामने आये हैं. बिहार के मतदाताओं ने कम मतदान को लेकर 16 कारणों को गिनाया जिसके चलते वे मतदान करने नहीं गये थे.

राष्ट्रीय औसत से कम रहा मतदान का प्रतिशत

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. इधर भारत निर्वाचन आयोग लोकसभा चुनाव में मतदान में हर मतदाताओं को शामिल करने के लिए हर संभव प्रयास में जुटा है. पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार में औसत लोकसभा क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से कम रहा है.

आयोग द्वारा तैयार करायी गयी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि 74.8 प्रतिशत मतदाताओं ने इसलिए मतदान नहीं किया कि उनके पास इपिक कार्ड (वोटर कार्ड) नहीं था. इपिक कार्ड की अनुपलब्धता मतदान न करने की बड़ी वजह बनी, जबकि मतदान के लिए इपिक के अलावा दर्जनभर से अधिक दस्तावेज हैं जिसके आधार पर मतदान किया जा सकता है. मतदाता फोटोयुक्त पासबुक, ड्राइविंग लाइसेंस, मनरेगा कार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों के आधार पर भी मतदान कर सकते हैं.

मतदाताओं ने बताये वोट नहीं देने के कारण

सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि 4.6 प्रतिशत मतदाताओं को उनके परिवार के मुखिया ने मतदान करने से रोका. मतदान के दिन घर पर रहते हुए भी ऐसे लोग बूथ तक नहीं पहुंच पाये. मतदान के दिन बूथ पर लंबी कतार होने के कारण 3.8 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट नहीं देने की वजह बतायी. वोट नहीं करने को लेकर तीन प्रतिशत मतदाताओं ने बताया कि उनका नाम वोटरलिस्ट में शामिल नहीं था. इस सर्वे में 2.4 प्रतिशत मतदाताओं ने अपनी राय जाहिर करते हुए कहा कि उनकी चुनावी लोकतंत्र में भरोसा नहीं हैं. मतदान नहीं करने को लेकर 2.5 प्रतिशत मतदाताओं का कहना था कि वह समुदाय विशेष या धार्मिक नेता की वजह से मतदान करने नहीं गये.

मतदाताओं ने प्रत्याशियों को लेकर भी अपनी नाराजगी जतायी. सर्वे के दौरान 2.1 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा कि उनके क्षेत्र में अच्छे प्रत्याशी नहीं होने की वजह से वोटिंग करने नहीं गये. इसके साथ ही मतदान नहीं करने को लेकर मतदाताओं ने कई अन्य कारण बताया. इसमें उनका कहना था कि बूथ की जानकारी नहीं थी. कुछ का कहना था बूथ दूर था और वह तक जाने का साधन उनके पास नहीं था. कुछ की राय थी कि लोकतंत्र के लिए मतदान आवश्यक नहीं है.

कुछ मतदाताओं ने जातीय आधार को प्राथमिकता देते हुए बताया कि उनके जाति का प्रत्याशी नहीं होने के कारण मतदान नहीं किया. कुछ की राय थी कि कुछ भी बदलाव की जरूरत नहीं है जिसके चलते मतदान किया जाये. कुछ लोगों ने चुनाव क्षेत्र में नहीं रहने के कारण मतदान नहीं किया जबकि कुछ का कहना था कि उसको मतदान के दिन की जानकारी नहीं थी. इसी प्रकार से कुछ मतदाताओं ने बताया कि वे वैकल्पिक दस्तावेजों से भी मतदान कर सकते हैं.

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