मनोज कुमार, पटना. शराबबंदी के बाद ताड़ के पेड़ से नीरा उतारकर लोगों को पिलाने की सरकार की योजना अब धीरे-धीरे धरातल पर उतरने लगी है. इसे देखते हुए इस साल बिहार में नीरा का उत्पादन लक्ष्य दोगुना कर दिया गया है. बीते साल के 46 लाख लीटर से बढ़ाकर इस साल बिहार मेें एक करोड़ 3 लाख 9 हजार 4 सौ लीटर नीरा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. वहीं, नीरा उतारने में 16 हजार लोगों को लगाकर उनको रोजगार दिया जायेगा. सबसे अधिक नालंदा में 18 लाख लीटर नीरा उत्पादन का लक्ष्य है. वहीं दूसरे स्थान पर गया में 14 लाख 40 हजार लीटर तथा मुजफ्फरपुर व वैशाली में भी दस-दस लाख लीटर से अधिक नीरा उत्पादन किया जायेगा. किशनगंज में सबसे कम 7200 लीटर नीरा का उत्पादन होगा.
बीते वर्ष भी लक्ष्य से लगभग दोगुना नीरा का उत्पादन किया गया था. बीते वर्ष 46 लाख लीटर नीरा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था. इसमें 80 लाख लीटर नीरा का उत्पादन किया गया था. वहीं नीरा उतारने के लिए 14 हजार लोगों को जोड़ने का लक्ष्य था. इसमें 12 हजार आठ सौ लोगों को जोड़ा गया.
बिहार में शराबबंदी के बाद शराब के विकल्प और ताड़ी व्यवसाय से जुड़े लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से नीरा बेचने की कवायद शुरू की गयी थी. दरअसल, नीरा अलग से नहीं बनाया जाता है. सूरज उगने के पूर्व ताड़ के पेड़ से उतारने और संग्रहण के तरीके से ही नीरा बनाया जाता है. जीविका की ओर से इसके संग्रहण का प्रशिक्षण देकर नीरा तैयार करवाया जाता है. नीरा में नशा नहीं होता. यह पेट संबंधी कई बीमारियों में कारगर है.
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अररिया 14000
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अरवल 72000
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औरंगाबद 180000
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बांका 432000
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बेगूसराय 216000
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भागलपुर 180000
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भोजपुर 72000
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बक्सर 72000
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दरभंगा 216000
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गया 1440000
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गोपालगंज 216000
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जमुई 160000
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जहानाबाद 108000
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कैमूर 36000
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कटिहार 72000
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खगड़िया 36000
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किशनगंज 7200
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लखीसराय 15000
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मधेपुरा 72000
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मधुबनी 108000
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मुंगेर 57600
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मुजफ्फरपुर 1080000
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नालंदा 1800000
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नवादा 432000
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पश्चिमी चंपारण 144000
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पटना 504000
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पूर्वी चंपारण 252000
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पूर्णिया 36000
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रोहतास 50400
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सहरसा 288000
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समस्तीपुर 540000
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सारण 72000
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शेखपुरा 50000
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शिवहर 21600
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सीतामढ़ी 172800
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सिवान 108000
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सुपौल 28800
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वैशाली 1008000