पटना. बिहार के करीब 20 हजार डिग्रीधारी फार्मासिस्टों का रिन्युअल इस वर्ष नहीं हुआ है. ये फार्मासिस्ट बिना लाइसेंस के रिन्युअल कराये ही अपना कामकाज कर रहे हैं. मार्च 2022 के बाद से राज्य फार्मेसी काउंसिल में राज्य में काम करने वाले फार्मासिस्टों के लाइसेंस का रिन्युअल नहीं हो रहा है. वैध तरीके से काम करने के लिए डिग्रीधारी फार्मासिस्टों को हर साल अपने लाइसेंस का रिन्युअल कराना अनिवार्य है. हर साल लाइसेंस की वैधता 31 दिसंबर तक होती है. जनवरी से फिर से पुराने लाइसेंस का रिन्युअल का काम होता है.
राज्य फार्मेसी काउंसिल में बडे़ पैमाने पर अनियमितता पाये जाने के बाद पटना हाइकोर्ट द्वारा राज्य फार्मेसी काउंसिल को भंग कर नये सिरे से चुनाव कराने का आदेश दिया गया था. इसके बाद फार्मासिस्टों को मार्च तक रिन्युअल का मौका दिया गया था. इस दौरान सिर्फ 7800 फार्मासिस्टों ने अपने लाइसेंस का रिन्युअल कराया था. राज्य फार्मेसी काउंसिल में करीब 31 हजार फार्मासिस्ट निबंधित हैं. शेष फार्मासिटों का रिन्युअल नहीं हुआ.
पटना हाइकोर्ट के निर्देश के बाद राज्य फार्मेसी काउंसिल के छह सदस्यों का चुनाव भी संपन्न हो गया है. छह निर्वाचित फार्मेसी सदस्यों का चुनाव परिणाम 21 नवंबर को घोषित कर दिया गया है. अब सरकार द्वारा फार्मेसी काउंसिल के पांच सदस्यों को मनोनीत किया जाना है. यह माना जा रहा है कि जल्द ही सरकार पांच सदस्यों को मनोनीत कर देगी. फार्मेसी काउंसिल के 11 सदस्यों द्वारा अपने बीच से अध्यक्ष और रजिस्ट्रार का चुनाव किया जायेगा. तब नये फार्मासिस्टों का निबंधन और पुराने फार्मासिस्टों का लाइसेंस का रिन्युअल का कार्य होगा.
पटना हाइकोर्ट द्वारा राज्य फार्मेसी काउंसिल के चुनाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी को निर्वाची पदाधिकारी नियुक्ति किया गया, जबकि राज्य औषधि नियंत्रक को काउंसिल का रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया है. तकनीकी कारणों से राज्य औषधि नियंत्रक लाइसेंस रिन्युअल नहीं कर रहे हैं. राज्य औषधि नियंत्रक रवींद्र कुमार सिन्हा का कहना है कि यह मामला कोर्ट में है.