Advertisement
भाजपा हटी, सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं बढ़ीं
पटना: जून, 2013 के बाद बिहार में सांप्रदायिक हिंसा व तनाव की घटनाएं बढ़ी हैं. तब से लेकर अब तक (करीब 17 माह) राज्य में सांप्रदायिक तनाव के 170 मामले दर्ज किये गये हैं. जून, 2013 में भाजपा और जदयू में अलगाव हुआ था और तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार से […]
पटना: जून, 2013 के बाद बिहार में सांप्रदायिक हिंसा व तनाव की घटनाएं बढ़ी हैं. तब से लेकर अब तक (करीब 17 माह) राज्य में सांप्रदायिक तनाव के 170 मामले दर्ज किये गये हैं. जून, 2013 में भाजपा और जदयू में अलगाव हुआ था और तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार से भाजपा अलग हो गयी थी. गौर करने वाली खास बात यह है कि इस अवधि में कई नये इलाकों में पहली बार सांप्रदायिक तनाव की नौबत आयी.
सांप्रदायिक तनाव व हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी के तथ्य को आइबी और राज्य पुलिस की विशेष शाखा के आंकड़े तस्दीक करते हैं. वर्ष 2012 में जून से दिसंबर के बीच सांप्रदायिक तनाव की 12 घटनाएं दर्ज की गयी थीं. वर्ष 2013 में इसी अवधि में 87 घटनाएं (करीब सात गुना ज्यादा) सामने आयीं. इस साल जनवरी से सितंबर के बीच 83 घटनाएं दर्ज की गयीं. यानी पिछले 17 माह के दौरान सांप्रदायिक तनाव, हिंसा या झड़प की औसतन दस घटनाएं प्रत्येक माह हुईं. जून, 2013 के पहले प्रत्येक माह औसतन तीन जदयू-राजद ने भाजपा को बताया जिम्मेवार, तो भाजपा ने इसे जदयू सरकार की बतायीया चार मामूली घटनाएं ही होती थीं. पिछले 17 माह में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में दो लोगों की मौत हुई है और झड़प में 33 से ज्यादा लोग घायल भी हुए हैं. पुलिस ने इस सिलसिले में 70 मामले दर्ज किये हैं और 25 लोगों की गिरफ्तारी हुई है, जिन्हें बाद में रिहा कर दिया गया. पिछले साल अगस्त में नवादा में एक मामूली सी बात को लेकर दो संप्रदायों के बीच स्थिति गंभीर हुई. हिंसक झड़प में दो लोग मारे गये और एक दर्जन से ज्यादा घायल हुए.
इस साल सितंबर में सांप्रदायिक हिंसा के सर्वाधिक मामले दर्ज किये गये. किशनगंज और सारण में स्थिति विस्फोटक हो गयी थी. किशनगंज में एक धार्मिक स्थल के नजदीक एक पशु के क्षतिग्रस्त अंग पाये जाने के बाद तनाव के मद्देनजर दो दिनों तक निषेधाज्ञा लागू करनी पड़ी. इसी तरह छपरा में दशहरा के मौके पर (छह अक्तूबर को) मूर्ति विसजर्न के दौरान रास्ते के विवाद ने तूल पकड़ा और लोगों ने कई गाड़ियां फूंक दीं.
आम तौर पर नक्सलवादी घटनाओं के लिए चर्चा में रहने वाले भोजपुर के सहार में इसी साल 25 अक्तूबर को पहली बार सांप्रदायिक तनाव की खबर आयी. इसी तरह औरंगाबाद के दाउदनगर में मुहर्रम के मौके पर झड़प हुई और दो दिनों तक धारा 144 लागू करना पड़ा. यहां का मुहर्रम हिंदू-मुसलिम एकता व भाईचारे की मिसाल रहा है. मुहर्रम के मौके पर ताजिया विसजर्न को लेकर सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं शिवहर (हारपुर गांव में), दरभंगा (केवटी में) और शेखपुरा (अरियरी में) में भी हुईं. अरियरी में तो दो गुटों के बीच फायरिंग और पथराव भी हुए.
पुलिस मुख्यालय सतर्क
राज्य में सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं के बारे में अपर पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय का कहना है कि इस तरह की सूचनाओं को लेकर पुलिस मुख्यालय सतर्क है. 24 घंटे मॉनिटरिंग की जाती है. उन्होंने बताया, विशेष शाखा को भी संवेदनशील जिलों पर नजर बनाये रखने का निर्देश दिया गया है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement