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दशहरा हादसा रिपोर्ट: दोषी अफसरों पर फैसला आज

तीन अक्तूबर को दशहरे के दिन गांधी मैदान में हुए हादसे की जांच रिपोर्ट में पटना के तत्कालीन जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन व नगर निगम को जिम्मेवार ठहराया गया है. जांच कमेटी की अनुशंसा पर मुख्यमंत्री ने दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया, जिसके बाद गृह व सामान्य प्रशासन विभागों ने शनिवार को […]

तीन अक्तूबर को दशहरे के दिन गांधी मैदान में हुए हादसे की जांच रिपोर्ट में पटना के तत्कालीन जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन व नगर निगम को जिम्मेवार ठहराया गया है. जांच कमेटी की अनुशंसा पर मुख्यमंत्री ने दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया, जिसके बाद गृह व सामान्य प्रशासन विभागों ने शनिवार को तत्कालीन डीएम, एसएसपी, ट्रैफिक एसपी व अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई का प्रस्ताव सीएम के पास भेज दिया. इस पर रविवार को सीएम के लौटते ही मुहर लगने की संभावना है.

पटना: जांच कमेटी ने दशहरे के मौके पर गांधी मैदान में रावणवध कार्यक्रम के बाद भगदड़ में 33 की मौत के लिए पटना के तत्कालीन जिला प्रशासन को जिम्मेवार ठहराया है. जांच अधिकारियों ने इस हादसे के पीछे किसी भी तरह की साजिश से स्पष्ट तौर पर इनकार किया है. इस मामले में यहां के तत्कालीन डीएम मनीष कुमार वर्मा के अलावा तत्कालीन एसएसपी मनु महाराज, ट्रैफिक एसपी प्राणतोष कुमार दास और नगर निगम के आयुक्त कुलदीप नारायण पर कार्रवाई लगभग तय है. जांच कमेटी की सिफारिश मिलते ही मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शनिवार को दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश गृह विभाग को दिया है. इसके बाद गृह विभाग ने तत्कालीन एसएसपी, ट्रैफिक एसपी के खिलाफ और सामान्य प्रशासन विभाग ने तत्कालीन डीएम व बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों पर कार्रवाई का प्रस्ताव तैयार कर मुख्यमंत्री की सहमति के लिए भेज दी. रविवार को मुख्यमंत्री के दरभंगा से लौटने के बाद कार्रवाई का आदेश जारी कर दिया जायेगा.

गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी और एडीजी (मुख्यालय) गुप्तेश्वर पांडेय की दो सदस्यीय जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस कार्यक्रम के लिए गांधी मैदान में की गयी प्रशासनिक तैयारी दुरुस्त नहीं थी. एक तो इतनी बड़ी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए न तो अधिकारियों और कर्मियों को पर्याप्त संख्या में तैनात किया गया था और दूसरा कि जिन अधिकारियों व कर्मचारियों की तैनाती की भी गयी थी, तो वे सभी घटना के समय मौके पर मौजूद नहीं थे.

दोनों जांच अधिकारियों ने शनिवार की सुबह सचिवालय में आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हादसे के लिए तत्कालीन जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के साथ पटना नगर निगम भी जिम्मेवार है. हमने सरकार को सौंपी अपनी जांच रिपोर्ट में सभी जिम्मेवार अधिकारियों को चिह्न्ति कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की है. इन अधिकारियों के खिलाफ सरकार को अपने स्तर से कार्रवाई करनी है. कार्रवाई करने से पहले इस संबंध में उनका पक्ष लिया जायेगा. इन दोनों जांच अधिकारियों ने स्वीकार कि घटना की मुख्य वजह गांधी मैदान के दक्षिणी छोर स्थित मुख्य द्वार पर रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होना था. साथ ही भीड़ में कुछ असामाजिक तत्व भी सक्रिय थे, जिन्होंने वहां पहले से गिरे पड़े एक केबुल में करंट फैलने की अफवाह उड़ायी थी. इस अफवाह से मची भगदड़ में कई महिलाओं और लड़कियों के साथ छेड़खानी की भी घटना हुई, जो बाद में विभत्स हो गया, जिसके कारण महिलाओं और बच्चों समेत कुल 33 लोगों की जान चली गयी.

हालांकि इन अधिकारियों ने पटना के तत्कालीन प्रमंडल आयुक्त एन विजयलक्ष्मी, जोनल आइजी कुंदन कृष्णन, डीआइजी अजिताभ कुमार की भूमिका पर किसी तरह की टिप्पणी नहीं की, लेकिन इतना जरूर कहा कि इस घटना के लिए पटना जिला प्रशासन जिम्मेवार है. उन्होंने कहा कि हमने इस घटना को लेकर किसी भी स्तर के अधिकारी को क्लीन चिट नहीं दी है.

यह पहला मौका है किसी घटना की जांच रिपोर्ट सरकार ने की सार्वजनिक

संभवत: बिहार में यह पहला मौका है, जब किसी प्रशासनिक लापरवाही से हुई बड़ी घटना की जांच रिपोर्ट सरकार ने सार्वजनिक की है. हालांकि, इससे पहले भी पटना में वर्ष 2012 में छठ के दौरान अदालत घाट पर मची इसी तरह की भगदड़ में 26 लोगों की मौत हुई थी. उस मामले में भी राज्य सरकार ने गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी को ही घटना की जांच की जिम्मेवारी दी थी. लेकिन, उस घटना की जांच रिपोर्ट को सरकार ने अब तक सार्वजनिक नहीं किया है. साथ ही राज्य के अलग-अलग स्थानों पर हुई पुलिस फायरिंग और उपद्रव की घटनाओं को लेकर भी इस तरह के जांच कमेटी गठित की गयी थी, लेकिन अभी तक उनकी जांच रिपोर्ट सामने नहीं आयी है. चाहे वह कोसी त्रसदी की न्यायिक जांच रिपोर्ट हो या फिर फारबिसगंज या मधुबनी गोली कांड की जांच हो.

गांधी मैदान में ऐसे कार्यक्रमों में सुरक्षा के लिए दिये गये निमAलिखित सुझाव

जांच रिपोर्ट में गांधी मैदान में सभी सरकारी व गैर सरकारी कार्यक्रमों के आयोजन के लिए सरकार को कुछ सुझाव भी दिये हैं

1. गांधी मैदान के चारों तरफ बने मुख्य द्वारों पर वाच टावर का निर्माण कराया जाये

2. गांधी मैदान के सभी मुख्य द्वारों पर नियंत्रण कक्ष का हो निर्माण

3. गांधी मैदान के चप्पे की निगरानी के लिए लगाये जाएं सीसीटीवी कैमरे

4. इन सभी सीसीटीवी कै मरों की मॉनिटरिंग मैदान के चारों तरफ बने नियंत्रण कक्षों से की जाये

5. गांधी मैदान में आयोजित होनेवाले सभी बड़े कार्यक्रमों की निगरानी खुद डीएम व एसएसपी के स्तर से हो

6. कार्यक्रम से 24 घंटे पूर्व डीएम व एसएसपी स्थल का निरीक्षण कर सुरक्षा व भीड़ नियंत्रर के सभी इंतजामों का लें जायजा

7. सुरक्षा इंतजामों व भीड़ नियंत्रण में किसी तरह की कमी पाये जाने पर रद्द कर दें आयोजन को

8. रावण वध जैसे धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन गांधी मैदान से दूर अलग-अलग मैदानों पर भी किया जाये ताकि एक स्थान पर अधिक भीड़ न हो

गांधी मैदान हादसे के लिए जिम्मेवार अधिकारियों को सोमवार को स्पष्टीकरण जारी कर दिया जायेगा. स्पष्टीकरण के आधार पर उन पर कार्रवाई की जायेगी.

अंजनी कुमार सिंह, मुख्य सचिव

प्रभात खबर ने जो कारण बताये थे, उन्हें जांच कमेटी ने माना

गांधी मैदान में लगे हाइमास्ट लाइट थे खराब

मजिस्ट्रेट की संख्या भीड़ के अनुपात में काफी कम थी

गांधी मैदान में भीड़ नियंत्रण की नहीं थी कोई व्यवस्था

गांधी मैदान के दक्षिणी मुख्य द्वार पर नहीं थी पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था

घटना के समय कई स्टैटिक मजिस्ट्रेट व पुलिस अधिकारी डय़ूटी से लापता थे

दक्षिणी मुख्य द्वार पर बने ‘काऊ कैचर’ क्षतिग्रस्त था, जिसमें फंस कर कई लोग भगदड़ में गिरे और भीड़ द्वारा रौंद डाले गये

भीड़ में शामिल असामाजिक तत्वों ने फैलायी बिजली की तार गिरने और करंट फैलने की अफवाह

गांधी मैदान से बाहर भी ट्रैफिक नियंत्रण का नहीं था कोई प्रबंध

कैसे की गयी जांच

100 से भी अधिक प्रत्यक्षदर्शियों, पीड़ितों, संबंधित अधिकारियों व कर्मियों और स्वतंत्र गवाहों के बयान कलमबंद किये गये थे

उनके मौखिक बयानों की वीडियोग्राफी करायी गयी

जिला नियंत्रण कक्ष व पुलिस नियंत्रण कक्ष में घटना से संबंधित कई वीडियो फुटेज का भी अध्ययन किया गया

अफसरों को बचानेवाली रिपोर्ट: सुशील कुमार

गांधी मैदान हादसे की जांच रिपोर्ट को पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने बकवास बताया है. पूरी रिपोर्ट को लीपापोती बताते हुए उन्होंने कहा कि अफसरों को बचानेवाली रिपोर्ट है. उन्होंने कहा कि पटना के तत्कालीन डीएम नीतीश कुमार के खासमखास हैं. उन्हें बचाने के लिए ही रिपोर्ट जारी की गयी है. एक प्रश्न के जवाब में मोदी ने कहा कि लोगों के गुस्से को शांत करने के लिए रिपोर्ट जारी की गयी है. शनिवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में दोषी की पहचान पर हत्या का मुकदमा दर्ज करना था. उन्होंने कहा कि अंधराठाढी मंदिर में मुख्यमंत्री के प्रवेश के बाद मंदिर धोने के लिए गठित जांच रिपोर्ट को भी सरकार को सार्वजनिक करना चाहिए. उन्होंने 19 दिसंबर से शुरू होनेवाली विधानमंडल दल के सत्र के पूर्व दवा घोटाले की जांच रिपोर्ट भी सार्वजनिक करनी चाहिए.

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