भगवान को भी लगी ठंड, ओढ़ाये कंबल

पटना: मानव जहां ठंड से बचने के लिए गरम कपड़े की व्यवस्था कर रहे हैं, वहीं भगवान भी पीछे नहीं हैं. राजधानी के कुछ मंदिरों में रात होते ही देवी-देवताओं को कंबल व ऊनी कपड़ों से ढक दिया जा रहा है. पुजारी की मानें तो देवी-देवताओं को भी इस मौसम में ठंड लगती है, इसलिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 1, 2014 2:17 AM

पटना: मानव जहां ठंड से बचने के लिए गरम कपड़े की व्यवस्था कर रहे हैं, वहीं भगवान भी पीछे नहीं हैं. राजधानी के कुछ मंदिरों में रात होते ही देवी-देवताओं को कंबल व ऊनी कपड़ों से ढक दिया जा रहा है. पुजारी की मानें तो देवी-देवताओं को भी इस मौसम में ठंड लगती है, इसलिए उनके लिए मंदिरों में ऊनी कपड़े विशेष रूप से तैयार किये जा रहे हैं, ताकि उन्हें ठंड से राहत मिले.

खाजपुरा शिव मंदिर

खाजपुरा शिवमंदिर में प्रतिवर्ष भगवान जी के लिए गरम कपड़े बनाये जाते हैं. मंदिर के केयर टेकर धनंजय उपाध्याय कहते हैं कि साल में तीन से चार बार मंदिर के भगवान के लिए कपड़े बनाये जाते हैं. ठंड के कपड़े हर साल नवंबर में तैयार किये जाते हैं.

महावीर मंदिर

पटना जंकशन स्थित महावीर मंदिर में भी मौसम के अनुसार देवी-देवताओं के कपड़े तैयार किये जाते हैं. पुजारी भवनाथ झा के अनुसार मंदिर के सभी देवी-देवताओं के लिए ऊनी कपड़े तैयार कर लिये गये हैं. सोमवार से भगवान जी को गरम कपड़े पहना दिये जायेंगे. उन्होंने कहा है कि महावीर जी, मां दुर्गा, सीता-राम, राधा-कृष्ण समेत अन्य भगवान को पहनाये जाते हैं.

चढ़ावे में मिलते हैं कपड़े

विरला कॉलोनी स्थित दुर्गा मंदिर के पुजारी अमलेश झा ने बताया कि दुर्गा मां को विशेष रूप से लांग रंग का शाल ओढ़ाया जाता है. गर्दनीबाग स्थित ठाकुरबाड़ी मंदिर के पुजारी सत्य प्रकाश कहते हैं कि शाम की आरती के बाद भगवान जी को गरम कपड़े पहनाये जाते हैं. इसके लिए प्रति वर्ष तीन से चार हजार के गरम कपड़े भगवान जी के लिए बनाये जाते हैं. कंकड़बाग स्थित पंचमुखी मंदिर के पुजारी प्रमोद बिहारी पांडेय ने बताया कि मंदिर में चढ़ावे के रूप में लोग चादर कंबल देते हैं.

प्रेम का प्रतीक है आराधना

राजवंशी नगर, वेली रोड स्थित पंचरूपी हनुमान मंदिर के पुजारी सुरेंद्र झा ने बताया कि भगवान को भी ठंड नहीं लगे, इसके लिए हनुमान जी कंबल ओढ़ाया जाता है. वहीं मंदिर में विराजमान अन्य भगवान को भी छोटे-छोटे गरम कपड़े ओढ़ाये जाते हैं.

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