लोकायन नदी में छोड़ा गया 21.5 हजार क्यूसेक पानी, जलस्तर खतरे के निशान से तीन फुट ऊपर चढ़ा
उदेरा स्थान से लगातार पानी छोड़े जाने से लोकायन नदी का जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. रविवार को इस नदी में 21.5 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया. लोकायन नदी फिलहाल खतरे के निशान से तीन फुट ऊपर बह रही है.
बिहारशरीफ. उदेरा स्थान से लगातार पानी छोड़े जाने से लोकायन नदी का जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. रविवार को इस नदी में 21.5 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया. लोकायन नदी फिलहाल खतरे के निशान से तीन फुट ऊपर बह रही है. नदी में और पानी छोड़े जाने से नदी के जलस्तर और बढ़ने की संभावना जतायी जा रही है.
जल संसाधन विभाग के एकंगसराय डिवीजन के कार्यपालक अभियंता नवल किशोर प्रसाद ने बताया कि हुलासगंज के उदेरा स्थान से पानी छोड़े जाने से लोकायन नदी के तटबंध पर एक बार फिर से खतरा मंडराने लगा है.
नदी का जल स्तर पहले से ही खतरे के निशान से करीब तीन फुट ऊपर बह रही है. लोकायन नदी के टूटे जमुआरा तटबंध से पानी का बहाव रोक दिया गया था, लेकिन नदी का जल स्तर बढ़ने से जमुआरा तटबंध के ऊपर से पानी का बहाव शुरू हो गया है.
लोकायन नदी में जल स्तर बढ़ने से क्षेत्र के लोगों में एक बार फिर से बाढ़ का खतरा सताने लगा है. पिछली बार हिलसा प्रखंड क्षेत्र में तीन स्थानों पर एवं करायपरसुराय प्रखंड के एक स्थान पर लोकायन नदी का तटबंध टूट गया था. नदी का जलस्तर बढ़ने से उन स्थानों पर फिर से नदी का तटबंध टूटने की आशंका पैदा हो गयी है.
विभाग के कर्मी नदी के तटबंध पर लगातार नजर बनाये हुए हैं. इधर पंचाने नदी के पहियारा में टूटे तटबंध की मरम्मति का कार्य चल रहा है. पानी की वजह से वहां तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं होने की वजह से नदी में नाव के सहारे टूटे तटबंध को बांधने की सामग्री पहुंचायी जा रही है. पहियारा तटबंध को बांधने के लिए बख्तियारपुर से गंगा नदी का बालू मंगाया गया है और वहीं की एक एजेंसी को टूटे तटबंध को बांधने की जिम्मेवारी विभाग द्वारा दी गयी है.
तटबंध टूटने से पानी कई गांवों में फैला
लोकायन नदी में उफान के कारण हिलसा के कई स्थानों पर तटबंध टूटने से बाढ़ का पानी कई गांव के खंधा में घुस गया था. इसी कड़ी में 1 अगस्त को ही कोरावां पंचायत के हसनपुर गांव खेत समेत गांव में भी बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया था. 8 दिन बीत जाने के बाद भी हसनपुर गांव के खेतों में अभी भी भारी जलजमाव बना हुआ है. इसके कारण खेतों में लगी धान व अन्य फसल नष्ट हो गयी है.
Posted by Ashish Jha