भागलपुर में 2.5 साल का बालक दुर्लभ कार्बन बेबी सिंड्रोम बीमारी से ग्रसित मिला, जानें क्या है यह रोग

Bhagalpur: भागलपुर में एक 2.5 साल का बालक दुर्लभ कार्बन बेबी सिंड्रोम बीमारी से ग्रसित मिला. इस बीमारी में मरीज का शरीर पूरी तरह से काला पड़ जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2022 6:33 AM

भागलपुर: शहर के एक निजी नर्सिंग होम में कार्बन बेबी सिंड्रोम का एक मरीज मिला. मरीज की उम्र महज ढाइ वर्ष है. गोपालपुर निवासी मरीज लव कुमार को उनके पिता रिंकु कुमार दास ने सोमवार को डॉ आरके सिन्हा की क्लिनिक में भर्ती कराया.

काला पड़ जाता है बालक का शरीर

बच्चे का शरीर काला पड़ता जा रहा है. स्याही रंग के बच्चे को बेहोशी के हालत में अस्पताल लाया गया. बच्चा लव कुमार में चमकी के लक्षण भी दिख रहे हैं. जेएलएनएमसीएच के शिशु विभाग के पूर्व एचओडी व शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ आरके सिन्हा ने बच्चे की जांच की. डॉक्टर ने बताया कि बच्चा कार्बन बेबी सिन्ड्रोम नामक बीमारी से पीड़ित है. बीमारी की पहचान कर उसे भर्ती कर इलाज शुरू किया गया. तत्काल इलाज कर उसकी जान बचायी गयी है. फिलहाल मरीज की स्थिति खतरे से बाहर है. सिंड्रोम की पुष्टि होने के बाद बच्चे के परिजन काफी परेशान हो गये थे.

स्किन में मेलानीन नामक तत्व बढ़ रहा है

डॉक्टर ने बताया कि इस बीमारी में जन्म से कुछ महीने बाद मरीज के शरीर का गोरा रंग बिल्कुल काला पड़ने लगता है. मरीज के स्किन में मेलानीन नामक तत्व अत्यधिक मात्रा में पैदा होने लगता है. इसका मुख्य कारण रक्त में बीटा मैलेनोसाइट व स्टुमेल्टिन हॉर्मोन के बढ़ना है. यह बीमारी दस लाख मरीजों में से एक को होती है. डॉक्टर ने बताया कि मरीज सूर्य की रोशनी से और ज्यादा गंभीर होने लगता है. इलाज न होने से आगे चलकर लीवर, ब्रेन, किडनी व अन्य प्राण रक्षक अंगों को निष्क्रिय करने लगता है. धीरे-धीरे बीमारी जानलेवा हो जाती है.

नौ साल पहले दो मरीज की हुई थी पहचान

डॉ. आरके सिन्हा ने बताया कि आज से नौ वर्ष पूर्व कहलगांव निवासी दो बच्चे में कार्बन बेबी सिंड्रोम के दो मरीज मिले थे. दोनों सगे भाई-बहनों को यह बीमार हुई थी. इनमें छोटू कुमार की उम्र उस समय सात वर्ष व कुमकुम कुमारी की उम्र दो वर्ष थी. दोनों बच्चों के पिता बच्चू यादव रसनपुर एकचारी (कहलगांव) का रहने वाला था. दोनों बच्चों को शहर के मायांगज अस्पताल में भर्ती कराया गया था. डॉक्टर ने बताया कि दोनों मरीज सामान्य जीवन बिता रहे थे. हाल में उनसे संपर्क नहीं हुआ है. कहलगांव के दोनों बच्चों में यह बीमारी देश का दूसरा मामला था. पहली बार इस बीमारी का मरीज वेस्ट दिनाजपुर (पश्चिम बंगाल) में मिला था.

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