प्रभात खबर के 25 साल : एन्वायरनमेंट के साथ बढ़ी सेहत की फिक्र, पटना में गार्डनिंग के तौर-तरीकों में आये कई तरह के बदलाव
पिछले 25 वर्षों में गार्डनिंग के तौर-तरीकों में कई तरह के बदलाव आये हैं. लोग अब पहले से और भी ज्यादा इसे लेकर गंभीर और अवेयर हुए हैं. सेहत के साथ-साथ अब लोगों में एन्वायरनमेंट की फिक्र बढ़ी है.
रंग-बिरंगे मनमोहक फूल-पौधों से सजा घर और सड़क के किनारे लगे पेड़-पौधे भला किसे नहीं भाते होंगे. सुंदरता में चार चांद लगाने में पेड़-पौधों की अहम भूमिका होती है. प्लांटेशन को लेकर हर किसी में क्रेज रहता है. पिछले 25 वर्षों में गार्डनिंग के तौर-तरीकों में कई तरह के बदलाव आये हैं. लोग अब पहले से और भी ज्यादा इसे लेकर गंभीर और अवेयर हुए हैं. सेहत के साथ-साथ अब लोगों में एन्वायरनमेंट की फिक्र बढ़ी है. भले ही आज के फ्लैट सिस्टम में बागवानी के लिए लोगों के पास जगह नहीं है, पर शौक तो शौक है. वे अपनी छोटी-सी बगिया को गुलजार बना ही लेते हैं. उधर सरकारी स्तर पर भी ग्रिनरी को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं. ‘काउंटडाउन 09’ की इस कड़ी में पढ़िए अश्वनी कुमार राय की रिपोर्ट.
शहर में बदल गया है बागवानी का तरीका
पिछले 25 वर्षों में बागवानी के तौर-तरीकों में काफी बदलाव आया है. अब बागवानी न केवल हाइटेक होने लगी हैं, बल्कि यह कई लोगों के रोजगार से भी जुड़ गया है और उनकी आजीविका व आमदनी का साधन भी बन गया है. जगह की कमी के बावजूद भी अब खूबसूरत बगिया लोग तैयार कर रहे हैं. इसके लिए कई लोग इससे जुड़े एक्सपर्ट की भी सलाह लेने से नहीं हिचकते.
कई तरह से अब होने लगी है गार्डनिंग
शहरों में पर्याप्त जगह न होते हुए भी लोग गार्डनिंग में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. लॉन व टेरेस गार्डनिंग का क्रेज दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है और उसी के अनुसार पौधों की मांग भी बढ़ रही है. लोग ऑर्नामेंटल से लेकर औषधीय पौधे तक घरों में लगा रहे हैं. इन दिनों वर्टिकल गार्डन, टेरेस गार्डन, किचन गार्डन, इंटीरियर व आउटर गार्डन का क्रेज बढ़ा है.
छोटे से लॉन में बिखर रही हरियाली
आजकल लोग अपनी बालकनी को भी हरा-भरा रखना पसंद करते हैं. इतना ही नहीं वह टेरस या किचन गार्डन भी बना रहे हैं. इसमें वे सजावटी पौधों और फूलों के अलावा फल-सब्जियां भी लगा रहे हैं. घर की टेरस, बालकनी, खिड़कियां या लिविंग रूम या फिर छोटी सी लॉन हरी-भरी रहे इसके लिए वह पूरा जोर देते हैं.
25 वर्षों में तैयार हुए हैं पटना में 73 पार्क
शहर में ग्रिनरी को बढ़ाने के लिए कई पार्कों को भी डेवलप किया गया है. राजधानी वाटिका से लेकर ऊर्जा पार्क और वीर कुंवर सिंह जैसे पार्कों में ग्रिनरी को बढ़ाने के लिए कई पेड़-पौधे लगाये गये हैं. पिछले 25 वर्षों की बात करें, तो यहां सिर्फ मैदान और कुछ ही गार्डन थे. पार्क डिवीजन के अलावा बुद्ध स्मृति पार्क व अन्य पार्कों का निर्माण भी किया गया है, जिसमें ग्रीनरी के साथ-साथ खूबसूरती को भी बढ़ावा दिया गया है.
गिफ्ट में पौधे देने का बढ़ा क्रेज
पहले जब कोई त्यौहार या कार्यक्रम होता था तो मिठाइयों के साथ चमकीले पेपर में कवर्ड गिफ्ट की डिमांड काफी बढ़ जाती थी. बाजार में तरह-तरह के गिफ्ट आइटम की दुकाने सज जाती थीं, लेकिन अब इसका क्रेज कम होता जा रहा है. पिछले कुछ सालों से लोगों में ग्रीन गिफ्ट यानि पौधे गिफ्ट करने का क्रेज काफी बढ़ा है. इससे बाजार में लकी प्लांट्स के साथ-साथ घर के अंदर रखे जाने वाले पौधों की खासी डिमांड बढ़ी है.
अॉक्सीजन देने वाले पौधों की मांग
पौधे ऑक्सीजन देकर हमें जिंदगी देते हैं. इसलिए उपहार के रूप में ऑक्सीजन वाले पौधों की डिमांड ज्यादा है. कैलाथिया मेंडेलियन, रैटल स्नेक प्लांट, स्नेक प्लांट, अफ्रीकन स्पीयर प्लांट, कोस्टा फॉम्र्स, पैथोस जेड, कॉइन प्लांट या चाइनीज मनी प्लांट, बड्र्स नेट फर्न, व्हाइट कैक्टस या व्हाइट घोस्ट, स्पाइडर प्लांट, रोजमैरी, लकी बैंबू प्लांट, बोनसाई, जेड प्लांट या एशियन मनी ट्री, मोथ ऑर्चिड्स की खासी डिमांड है
औषधीय प्लांट
पिछले दो सालों से मेडिसिनल प्लांट्स के प्रति भी लोगों में जागरूकता बढ़ी है. अपनी छोटी सी बगिया में लोग तुलसी से लेकर पुदीना, अजमोद, कूपर पत्ता, एलोवेरा, अजवाइन, लैवेंडर आदि पौधे लगा रहे हैं. जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ सालों में औषधीय पौधों की मांग बढ़ी है. केवल किसान ही नहीं, बल्कि शहरी लोग भी औषधीय व सजावटी पौधे लेने आने लगे हैं.
ये हैं पटना के सरकारी नर्सरी
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सचिवालय एरिया में राजधानी वाटिका
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हवाई अड्डा के पास
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अगमकुआं
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बाढ़
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मसौढ़ी
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दानापुर
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बिहटा
यहां हैं प्राइवेट नर्सरी
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बोरिंग रोड
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गांधी मैदान
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सगुना मोड
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आशियाना मोड
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नाला रोड
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राजेंद्र नगर
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बेली रोड
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इको पार्क के पास
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चितकोहरा
ऑर्नामेंटल प्लांट्स
घरों को प्राकृतिक सुंदरता देने के लिए बागवानी से अच्छा दूसरा कोई विकल्प नहीं. इससे घर की सुंदरता बढ़ती है. शहर के पॉश इलाकों में लोगों ने टेरेस व लॉन गार्डनिंग कर रखी है. ऑर्नामेंटल यानी सजावटी पौधों का भी क्रेज कम नहीं है. प्रमुख तौर पर लोग एरेका पाल्म, स्पाइडर प्लांट, पोथोस, जरबेरा डेजी, मनी प्लांट आदि पौधे लगा रखे हैं.
ऑनलाइन गार्डनिंग के सीख रहे गुर
शहर के कई लोग ऑनलाइन गार्डनिंग के गुर सिखा रहे हैं. फेसबुक, व्हाट्सएप ग्रुप और पर्सनल सोशल मीडिया की मदद से कई महिलाएं दूसरे शहरों के लोगों को घर से ही खेती टिप्स दे रही हैं. हर रोज हरियाली से जुड़ी कुछ नयी चीजें लोगों के साथ साझा कर रही हैं. हरियाली के लिए इन्होंने ब्लॉग, फेसबुक पेज, ट्विटर, व्हाट्सएप ग्रुप और सोशल कम्युनिटी ग्रुप बनाये हैं.
950 लोगों को मिला रोजगार
पार्कों की खूबसूरती बरकरार रहे, पेड़-पौधे सेफ रहे, हर तरफ हरियाली फैली रहे इसके लिए पटना पार्क प्रमंडल द्वारा सभी पार्कों में 850 श्रमिक काम करते हैं, जो उनकी देखरेख करते हैं. इसके अलावा 100 सुपरवाइजर काम करते हैं, जो इन पार्कों व हरियाली की रक्षा के लिए हैं. कई पर्यटक स्थलों पर भी गार्डन की देखरेख के लिए मजदूर व एक्सपर्ट तैनात रहते हैं, जो सीजनल फूल-पौधों के लिए हमेशा गाइड करते हैं.
पटना में पार्कों व अन्य हरियाली को बनाने में क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक डॉ गोपाल सिंह का भी पूर्ण योगदान रहा है. उन्होंने बताया कि 25 वर्षों में हर तरफ हरियाली पर काम किया जा रहा है. लोगों को एक स्वच्छ वातावरण मिले. इसके लिए पिछले वर्ष 2.5 करोड़ व इस वर्ष पांच करोड़ पौधे लगाने का प्रयास है. इसके लिए वन विभाग द्वारा भी काम किया जा रहा है.
पटना में प्लांटेशन
पटना जिला में 2012 से 2020-21 तक करीब 11 लाख पौधारोपण किया गया है. इसमें पटना शहर में लगाये गये करीब दो लाख पौधे शामिल हैं. वहीं पटना शहर में 2016-17 में करीब 1096 पेड़ गिराये गये, जबकि 6050 पौधे लगाये गये. 2017-18 में 1222 पेड़ गिराये गये जबकि 1610 पौधे लगाये गये. इसके साथ ही 2018-19 में 925 पेड़ गिराये गये जबकि 18165 पौधे लगाये गये.
वर्ष 2012 से 2018-19 तक पटना शहर में 80 हजार 605 और पटना जिले में पांच लाख 86 हजार 60 पौधारोपण किया गया. पिछले साल 2.51 करोड़ पौधारोपण के लक्ष्य के तहत पटना प्रमंडल के छह जिलों में करीब 20 लाख पौधारोपण का लक्ष्य था. हालांकि राज्य में कुल लक्ष्य से करीब एक करोड़ अधिक पौधारोपण हुआ और पटना जिला में करीब पांच लाख पौधारोपण का अनुमान है. इसके साथ ही इस साल राज्य में पांच करोड़ पौधारोपण के लक्ष्य पर काम हो रहा है.
Posted by Ashish Jha