प्रभात खबर के 25 साल : स्वाद का जलवा बरकरार, जायके के शौकीनों का शहर है पटना
तेजी से बदल रहे पटना में कई रेस्त्रां, भव्य होटल व खाने-पीने की दुकानें खुल गयी हैं, पर शहर के कुछ ऐसे पुराने होटल्स व दुकाने हैं जिन्होंने पिछले 25 सालों से भी अधिक समय से अपने स्वाद का जलवा बरकरार रखा है.
वैसे तो राजधानी पटना बहुत सारे चीजों के लिए मशहूर है. पर जब बात जायके की आती है तो इस मामले में यह शहर एकदम से खास बन जाता है. यहां के लजीज व जायकेदार फूड्स बड़े स्वादिष्ट होतें हैं. तेजी से बदल रहे पटना में कई रेस्त्रां, भव्य होटल व खाने-पीने की दुकानें खुल गयी हैं, पर शहर के कुछ ऐसे पुराने होटल्स व दुकाने हैं जिन्होंने पिछले 25 सालों से भी अधिक समय से अपने स्वाद का जलवा बरकरार रखा है. ‘काउंटडाउन 2’ में जानिए शहर के ऐसे फूड स्पॉट के बारे में जो न सिर्फ शहर की पहचान बन गये हैं, बल्कि यहां के लजीज व्यंजन देशभर में मशहूर हो गये. यहां परोसे जाने वाले व्यंजनों में न केवल स्वाद बल्कि पोषण का भी समुचित संतुलन होता है. इस कड़ी में पेश है सुबोध कुमार नंदन की रिपोर्ट.
कॉफी हाउस : कॉफी के साथ राजनीतिक चर्चा
कॉफी बोर्ड ऑफ इंडिया ने 1940 में पटना में कॉफी हाउस खोला था. पहले यह संत जोसेफ कॉन्वेंट के सामने अशोक राजपथ पर था. कुछ सालों बाद डाक बंगला के सामने भी एक और ब्रांच खोला गया. 1970 में यहीं कॉफी बोर्ड का ऑपफिस खुला था. जिसे लोग पटना ‘कॉफी हाउस’ के नाम से जानते हैं. उस वक्त कॉफी हाउस का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि बिहार के साहित्य जगत से लेकर राजनीतिक दलों के तमाम दिग्गज न केवल कॉफी का आनंद लेते थे बल्कि राजनीति की चर्चा भी करते थे.
घुघनी-चूड़ा और दही बड़े का जवाब नहीं
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति रोड से गुजरते वक्त इधर से गुजरने वाले लोगों का ध्यान घुघनी-चूड़ा की दुकान पर जरूर जाता है. दुकान के नाम पर केवल एक-दो टेबल और दो बेंच है. लेकिन यहां मिलने वाला घुघनी-चूड़ी का स्वाद लाजवाब है. टुनटुन बताते है कि 42 साल पहले बोर्ड ऑफिस के सटे जो मंदिर है, वहां पहले ठेला पर दुकान लगाते थे. शुरुआती दिनों में केवल चना का घुघनी-चूड़ा और नीबू चाय बेचते थे. वह कहते हैं कि सभी सामान स्वयं तैयार करते हैं. यहां आने वाले लोग घुघनी-चूड़ा व दही बड़े का लुत्फ जरूर उठाते हैं.
मारवाडी आवास गृह: शुद्ध शकाहारी व्यंजन
मारवाड़ी आवास गृह की स्थापना 1943 में स्व श्री गोपी कृष्ण कानोरिया ने की थी. अब उनके पुत्र विनोद कानोरिया इसे आगे बढ़ा रहे हैं. 1943 से आज तक यह अपनी पहचान बनाये हुए है. पहले यहां शुद्ध शाकाहारी भोजन मात्र 25 पैसे प्रति थाली था. जो आज 80 से लेकर 160 रुपये तक में उपलब्ध है. मारवाड़ी आवास गृह की विशेषता यह है कि यहां ठहरने का भी अच्छा प्रबंध है. आठ कमरे से होटल की शुरुआत की गयी थी. आज पांच भवन में कुल 95 कमरें हैं.
पिंटू होटल : रसगुल्ला के लिए था फेमस
पटना कॉलेज के ठीक सामने एनी बेसेंट रोड है. रोड के मुहाने पर वाणी प्रकाशन से सटे एक भवन है. जहां पॉलीक्लिनिक चलता है. इसी भवन में पिंटू होटल था, जहां पटना विवि के छात्रों की भीड़ लगी रहती थी. यहां चार आने का एक रसगुल्ला मिलता था. इस होटल को कोलकाता में बागबाजार के प्रतिष्ठित घोष परिवार (बल्लई घोष) ने 1929 में पिंटू होटल खोला था. पटना वासियों को रसोगुल्ला से परिचित कराने का श्रेय इसी होटल को जाता है.
मनेर का लड्डू बना वर्ल्ड फेम
मनेर का लड्डू अपनी स्वाद, मिठास और देशी घी के सुगंध के कारण सभी मिठाइयों में अपनी खास और अलग पहचान बनाता है. पटना से करीब से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मनेर के लड्डू सिर्फ भारत और बिहार नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर हैं. देश के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां से लड्डू खरीदकर दूसरे देशों में सौगात के रूप में भेजते हैं. अंग्रेजों ने मनेर के लड्डू का स्वाद चखकर इसे वर्ल्ड फेम लड्डू का करार देकर प्रमाणपत्र दिया था. मनेर स्वीट्स में आमिर खान जैसे कई बड़े अभिनेता लड्डू का स्वाद चखने आ चुके हैं.
कपिल देव्स इलेवन: होटल के साथ क्रिकेट का फील
अलग तरह के एंबियंस में खाने का अपना ही स्वाद है. ऐसा ही पटना में एक रेस्टोरेंट है कपिल देव्स इलेवन. इस रेस्टोरेंट को क्रिकेट की थीम पर डेकोरेट किया गया है. यहां भी आपको एक से बढ़कर एक फूड आइटम्स का स्वाद लेने का मौका मिलता है. खासतौर पर वीडियो में यहां के इंटीरियरर्स की शान देखते ही बनती है. यहां आने वालों के िलए खाने के विकल्पों की कमी नहीं है. कई तरह का लजीज व्यंजन यहां मिलता है. लोग यहां खाने के साथ-साथ क्रिकेट का भी फील लेते हैं.
महंगू होटल : नॉनवेज प्रेमियों का पसंदीदा स्पॉट
नया टोला स्थित लगभग 100 वर्ष पुराने महंगू होटल नॉनवेज प्रेमियों के लिए पसंदीदा होटल है. इस होटल में मटन, चिकन और मछली के अलावे बिहारी कबाब, मटन सीक कबाब और चिकन के कई अलग-अलग वैरायटी मिलता है. यहां बटेर, चाहा और बगेड़ी का मांस भी मिलता है. होटल के प्रमुख राजू कुमार ने बताया कि उनके दादा महंगू राम ने पुरानी सचिवालय के पास एक झोपड़ी से शुरू किया था.
इसके बाद लगभग 70 साल पहले नया टोला चौक के पास किराये के दुकान में होटल खोला. महंगू होटल की लोकप्रियता का अंदाजा आप इससे भी लगा सकते हैं कि यहां सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र जैसे नेता भी मटन का स्वाद चख चुके हैं.
सोडा फाउंटेन : मसाला डोसा के लिए था फेमस
गांधी मैदान के पास मोना व रीजेंट सिनेमा हॉल के बीच है ‘सोडा फाउंटेन’. इसे 12 मई 1947 को स्व सत्यनारायण झुनझुनवाला ने साढ़े सात कट्टा में खोला था. लगभग 400 ग्राहकों की बैठने की क्षमता थी. इंग्लैंड से मंगायी गयी सोडा फाउंटेन मशीन के कारण इसका नामकरण हुआ. लंबे वक्त तक यह पटना विवि के छात्रों का अड्डा था. रेस्टोरेंट मसाला डोसा के लिए काफी प्रसिद्ध हुआ करती थी. 30 -70 पैसे में मसाला डोसा, दो पैसे में एक जलेबी व 10 पैसे में इडली मिलता थी.
पिंड बलूची : सबसे ऊंचा फूड प्वाइंट
किसी जगह पर बैठकर खाने का अपना ही मजा है, जहां से पूरे पटना का खूबसूरत नजारा दिखे. पटना में ऐसा ही एक फूड पॉइंट है, जिसका नाम है बिस्कोमान भवन का पिंड बलूची रेस्टोरेंट. जहां लोग लाजवाब ड्रिंक्स और स्पाइसी-लज्जतदार फूड आइटम्स का मजा उठाने जाते हैं. खासतौर पर नॉनवेज खाने वालों का यह बेहतरीन स्पॉट है. यह पटना के प्रसिद्ध रेस्तरां में से एक है. यहां दूर-दूर से लोग खाने के लिए फैमिली के साथ आते हैं.
नंदू की कचौड़ी : पूरे पटना में है फेमस
पटना सिटी अपने आप में कई कहानियों के साथ-साथ लोकल स्ट्रीट फूड का खजाना भी छिपाये हुए हैं, जिन्हें फील और टेस्ट करने के लिए आपको पटना सिटी को एक्सप्लोर करना होगा. पटना सिटी का प्रसिद्ध नंदू की कचौड़ी पूरे पटना में फेमस है. यह दुकान करीब 100 वर्षों से बदस्तुर ऐसे ही चलते आ रही है.यहां की कचौड़ी का स्वाद कई दिग्गज नेता भी ले चुके हैं. यहां लोग दूर-दूर से कचौरी का स्वाद चखने आते हैं.
Posted by Ashish Jha