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प्रभात खबर के 25 साल : बिहार में आधी आबादी को अब पूरा हक, महिला सशक्तीकरण की दिशा में हुए काफी बदलाव

अब पढ़-लिखकर न सिर्फ घर-परिवार संभाल रही हैं, बल्कि नौकरी कर एक स्वतंत्र जीवन का चुनाव भी कर रही हैं. राजनीति का क्षेत्र हो या शिक्षा का या सरकारी व निजी संस्थानों में नौकरियों का, महिलाओं की भागीदारी पिछले ढाई दशक में काफी हद तक बढ़ी है.

पिछले 25 वर्षों में राज्य में महिला सशक्तीकरण की दिशा में काफी बदलाव हुए हैं. यही वह दौर है जब महिलाएं घूंघट हटा कर पंचायतों में गांव की सरकार चलाने लगीं, शिक्षा के क्षेत्र में बेटों से आगे निकलने लगीं और अब सरकारी व निजी संस्थाओं में अपना लोहा मनवा रही हैं. ये अब पढ़-लिखकर न सिर्फ घर-परिवार संभाल रही हैं, बल्कि नौकरी कर एक स्वतंत्र जीवन का चुनाव भी कर रही हैं. राजनीति का क्षेत्र हो या शिक्षा का या सरकारी व निजी संस्थानों में नौकरियों का, महिलाओं की भागीदारी पिछले ढाई दशक में काफी हद तक बढ़ी है. ‘काउंटडाउन 11’ की इस कड़ी पढ़िए साकिब की रिपोर्ट.

‘बेटियां अब बोझ नहीं’ लोगों की बदली यह सोच

बेटियों के लिए बनी कई योजनाओं का सकारात्मक असर हुआ कि माता-पिता बेटियों को अब बोझ नहीं समझते हैं और यह सोच बनी की बेटियां भी बेटों की तरह पढ़ लिख कर नौकरियां कर सकती हैं. हाल के वर्षो में बिहार की बेटियों ने सरकारी योजनाओं का लाभ उठा खुद को सशक्त किया है. इसके कारण अब राज्य की श्रम शक्ति में उनकी हिस्सेदारी बढ़ रही है. हालांकि अभी कुल श्रम शक्ति में उनकी उपस्थिति अब भी कम है.

महिला पुलिसकर्मी को ले बिहार देश भर में अव्वल

एक जनवरी 2020 तक के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में कुल पुलिस बल की संख्या 91862 थी, इसमें से 23,245 महिला पुलिसकर्मी थी जो कि कुल संख्या का 25.30 % है. कुल महिला पुलिसकर्मियों के % के लिहाज से बिहार अब देश भर में अव्वल बन चुका है. इस आंकड़े में अप्रैल 2021 में सिपाही भर्ती का आया रिजल्ट शामिल नहीं है. इस रिजल्ट में सफल घोषित 11,838 अभ्यर्थियों में से भी 43 % महिलाएं थी.

दो लाख महिला शिक्षक हैं राज्य में

राज्य में पिछले 15 वर्षो में महिला शिक्षकों की संख्या लगातार बढ़ती गयी है. शिक्षा विभाग राज्य में महिलाओं को सरकारी नौकरी देने वाला सबसे बड़ा विभाग भी है. प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के 50 प्रतिशत पद अब महिलाओं के लिए आरक्षित हैं. एक अनुमान के मुताबिक राज्य में कार्यरत करीब साढ़े तीन लाख शिक्षकों में से दो लाख शिक्षक महिलाएं हैं. बिहार में महिलाओं की साक्षरता दर की बात करें तो यह शहरी क्षेत्र में 75.9% है.

मेडिकल से लेकर वकालत तक में बढ़ती जा रही संख्या

राज्य में महिलाएं अनेकों नये क्षेत्रों में अब अपनी पहचान बना रही हैं. मेडिकल क्षेत्र की बात करें तो राज्य में करीब चार हजार से ज्यादा महिलाएं डॉक्टर हैं. हाल के वर्षों में मेडिकल काॅलेजों में दाखिला लेने वाली छात्राओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है. वकालत के क्षेत्र में भी राज्य की बेटियां अपनी जगह बना रही हैं. हजारों की संख्या में महिलाएं राज्य में वकालत कर रही हैं. इंजीनियरिंग हो या अन्य तकनीकी कार्य उसमें भी महिलाओं की संख्या बढ़ी है.

21.8% को मिलती है नियमित मजदूरी

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के 2018-19 के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में आर्थिक गतिविधियों से जुड़ कर रोजागार पाने वाली महिला श्रमिकों में सिर्फ 21.8 % को नियमित मजदूरी या वेतन मिलता है. वहीं अनियमित महिला श्रमिकों की संख्या 38.2 प्रतिशत है. जबकि 40% महिला श्रमिक स्वनियोजित थी. 32.3 % महिला श्रमिक स्वाश्रम श्रमिक या नियोक्ता थी. 7.7 % महिला श्रमिक घरेलू कार्यों में सहायक का काम कर रही थी.

‘जीविका’ से महिलाओं की सुधरी आर्थिक स्थिति

बिहार ग्रामीण जीविका मिशन या जीविका राज्य की ग्रामीण महिलाओं को सशक्त कर रही है. इस से जुड़ महिलाएं स्वयं सहायता समूह बनाकर सरकारी योजनाओं का बेहतर तरीके से लाभ उठा रही हैं. सितंबर 2020 तक राज्य में जीविका के 10, 16,863 स्वयं सहायता समूह बन चुके थे. समूह से जुड़ी महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो रही हैं.

मनरेगा ने खूब बनाया सशक्त

महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना अधिनियम 2005 ने भी बिहार की महिलाओं को खूब सशक्त किया है. मनरेगा के नाम से जानी जाने वाली इस योजना के तहत करीब 15 वर्षो से बिहार की महिला मजदूरों को उनके गांवों में ही 100 दिनों का रोजगार मिलने लगा है. योजना के तहत पिछले पांच वर्षों में तो तेजी से कुल सजत रोजगार में महिलाओं का प्रतिशत बढ़ा है.

सजृत रोजगार में महिलाओं का हिस्सा 2015 -16 में 40.9 प्रतिशत था जो कि 2019-20 में बढ़ कर 55.9 प्रतिशत हो गया है. आंकड़े बता रहे हैं कि मनरेगा योजना का ज्यादा फायदा अब महिलाओं को मिल रहा है. मनरेगा के तहत रोजगार की बात करें को 2019-20 में 1418.9 लाख व्यक्ति दिवस रोजगार का सृजन हुआ था.

25 वर्षों में आये ये बदलाव

  • 25 सालों में हर जगह दिखती है महिलाओं की सशक्त मौजूदगी

  • पंचायतों से लेकर पुलिस की नौकरी तक में बेटियों की बढ़ी भागीदारी

  • वर्कफोर्स में लगातार बढ़ रही महिलाओं की हिस्सेदारी

  • लड़कियां कॉलेजों में पढ़े इसके लिए पीजी तक शिक्षा निःशुल्क

विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी

  • 66.8% कृषि, वानिकी, एवं मत्स्याखेट

  • 16.7% शिक्षा

  • 3.6% विनिर्माण

  • 1.6% निर्माण

  • 4.0% थोक एवं खुदरा व्यापार

  • 2.2% मानव स्वास्थ्य एवं सामाजिक कार्य

  • 0.8% निवास एवं आहार सेवा कार्य

  • 0.1% सूचना एंव संचार

  • 0.4% वित्तीय और बीमा कार्य

  • 0.3% पेशेवर, वैज्ञानिक एवं तकनीकी कार्य

  • 0.8% प्रशासनिक

महिलाओं की बढ़ी दखल

राज्य में पिछले 25 वर्षों में महिला सशक्तिकरण की दिशा में काफी काम हुआ है. इसका परिणाम रहा है कि सरकारी से लेकर निजी सेवाओं और रोजगार के सभी क्षेत्रों में महिलाओं का दखल बढ़ा है. अब बिहार में हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. सरकारी योजनाओं ने महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया है. खासतौर से पिछले 15 वर्षों में विभिन्न सरकारी योजनाओं ने राज्य मेंबेटियों के हौसलों को उड़ान दी है.

इन योजनाओं से मिली ताकत

500 रुपये बेटी के जन्म पर दिये जा रहे पेरेंट्स को

300 रुपये दिये जाते हैं स्कूल जाने वाली किशोरियों को

1500 रुपये मिलता है स्कूल यूनिफॉर्म के लिए

5000 रुपये बीपीएल परिवारों की बालिग बेटियों की शादी के रजिस्ट्रेशन पर

35% आरक्षण महिलाओं को दिया जा रहा सरकारी नौकरियों में

180 दिनों का मैटरनिटी अवकाश मिलता है सरकारी नौकरी कर रही महिलाओं को

50% आरक्षण दिया जा रहा पंचायत और नगर निकाय चुनावों में

5 लाख तक का अनुदान मिलता है महिला उद्यमियों को

50 रजिस्ट्रेशन शुल्क माफ कमर्शियल वाहन खरीदने पर

सबसे ज्यादा इस सेक्टर में महिलाएं

2018-19 के इन आंकड़ों के मुताबिक राज्य में पुरुषों की तरह ही महिला श्रमिकों को भी सबसे ज्यादा रोजगार कृषि, वानिकी और मछली से जुड़े कार्यो में मिल रहा है. कुल श्रम शक्ति में इन क्षेत्रों से 47.9 प्रतिशत पुरुष 66.8 प्रतिशत महिला श्रमिक नियोजित हैं.

Posted by Ashish Jha

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