सीतामढ़ी. अयोध्या की तरह ही सीतामढ़ी को भी धार्मिक पर्यटन का केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है. इसपर केंद्र और राज्य के साथ साथ-साथ अन्य संगठनों ने भी काम करना शुरू कर दिया है. विदेह पुत्री सीता की जन्म स्थली में जल्द ही उनकी 251 फुट ऊंची प्रतिमा लगेगी. यह बात सीतामढ़ी के जदयू सांसद सुनील कुमार पिंटू ने परिसदन में पत्रकारों से बात करते हुए कही है.
सांसद ने कहा कि सीतामढ़ी के डुमरा के राघोपुर बखरी में स्थापित होनेवाली इस प्रतिमा के लिए अब तक बखंड़ी महंत सहित कई किसानों ने लगभग 24.40 डिसमिल जमीन दान में दी है. जमीन का इकरारनामा भी हो चुका है. उन्होंने कहा कि इस प्रतिमा को देखने लाखों की संख्या में पर्यटक सीतामढ़ी आएंगे. सांसद ने कहा कि इसको लेकर राज्य और केंद्र सरकार भी पहल कर रही है.
सांसद सुनील कुमार पिंटू ने कहा कि हमने सरकार से कुल 33.86 एकड़ भूमि का रजिस्ट्री-शुल्क माफ करने की अपील की है. इस संबंध में बिहार सरकार को एक प्रस्ताव भेजा जा रहा है. सांसद ने कहा कि पूरी परियोजना का काम संत परमहंस स्वामी की देखरेख में हो रहा है. सांसद ने कहा भूमि पूजन के कार्य की तैयारी जोर शोर से किया जा रहा है. इस कार्य के शुभारंभ होने पर भूमि पूजन का कार्य देश के प्रधानमंत्री या फिर राष्ट्रपति के हाथों होने की पूरी संभावना है. जल्द ही जिले वासियों को इस का सुखद समाचार मिलेगा.
इस अवसर पर रामायण रिसर्च काउंसिल के राष्ट्रीय संयोजक रविकांत गर्ग सहित कई लोग मौजूद थे. इस परियोजना के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए रविकांत गर्ग ने कहा कि रामायण रिसर्च काउंसिल अयोध्या में राम की प्रतिमा की तरह ही सीतामढ़ी में सीता की सबसे ऊंची प्रतिमा का निर्माण कराने जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है. सीतामढ़ी में जल्द ही 251 फुट ऊंची सीता की प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि इस पूरी परियोजना पर तकरीबन 400 करोड़ खर्च होंगे. करीब 6 एकड़ भूमि का एग्रीमेंट कर दिया है. काउंसिल ने अब तक कुल 24.39 एकड़ भूमि का एग्रीमेंट कर लिया है. परियोजना को लेकर उन्होंने कहा कि इसमें मैथिली के बाल्यकाल से लेकर स्वयंबर समेत सभी महत्वपूर्ण जीवनवृतों को 108 मूर्तियों के सहारे सजाने की कोशिश की जायेगी. इतना ही नहीं, नौका बिहार से पूरे स्थल को जोड़ा जायेगा साथ ही दूसरे पर्यटन सुविधाओं से भी इसको सुसज्जित करने की योजना है. अयोध्या में भगवान के मंदिर निर्माण पर जितनी लागत आ रही है कमोबेश उतना ही खर्च इस योजना पर होगा.
जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हिमालयन योगी स्वामी वीरेंद्रानंद जी महाराज ने बताया कि काउंसिल के मुख्य मार्गदर्शक श्री श्री 1008 परमहंस स्वामी सांदीपेंद्र जी महाराज उस स्थान को एक शक्ति-स्थल के रूप में विकसित करना चाहते हैं. इसके लिए 51 शक्तिपीठों समेत, इंडोनेशिया, बाली, अशोक वाटिका जैसे स्थानों से मिट्टी व जल जाकर और मध्य प्रदेश में नलखेड़ा स्थित माता बगलामुखीजी की ज्योत लाकर माता सीताजी को श्रीभगवती के रूप में स्थापित किया जाएगा.