* इओयू व विजिलेंस के सिपाही व हवलदार कर रहे रेकी
* रियल इस्टेट में लगाये जा रहे धन की हो रही जांच
* रिश्तेदार आपसी झगड़े में खोल रहे भेद
।। कौशलेंद्र मिश्र ।।
पटना : दो जुलाई. शाम सात बजे. दानापुर के आर्य समाज रोड स्थित पान की दुकान पर दो नौजवान खड़े थे. दो–तीन लोग वहां पान खाने के इरादे से पहुंचे. बातचीत का सिलसिला चल निकला. जमीनों व फ्लैटों की बढ़ती कीमतों पर चर्चा चली. पता चला कि इस इलाके में बने भव्य शैल रीजेंसी में एक अधिकारी ने फ्लैट बुक कराया है. वह अधिकारी ग्रामीण कार्य विभाग, नवादा में तैनात कार्यपालक अभियंता रामचंद्र गुप्ता हैं.
बस, उनकी नजर शैल रीजेंसी के फ्लैट नंबर 402 पर जा टिकी. थोड़ी जानकारी और एकत्र करने की कोशिश की गयी, तो पता चला कि उनका मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा थाना अंतर्गत एमआइटी के सामने दाउदपुर कोठी में भी मकान है. इंजीनियर साहब ने सीतामढ़ी स्थित डुमरा रोड पर किराये के मकान में भी निवास बना रखा है.
उन लोगों इसकी जानकारी आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) के वरीय अधिकारियों को दी. फिर तो उनकी आय के स्नेत और जमीन की खरीद–बिक्री को भी टटोला जाने लगा. दरअसल, ये इओयू के ही पुलिसकर्मी थे. इन दिनों सादे लिबास में पुलिसकर्मी मुहल्लों में घूम–घूम कर करोड़पति लोक सेवकों की टोह ले रहे हैं.
इनमें वैसे नौजवान पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया है, जो काफी तेज–तर्रार व युवकों में जल्दी घुलने–मिलने में माहिर हैं. इनकी नजर विशेष रूप से रियल इस्टेट में लगाये जा रहे धन पर है. इनमें निगरानी ब्यूरो व इओयू के सिपाही व हवलदार रैंक के पुलिसकर्मी शामिल हैं.
* घर फूटा, गंवार लूटा
एक सज्जन बड़े पद पर हैं. उन्होंने पैसा बहुत कमाया. भाई–भाई में झगड़ा हो गया. संपत्ति बंट गयी. लेकिन, लालच नहीं गया. गांव में जब बीएमडब्ल्यू, लैंड क्रूजर जैसी महंगी गाड़ियां आकर लगने लगीं, तो गोतिया बड़े हैरान हुए. उन्होंने समस्तीपुर में पीएचइडी में तैनात इस कार्यपालक अभियंता की गाड़ियों के बारे में जानकारी पुलिस को उपलब्ध करा दी. जब उक्त अधिकारी के सात ठिकानों पर इओयू ने छापेमारी की, तो महंगी गाड़ियों के अलावा 20 लाख से अधिक के निवेश, पटना व आसपास के इलाकों में 20 से अधिक अचल संपत्ति की खरीद की भी जानकारी मिली.
* बेनामी पत्र भी मिल रहे
पुलिस के कार्यालय हों या कोई भी सरकारी दफ्तर, बेनामी पत्र व फोन के माध्यम से भी सूचनाएं पुलिस मुख्यालय व विजिलेंस ब्यूरो के पास उपलब्ध करायी जा रही हैं. इनके आधार पर पुलिस द्वारा आरोपों की पूरी छानबीन की जा रही है.
* पहले सबूत, फिर कार्रवाई
सरकारी अधिकारियों व कर्मियों द्वारा भ्रष्ट तरीके से कमाई गयी संपत्ति की जानकारी उन पर कार्रवाई के पहले ही निगरानी अन्वेषण ब्यूरो व इओयू द्वारा जुटा ली जा रही है. इसमें निबंधक, भूमि निबंधन से सबसे अधिक सहयोग मिल रहा है.
बैंकों द्वारा भी आरोपितों के खातों की जानकारी कार्रवाई के बाद आसानी से उपलब्ध करा दी जा रही है. उनके बैंक लॉकर भी खोल कर खंगाले जा रहे हैं. इनके साथ ही राज्य सरकार के निर्देश पर वेबसाइट पर उपलब्ध सरकारी कर्मियों द्वारा दाखिल वार्षिक संपत्ति विवरणी से काफी मदद मिल रही है. आयकर विभाग भी भ्रष्ट अधिकारियों के बारे में पुख्ता जानकारी उपलब्ध करा रहा है.
* अब तक 200 करोड़ की संपत्ति जब्त
भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत इओयू ने अब तक 19 कांडों व विजिलेंस ने एक साल में आय से अधिक संपत्ति के तीन कांड दर्ज किये हैं. इनके माध्यम से 200 करोड़ रुपये अधिक की संपत्ति जब्त की जा चुकी है.
* भ्रष्टाचार व अपराध नियंत्रण के लिए अब तक की पहल
* 2006 में स्पीडी ट्रायल की शुरुआत
* 2006 में आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई
* 2006 में विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) का गठन
* स्पीडी ट्रायल के तहत दिसंबर 2012 तक 75690 अपराधियों को सजा
* 2009 में बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम, 2009 (बिहार अधिनियम, 5, 2010)
* 2009 में छह विशेष न्यायालयों का गठन पटना, भागलपुर व मुजफ्फरपुर
* 2012 आर्थिक अपराध इकाई का गठन
* अबतक 528 ट्रैप केस दर्ज किये गये
– निगरानी ब्यूरो रिश्वतखोरी व आय से अधिक संपत्ति अजिर्त करने के मामले में सख्त कार्रवाई कर रहा है, आरोपित के विरुद्ध 80 फीसदी जानकारी पहले ही जुटा ली जा रही है.
पीके ठाकुर, डीजी, निगरानी
* गिरफ्तार लोक सेवक
बीडीओ13
मुखिया 04
पुलिसकमी51
इंजीनियर33
* कितने की हुई संपत्ति जब्त : तीन (पूर्व आइएएस एसएस वर्मा, ट्रेजरी सहायक गिरिश कुमार व पूर्व डीजीपी नारायण मिश्र)
* कितने की संपत्ति की जब्ती का हुआ है आदेश : 5 (एक अपील में तो दूसरा को मिला उच्च न्यायालय से रिलीफ)
* आय से अधिक संपत्ति के कुल मामले कोर्ट में चल रहे है : 49
* भ्रष्टाचार उन्मूलन को अभियान का रूप देना है. इससे ही अपराध को प्रश्रय मिलता है, गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है. पूर्व छानबीन व शिकायतों के आधार पर कार्रवाई की जा रही है.
अभयानंद, डीजीपी
– एक दर्जन से ज्यादा लोकसेवकों पर चल रहे आय से अधिक संपत्ति के मामले
1. वाइ के जायसवाल : पूर्व राज्य औषधि महानियंत्रक
2. कालिका प्रसाद सिन्हा : पूर्व आइएएस
3. अवधेश प्रसाद : पूर्व मुख्य अभियंता
4. रघुवंश कुंवर : एमवीआइ अधिकारी
5. श्रीकांत प्रसाद : कार्यपालक अभियंता
6. श्याम नारायण सिंह : पूर्व खनन निरीक्षक
7. रत्ना गांगुली वअमिताभ गांगूली : बाढ राहत घोटाला
8. राम नरेश सिंह : जीएम, बिहार राज्य विद्युत बोर्ड
9. सोने लाल हेम्ब्रम : पूर्व उत्पाद आयुक्त व विधायक
10. अजय कुमार प्रसाद : कार्यपालक अभियंता, पेसू
11. मनोज मानकर : पूर्व परीक्षा नियंत्रक, आइटीआइ, दीघा
12. हीराकांत झा : कार्यपालक अभियंता, भवन निर्माण
13. अखिलेश कुमार शर्मा : पूर्व इंजीनियर
14. लक्ष्मण प्रसाद : हेड क्लर्क
– आरपीएफ कमांडेंट की करतूत
* ससुराल पर मेहरबानी चंडीगढ़ में तीन मकान
पटना: आय से अधिक संपत्ति मामले में रांची में पदस्थापित आरोपित आरपीएफ कमांडेंट ससुराल पर भी मेहरबान रहे हैं. उन्होंने अपनी कमाई का अधिकतर हिस्सा सास–ससुर के नाम पर संपत्ति बनाने में लगाया. सीबीआइ जांच में चंडीगढ़ में तीन मकान के प्रमाण मिले हैं, जो कमांडेंट ने सास–ससुर के नाम पर खरीदा है.
रांची के अशोक नगर स्थित तीन मंजिले मकान से बरामद टोयोटा कंपनी की करोला गाड़ी को आरोपित ने ससुर रघुवीर सिंह के नाम से खरीदा है. इसके साथ ही इनोवा गाड़ी भी बरामद की गयी है. एक मकान में छापेमारी के क्रम में अन्य मकानों की जानकारी मिली. उनके ससुर एजी सर्विस से सेवानिवृत्ति हुए हैं.
आरोपित कमांडेंट द्वारा दिल्ली के पॉश इलाके डिफेंस कॉलोनी में, जहां डेढ़ से दो करोड़ रुपये एक फ्लैट की कीमत है, वहां मात्र 50 लाख में खरीदने की जानकारी मिली है.
–नौ लाख का है रांची स्थित मकान का गेट
सीबीआइ सूत्रों के अनुसार सीबीआइ की टीम ने अशोक नगर, रांची स्थित पॉश इलाके में आरोपित आरपीएफ कमांडेंट एसके दूबे द्वारा खरीदी गयी जमीन व भव्य तीन मंजिला मकान का मूल्यांकन कार्य शुरू कर दिया है. सूत्रों के अनुसार इस भव्य मकान में सिर्फ गेट ही 10 लाख रुपये का है. पूरे मकान को अत्याधुनिक तरीके से तैयार किया गया है. घर में मौजूद समानों की कीमत लगभग 17 लाख रुपये आंकी गयी है. सभी कमरे एयरकंडीशंड है. हर कमरे में एलसीडी टीवी लगा है.