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Bhagalpur: स्वास्थ्य मंत्री जी सुनीए…अस्पताल में चाहिए 288 जरूरी दवा, उपलब्ध 153 से कैसे हो बेहतर इलाज?

Bhagalpur: सरकारी आदेश है कि जिले के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए 288 तरह की दवा हर हाल में रहे, लेकिन यहां सरकारी आदेश को ताक पर रख दिया गया. पिछले दिनों दवा की उपलब्धता को लेकर तीन महीने की समीक्षा में पाया गया कि सरकारी अस्पताल के प्रभारी एजेंसी से 153 तरह की दवा मांग रहे हैं.

भागलपुर: सरकारी आदेश है कि जिले के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए 288 तरह की दवा हर हाल में रहे, लेकिन यहां सरकारी आदेश को ताक पर रख दिया गया. पिछले दिनों दवा की उपलब्धता को लेकर तीन महीने की समीक्षा में पाया गया कि सरकारी अस्पताल के प्रभारी एजेंसी से 153 तरह की दवा मांग रहे हैं.

नाराज सीएस ने प्रभारी को लिखा पत्र

नाराज सीएस ने प्रभारी को पत्र लिख कर स्पष्टीकरण पूछा है. इस लापरवाही का असर सीधे मरीजों पर होता है. पहले से ही मरीजों को सरकारी अस्पताल में पूरी दवा नहीं दी जाती है. जरूरी कुछ दवा थमा दी जाती है. अगर मरीज को ताकत या खून बनने समेत अन्य तरह की दवा जरूरी होता है. दवा काउंटर पर दवा उपलब्ध नहीं होने से उनको वापस कर दिया जाता है

153 तरह की दवा मांगा, बाकी बाहर से खरीद करेंगे मरीज

सरकारी आदेश है कि सरकारी अस्पताल में अति आवश्यक व जरूरी दवा का स्टोर रहे. डाॅक्टर जो दवा लिख कर देंगे वह अस्पताल के दवा काउंटर से आसानी से मिल जाये. अस्पताल के डाॅक्टर रोगी को 288 तरह की दवा में से जो मरीज के लिए जरूरी होती है उसे लिख कर देते हैं. डाॅक्टर को मालूम है सभी दवा उपलब्ध है, इसलिए मरीज को लिख देते हैं. दवा काउंटर पर 153 तरह की दवा उपलब्ध है. स्टोर में आधी दवा उपलब्ध रहने से निराश होकर मरीज मेडिकल स्टोर जाने को विवश हो जाते हैं.

सीएस ने लिखा पत्र, कहा यह लापरवाही सही नहीं

इस लापरवाही से नाराज सीएस ने सभी अस्पताल प्रभारी व हेल्थ मैनेजर को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि यह हरकत सरकारी आदेश की अवहेलना है. सूची को अपडेट कर फिर से मुख्यालय भेजे, जिससे एजेंसी से दवा उपलब्ध हो सके. एेसा नहीं किया गया, तो लापरवाही मानी जायेगी आैर एक-एक पर एक्शन लिया जायेगा.

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