पटना: राजभवन से अगर मंगलवार की दोपहर तक कोई संदेश नहीं आया, तो जदयू विधायक दल के नेता नीतीश कुमार अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली रवाना होंगे. नीतीश खेमा राजभवन की ओर से लंबी तारीख का इंतजार नहीं करेगा. नीतीश कुमार के साथ सवा सौ विधायकों का जत्था दिल्ली जायेगा, जहां राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के समक्ष विधायकों की परेड करायी जायेगी.
सूत्र के मुताबिक बुधवार को राष्ट्रपति भवन में नीतीश कुमार को प्रणब मुखर्जी से मुलाकात का समय मिल सकता है. रणनीति यह है कि मंगलवार की दोपहर तक राजभवन से किसी संदेश का इंतजार किया जाये. संदेश आ जाने पर उसी के अनुसार आगे की रणनीति बनेगी. लेकिन, यदि कोई संदेश नहीं आया, तो विधायकों की टीम के साथ नीतीश कुमार दिल्ली के लिए कूच कर जायेंगे. प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने इसकी तैयारी की पुष्टि की है.
जदयू के अलावा राजद, कांग्रेस व भाकपा के विधायकों को दिल्ली चलने की तैयारी करने का निर्देश दिया गया है. इसके लिए विमान के टिकटों की प्रबंध किया जा रहा है. जदयू सूत्रों के मुताबिक इंडिगो एयरवेज में 75 से अधिक सीटें आरक्षित करायी गयी हैं. राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किये जाने के बाद खुद नीतीश कुमार ने भी इसका खुलासा किया. उन्होंने कहा कि यदि राजभवन से कोई निर्णय लिये जाने में देरी या आनाकानी होती है, तो वह चुप नहीं बैठेंगे. विधायकों के साथ दिल्ली जाकर राष्ट्रपति के समक्ष हस्तक्षेप की गुहार लगायेंगे. जदयू को उम्मीद है कि राज्यपाल लंबा इंतजार नहीं करायेंगे. जल्द ही निर्णय लिया जायेगा.
दोपहर 1:30 बजे नीतीश राजभवन पहुंचे, बोले
पटना: जदयू विधायक दल के नवनिर्वाचित नेता नीतीश कुमार ने सोमवार को राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी से मिल कर बहुमत का दावा किया और सरकार बनाने के लिए जल्द न्योता देने की मांग की. नीतीश कुमार के आवास से जदयू के विधायक और लालू प्रसाद के आवास से राजद के विधायक पैदल राजभवन मार्च किया. करीब डेढ़ बजे शरद यादव, वशिष्ठ नारायण सिंह और सदानंद सिंह के साथ नीतीश कुमार राजभवन पहुंचे. उन्होंने राज्यपाल के समक्ष 130 विधायकों के समर्थन का दावा किया. इस दौरान नीतीश कुमार के समर्थक विधायक अपने गले में आइ कार्ड लटका कर राजभवन के बाहर खड़े रहे.
करीब 45 मिनट तक राजभवन में रहने के बाद नीतीश, शरद और लालू ने बाहर निकल आये और राज्यपाल से कही गयी बातों का ब्योरा दिया. नीतीश कुमार ने कहा कि सात फरवरी को जदयू विधानमंडल दल की बैठक के बाद आठ फरवरी को ही लिखित तौर पर दावा पेश कर दिया गया था. राज्यपाल को पूरी स्थिति से अवगत करा दिया गया है. जदयू की जब सरकार बनी, तो राजद, कांग्रेस, सीपीआइ और निर्दलीय विधायकों ने समर्थन दिया था. विधानमंडल दल के नये नेता के चयन के बाद फिर से इन दलों ने समर्थन दिया है. हमारे पास पूर्ण बहुमत है और सरकार बनाने में किसी प्रकार का विलंब नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि कुछ लोग सरकार बनाने या बहुमत की बात करते हैं, तो 24-48 घंटे में सिद्ध कर दें, नहीं तो राज्यपाल हमें मौका दें.
हम बहुमत सिद्ध कर देंगे. नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार विधानसभा और विधान परिषद से जदयू विधानमंडल दल के नेता के रूप में मुङो मान्यता मिल गयी. किसी भी चुनाव के बाद निर्वाचन आयोग की भूमिका रहती है और उसके बाद विधानसभा की भूमिका होती है. इस आधार पर जो सरकार थी, उसके स्थान पर दूसरी सरकार के गठन की बात हो रही है. इसे राजद, कांग्रेस, सीपीआइ व निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है. नीतीश कुमार ने राज्यपाल को बताया कि हमारे समर्थित 130 विधायक आइ कार्ड के साथ राजभवन के बाहर खड़े हैं. वह अगर अनुमति दें, तो सभी विधायकों की परेड करा दें. इस पर राज्यपाल ने कहा कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है. नीतीश कुमार ने चेतावनी दी कि यदि सरकार बनाने का न्योता देने में कोई आनाकानी की गयी, तो हम सभी विधायकों के साथ राष्ट्रपति के पास धरना देंगे.
कौन-सी हो सरकार, बजट सत्र से पहले हो निर्धारण
नीतीश कुमार ने कहा कि 20 फरवरी से बजट सत्र बुलाया गया है. लंबा सत्र होता है. इसमें राज्यपाल का अभिभाषण होता है. नीतिगत रूप से सरकार द्वारा तैयार किये गये अभिभाषण को वह पढ़ते हैं. ऐसे में राज्यपाल कौन-सी सरकार के अभिभाषण को पढ़ेंगे? कौन-सी सरकार का बजट पेश होगा? बिहार में कौन-सी सरकार है, इसका निर्धारण बजट सत्र से पहले हो जाना चाहिए. इसलिए निर्णय तत्काल होना चाहिए. इस पर राज्यपाल ने भी स्वीकारा कि मामले का जल्द निबटारा होना चाहिए.
राज्यपाल से मिलनेवालों में श्याम रजक, विजय कुमार चौधरी, पीके शाही, राजद विधायक दल के नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी, सांसद प्रेमचंद गुप्ता समेत अन्य नेता मौजूद थे.
हॉर्स ट्रेडिंग का लाइसेंस लेकर आये हैं मांझी : नीतीश
नीतीश कुमार ने कहा कि जिस प्रकार का वातावरण बनाने की कोशिश की जा रही है, उससे हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा मिलेगा. मांझी जबसे प्रधानमंत्री से मिल कर लौटे हैं, लगता है कि वह हॉर्स ट्रेडिंग का लाइसेंस लेकर आये हैं. उनके पास बहुमत नहीं है. भाजपा और कुछ निर्दलीय विधायक उनके पास हैं. वह कौन-सी पार्टी के हैं? वह जिस दल के नेता थे, उस दल से उनकी सदस्यता भी समाप्त हो गयी है. मंत्रिमंडल विस्तार की बात हो रही है. यह असंवैधानिक है. जो भी काम हो रहा है, वह भाजपा के इशारे पर हो रहा है. जदयू को यह समझ में आया, तो नये नेता का चयन किया गया.
कैबिनेट में आम सहमति से होता है निर्णय
नीतीश कुमार ने कहा कि कैबिनेट में हमेशा कांसेसनेस (आम सहमति) से निर्णय लिया जाता है. अगर दो तिहाई मंत्री किसी प्रस्ताव का विरोध करते हैं, तो उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया जाता है या दुरुस्त कर फिर से लाया जाता है. लेकिन, बिहार में पहला उदाहरण है, जहां मंत्रियों के विरोध के बाद भी विधानसभा भंग करने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री के विवेक पर छोड़ दिया गया. बिहार विधानसभा विघटन के लिए तथाकथित जो अधिकार की बात हो रही है, उसमें कोई दम नहीं है. कैबिनेट विस्तार की बात हो रही है, जो असंवैधानिक है. कैबिनेट विस्तार के प्रस्ताव की सूचना से राज्यपाल ने इनकार किया और 20 मंत्रियों के इस्तीफा स्वीकार करने की भी जानकारी दी.
सत्ता के लिए नहीं आ रहा
नीतीश कुमार ने कहा कि मैं सत्ता के लिए नहीं आ रहा हूं. जो परिस्थिति पैदा हो गयी थी, उसके चलते आ रहा हूं. लोकतंत्र का गला घोटने की जो कोशिश हो रही है, उसके खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हुआ हूं. अब मैं पूरे मन से आ रहा हूं. डिगनेवाला नहीं हूं. फ्रंट से लीड करूंगा.
उन्होंने कहा कि राज्यपाल शपथ ग्रहण के लिए एक तारीख दें. जदयू का बहुमत डिगनेवाला नहीं है. अगर सरकार बनाने में देरी होती है, तो यह 10वीं अनुसूची की मूल भावना की धज्जियां उड़ाने जैसा होगा और साफ लगेगा कि केंद्र सरकार के इशारे पर हो रहा है.