बिहार के 12 नगर निगमों से निकल रहा 32 हजार टन प्लास्टिक कचरा, टास्क फोर्स की लापरवाही से कोर्ट नाराज

बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ अशोक कुमार घोष ने कहा कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड रेग्यूलेटिंग एजेंसी है. एक्शन दूसरे विभागों को लेना है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 12, 2020 6:59 AM

राजदेव पांडेय, पटना. प्लास्टिक कचरा नियंत्रण के लिए गठित टास्क फोर्स की लापरवाही से प्लास्टिक प्रदेश के पर्यावरण का अभी भी सबसे बड़ा दुश्मन बना हुआ है.

प्लास्टिक कचरा फैलाने में सबसे बड़ा योगदान शहर दे रहे हैं. वर्ष 2019-20 में 43394 टन प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन में प्रदेश के बड़े बारह नगर निगमों की हिस्सेदारी 32 380 टन की है. चिंता की बात यह है कि प्लास्टिक कचरे के नियंत्रण की दिशा में कोविड संक्रमण के पिछले सात महीनो मेंं सरकारी एजेंसियों ने नाम मात्र की सक्रियता नहीं दिखाई है.

ऐसे में हाइकोर्ट की तरफ से नाराजगी जाहिर करनी स्वाभाविक है. हाइकोर्ट से फटकार मिलने के बाद पॉल्यूूशन कंट्रोल बोर्ड जवाब सौंपने जा रहा है. स्वाभाविक है कि वह अपने जवाब में सरकारी विभागों के ज्वाइंट टास्क फोर्स को कटघरे में खड़ा करेगा.

दरअसल जिला स्तर पर गठित टास्क फोर्स ने प्लास्टिक कचरा नियंत्रण की दिशा में अभी तक गंभीरतापूर्वक रुचि नहीं ली गयी है. हालांकि प्लास्टिक कचरे पर नियंत्रण के लिए बिहार पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने 203 से अधिक ब्रांड ऑनर्स को क्लोजर नोटिस दिये थे.

ये वे कंपनियां थीं, जो ग्लोबल स्तर पर शीतल पेय,बिस्किट और दूसरे खाद्य उत्पाद आदि की आपूर्ति करती हैं. इतना शिकंजा कसने के बाद प्रदेश में प्लास्टिक पैकेजिंग में उत्पाद बेच रही 38 कंपनियों ने अपने प्लास्टिक कचरे इकठ्ठा करने का दावा किया है.

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड इस दावे का अब सत्यापन करने जा रहा है. उल्लेखनीय है कि प्लास्टिक उत्पाद और उसमें पैकेजिंग करने वालों की कानूनी जिम्मेदारी है कि वह अपने कचरे का खुद संग्रह करें.

जानकारी के मुताबिक पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने प्लास्टिक कचरा री सायकल के लिए 14 एजेंसियों का रजिस्ट्रेशन भी किया है. जिसकी सूची हाल ही में अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक की है.

हालांकि सामान्य दुकानदारों पर अभी तक कोई खास एक्शन नहीं देखा गया है, जिसका खामियाजा दूषित हो रही भूमि और भूजल का दंश झेलना पड़ रहा है. इसका सीधा असर नागरिकों और दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है.

सरकारी कचरे में एक तिहाई की कमी

सकारात्मक तथ्य यह है कि तमाम सरकारी एक्शन के बाद सरकारी कचरे में एक तिहाई की कमी आयी है. हालांकि यह कमी भी अपेक्षित नहीं है. वर्ष 2018-19 में 68 हजार टन प्लास्टिक कचरे का उत्सर्जन होता था, उसकी तुलना में करीब 25 हजार टन प्लास्टिक कचरा कम होने का दावा किया जा रहा है.

पूरे प्रदेश में हो रहा 43 हजार टन से अधिक प्लास्टिक कचरा

बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ अशोक कुमार घोष ने कहा कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड रेग्यूलेटिंग एजेंसी है. एक्शन दूसरे विभागों को लेना है. हम विभागों में समन्वय बनाकर एक्शन के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

हमारी पूरी कोशिश है कि प्लास्टिक पर पाबंदी को प्रभावी ढंग से लागू किया जाये. यह सच है कि प्लास्टिक पाबंदी की दिशा में अपेक्षित प्रगति नहीं हो सकी है. लिहाजा हाइकोर्ट ने जो सवाल उठाये जायज हैं. हम इस संदर्भ में जवाब देने जा रहे हैं.

Posted by Ashish Jha

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