बिहार राजनीतिक संकट के लिए भाजपा और राज्यपाल पर जदयू सहयोगी दलों ने साधा निशाना

पटना: जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली सरकार के 20 फरवरी के विश्वास मत से पहले एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए जदयू और उसके सहयोगी दलों ने बिहार में राजनीतिक अस्थिरता के लिए प्रदेश के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी और भाजपा पर निशाना साधा. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 15, 2015 4:45 PM

पटना: जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली सरकार के 20 फरवरी के विश्वास मत से पहले एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए जदयू और उसके सहयोगी दलों ने बिहार में राजनीतिक अस्थिरता के लिए प्रदेश के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी और भाजपा पर निशाना साधा.

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ बिहार को संकट और राजनीतिक अस्थिरता में डाला गया है और राज्यपाल ने भाजपा की शह पर मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को विश्वास मत हासिल करने के लिए अधिक समय दिया.’’ उन्होंने कहा,‘‘ मुख्यमंत्री की ओर से एक के बाद एक लोकलुभावन घोषणाएं किये जाने से बिहार जबर्दस्त वित्तीय अराजकता की स्थिति में पहुंच गया है, जिसका सरकारी खजाने पर गंभीर वित्तीय प्रभाव पडा है.
सिंह ने राज्य की राजनीतिक स्थिति के लिए राज्यपाल पर भी निशाना साधा. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा के मांझी गैरजिम्मेदाराना तरीके से लोकलुभावन घोषणाएं कर रहे हैं, जबकि वह जानते हैं कि वह इतने लंबे समय तक सत्ता में नहीं रहेंगे कि इन योजनाओं को लागू कर सकें. उन्होंने राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मुख्यमंत्री को विश्वास मत हासिल करने तक ऐसी घोषणएं करने से रोकने को कहा.
राज्यपाल ने मांझी को विश्वास मत प्राप्त करने के लिए 20 फरवरी तक का समय देने के फैसले का बचाव किया और जदयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार पर चुटकी लेते हुए सत्ता के लिए हताश होने की बात कही थी.सिंह ने आरोप लगाया कि संवैधानिक पद पर होने के बावजूद त्रिपाठी राजनीतिक बयान दे रहे हैं.
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, ‘‘त्रिपाठी बिहार के भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी की भाषा बोल रहे हैं और एक राज्यपाल को उच्च संवैधानिक पद पर रहते हुए ऐसे राजनीतिक बयानों से बचना चाहिए.’’ राजद की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने मुख्यमंत्री पद नहीं छोडने के लिए मांझी पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी ने पिछले सप्ताह उनसे ऐसा करने को कहा था. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यपाल उनकी सरकार को बढावा दे रहे हैं जबकि वह इस तथ्य को जानते हैं कि उनके (मांझी के) पास संख्याबल नहीं है. बिहार को वित्तीय अराजकता में झोंकने का आरोप लगाते हुए पूर्वे ने संवादाताओं से कहा कि अल्पमत में होने के बावजूद उनकी (मांझी की) सरकार के लोकलुभावन घोषणा करने से राज्य के खजाने पर 50 हजार करोड रुपये का बोझ पडेगा.

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