मांझी सरकार के समर्थन में आयी भाजपा, कल औपचारिक घोषणा संभव

पटना:जीतन राम मांझी के लिए बडी राहत की खबर है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भाजपा ने जीतन राम मांझी सरकार को समर्थन देने पर सहमति जता दी है. कल इसकी औपचारिक घोषणा की जा सकती है. गौरतलब है कि भाजपा के बिहार में 87 विधायक हैं और ज्यादातर विधायक मांझी को समर्थन देने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 18, 2015 6:30 PM

पटना:जीतन राम मांझी के लिए बडी राहत की खबर है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भाजपा ने जीतन राम मांझी सरकार को समर्थन देने पर सहमति जता दी है. कल इसकी औपचारिक घोषणा की जा सकती है. गौरतलब है कि भाजपा के बिहार में 87 विधायक हैं और ज्यादातर विधायक मांझी को समर्थन देने के पक्ष में हैं. ऐसे में मांझी सरकार के लिए 20 तारीख को बहुमत साबित कर लेने की उम्मीदें बढ गयी है.

इसके पहले पटना उच्च न्यायालय ने अपने पूर्व में दिये गये आदेश में आज सुधार करते हुए जीतनराम मांझी सरकार को निर्णय लेने की अनुमति दे दी, लेकिन उस पर अमल 21 फरवरी तक स्थगित रखने का निर्देश दिया. मुख्य न्यायधीश एल नरसिंहा रेड्डी और न्यायमूर्ति विकास जैन की खंडपीठ ने बिहार विधान परिषद में जदयू के सदस्य नीरज कुमार की जनहित याचिका पर आज यह आदेश दिया.

गौरतलब है कि गत 16 फरवरी को उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति इकबाल अहमद अंसारी और न्यायमूर्ति समरेंद्र प्रताप सिंह ने मांझी सरकार को आदेश दिया था कि वह दैनिक मामलों से इतर ऐसा कोई फैसला न लें जिनके आर्थिक परिणाम हों.जदयू द्वारा नीतीश कुमार को विधायक दल का नया नेता चुने जाने के बाद राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने मांझी को 20 फरवरी को विधानसभा में बहुमत साबित करने का आदेश दिया है.

इस मामले में मुख्यमंत्री मांझी के अलावा तीन अन्य प्रदेश के मुख्य सचिव, राज्यपाल के प्रधान सचिव और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को प्रतिवादी बनाया गया था.नीरज के अधिवक्ता तथा प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता पीके शाही ने अल्पमत वाली मांझी सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लिए जाने की ओर न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कराया था.

शाही ने अदालत को बताया था कि मांझी मंत्रिमंडल ने 70 लाख रुपये तक के ठेके में अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदाय के ठेकेदारों को प्राथमिकता देने, मुफ्त पोशाक, साइकिल योजना के लिए छात्र-छात्राओं की उपस्थिति सामान्य वर्ग के लिए 75 प्रतिशत से घटाकर 60 फीसद एवं आरक्षित वर्ग के लिए 55 प्रतिशत करने तथा पांच एकड भूमि वाले किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली देने का निर्णय लिया.

उन्होंने अपनी दलील में उत्तर प्रदेश में जगदम्बिका पाल सरकार को लेकर उच्चतम न्यायालय के निर्णय का भी हवाला दिया था.राज्य सरकार के वकील वरुण सिन्हा ने दलील दी कि नीरज कुमार की याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है.

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