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जदयू-राजद के बीच कलह के कारण नीतीश ने विश्वासमत हासिल करने के लिए अधिक समय लिया : भाजपा

पटना: भाजपा ने आज दावा किया कि बिहार के नए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा विश्वास मत हासिल करने के लिए अधिक समय लेने का कारण जदयू-राजद के बीच का कलह है. भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में दावा किया, ‘‘अपनी पुत्री की शादी का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 23, 2015 9:12 PM
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पटना: भाजपा ने आज दावा किया कि बिहार के नए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा विश्वास मत हासिल करने के लिए अधिक समय लेने का कारण जदयू-राजद के बीच का कलह है. भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में दावा किया, ‘‘अपनी पुत्री की शादी का बहाना बनाकर राजद प्रमुख लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों के कल शपथ ग्रहण समारोह में भाग नहीं लिया.

यह दोनों :जदयू-राजद सहयोगी दलों के बीच कलह का साक्ष्य है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पिछले वर्ष नीतीश के उत्तराधिकारी जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री पद का शपथ ग्रहण करने के तीन दिनों के बाद विश्वासमत हासिल किया था, वर्ष 2010 में नीतीश ने पांच दिन में ऐसा किसा लेकिन इसबार वह 16 मार्च से पहले (शपथ ग्रहण के तीन सप्ताह से अधिक समय) ऐसा करने जा रहे हैं.’’

सुशील ने कहा, यदि नीतीश के पास बहुमत है तो उन्हें तुरंत विश्वासमत हासिल करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘आश्चर्य की बात है कि राजद प्रमुख राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के समक्ष 130 विधायकों के परेड के बाद से बिहार मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं.’’ उन्होंने दावा किया कि इन दोनों नेताओं के बीच विश्वास की कमी के कारण ही नीतीश ने विश्वासमत के बाद मंत्रिमंडल विस्तार करने का निर्णय लिया है.

बिहार विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष सुशील ने आरोप लगाया, ‘‘राज्यपाल का अभिभाषण पढे जाने का दिन तय नहीं किया गया है. बिहार विधानमंडल का बजट सत्र शीध्र नहीं बुलाया गया जबकि प्रदेश की पिछली मांझी सरकारे ने इसके लिए तैयारी कर चुकी थी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें नीतीश और मांझी सरकार में कोई अंतर नजर नहीं आता क्योंकि नए मंत्रिमंडल में वही पुराने चेहरे मौजूद हैं.’’
सुशील ने नीतीश के पिछले लोकसभा चुनाव में जदयू की हार की नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद त्यागने के लिए मांफी मांगने की आलोचना करते हुए कहा कि नीतीश को इस बात का जवाब देना चाहिए कि राजद और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर एक अल्पमत सरकार चलाने से जनता खुश है या नाखुश.
उन्होंने कहा कि नीतीश का उनके मुख्यमंत्री पद त्यागने के बाद पिछले नौ महीनों के दौरान सुशासन में क्षरण की बात स्वीकार किए जाने के साथ उन्हें राजग के साथ नाता तोडने के बाद प्रदेश में गिरी विधि व्यवस्था और विकास कार्य रुक जाने की जिम्मेवारी लेनी चाहिए. सुशील ने आरोप लगाया कि राजद और कांग्रेस की बैसाखी पर टिकी नीतीश सरकार अगले छह महीनों में बेहतर शासन नहीं दे सकती है.

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