बक्सर. बिहार के बक्सर जिले में कोरोना वायरस खौफ घर-घर देखा जा रहा है. बिहार के कई शहरों में लाॅक डाउन की घोषणा कर दी गई है. वहीं, महाराष्ट्र के चार शहरों में लॉक डाउन की घोषणा होने के बाद वहां रहने वाले प्रवासी बक्सर के लिये दो स्पेशल ट्रेन रविवार की सुबह बक्सर स्टेशन पहुंची. बक्सर स्टेशन पहुंची 01101 और 01499 पुणे स्पेशल ट्रेन में पांच हजार यात्री सवार थे, जिसमें बक्सर स्टेशन पर 01101 स्पेशल ट्रेन से 46 यात्री उतरे, जिसमें चार संदिग्ध यात्रियों को बक्सर सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहीं 01499 स्पेशल ट्रेन से 310 यात्री उतरे. स्पेशल ट्रेन से उतरे तीन संदिग्ध यात्रियों की तबीयत को देखते हुए प्रशासन ने उन्हें सदर अस्पताल में भर्ती कराया. सभी का इलाज चल रहा है. इस ट्रेन के बक्सर पहुंचते ही स्टेशन पर पहले से तैनात रेलवे, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस कर्मचारियों की मदद से सभी यात्रियों को जांच के लिए फाउडेंशन, विश्वामित्र होटल और डीएवी स्कूल ले जाया गया है.
डीएवी स्कूल में सथी यात्रियों की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम मौजूद थी. जो एक-एक कर सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग की. स्क्रीनिंग करने के बाद जहां संदिग्धों को जांच के लिए रोके जाने की व्यवस्था है. वहीं जो यात्री जांच के दौरान संदिग्ध नहीं पाये जायेंगे. उनको रेलवे फाउडेंशन स्कूल और डीएवी स्कूल से घर भेज दिया जायेगा. ट्रेन के आने से कई घंटे पहले से ही बक्सर स्टेशन पर डीएम अमन समीर, एसपी उपेंद्रनाथ वर्मा, उपविकास आयुक्त अरविंद कुमार, सदर एसडीपीओ सतीश कुमार और एसडीएम केके उपाध्याय समेत रेलवे के कई वरीय अधिकारी मौजूद थे.
दो स्पेशल ट्रेनों के आगमन को लेकर डीएम अमन समीर और एसपी उपेंद्रनाथ वर्मा पूरे मामले को लेकर निरीक्षण कर रहे थे. डीएम अमन समीर और एसपी उपेंद्रनाथ वर्मा रविवार के दिन दोनों ट्रेनों के बक्सर पहुंचते ही सभी यात्रियों को जागरूक करते नजर आये. साथ ही यात्रियों से सहयोग करने की अपील की. वहीं कई यात्रियों ने डीएम और एसपी से अपने कहानी बतायी. साथ ही खाना की भी मांग की. वही सदर एसडीओ माइक से एलाउंस कर रेल पोर्टिको को खाली करने की घोषणा कर रहे थे.
यात्रियों ने कहा-अगर अपने राज्य में मिलती नौकरी तो क्यों जाते बाहर
स्पेशल ट्रेन में यात्रा करने वाले यात्रियों ने मीडिया को बताया कि आज कोरोना ने पूरे देश में दहशत मचा रखा है. अगर हमारे राज्य में मजदूरों को नौकरियां मिलती तो लोग क्यों बाहर जाते. आज बिहार में एक भी कोरोना का मरीज नहीं मिलता, लेकिन अपने पेट के लिए बाहर कमाने गये थे. कोरोना के प्रकोप के चलते महाराष्ट्र में काम करने वाले मजदूरों की स्थिति काफी दयनीय है. किसी तरह से ट्रेन के सहारे अपने घर लौट रहे हैं.