पटना: अब देश के हर बड़े शहरों के लिए पटना से विमान सेवा की जरूरत महसूस की जाने लगी है. ऐसा बिहार के बदलते आर्थिक माहौल के कारण हो रहा है. पटना एयरपोर्ट से दूसरे शहरों में उड़ान भरनेवाले यात्रियों की तादाद में हर साल इजाफा हो रहा है. पिछले चार साल में इनकी संख्या लगभग तीन गुना तक बढ़ी है. बावजूद अब तक देश के कई बड़े एयरपोर्ट से पटना का सीधा संपर्क नहीं हो सका है. फिलहाल पटना के लोकनायक जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से मात्र चार शहर नयी दिल्ली, कोलकाता,रांची और लखनऊ के लिए ही सीधी उड़ान सेवा है. मुंबई और बेंगलुरु के लिए वाया उड़ान की सुविधा है. इसके अलावा गुवाहाटी, अहमदाबाद,जयपुर, हैदराबाद,चेन्नई,पुणो व इंदौर जैसे शहरों के लिए आज भी हवाई यात्री या तो कनेक्टिंग फ्लाइट का सहारा लेते हैं या फिर मजबूरी में ट्रेन की एसी बोगियों में सफर करते हैं.
जगह की कमी बनी बाधक
पटना एयरपोर्ट से बड़े शहरों के लिए फ्लाइट नहीं होने का सबसे बड़ा कारण जगह की कमी है. सामान्य तौर पर पटना एयरपोर्ट पर सात-आठ फ्लाइट की ही सुविधा है, लेकिन पंद्रह फ्लाइट हर दिन उड़ान भर रहे हैं. एयरपोर्ट अधिकारियों के मुताबिक अगर किसी समय तीन फ्लाइट एक साथ आ जाये तो बड़ी समस्या आ सकती है. राज्य सरकार ने एयरपोर्ट की बगल में पड़ी एसटीएफ की छह एकड़ जमीन एयरपोर्ट ऑथोरिटी को मुहैया करायी है, लेकिन एवज में 115 करोड़ की राशि मांगी गयी है. हालांकि यह जमीन मिलने से भी रनवे की समस्या नहीं सुधरेगी. सिर्फ एक-दो फ्लाइट की पार्किग की सुविधा बढ़ सकती है. राशि को लेकर भी एयरपोर्ट ऑथोरिटी को आपत्ति है. उनके मुताबिक भुवनेश्वर व रायपुर सहित कई शहरों में राज्य सरकार ने अपने स्तर से एयरपोर्ट प्रशासन को जगह मुहैया करायी है.
आधुनिकीकरण की योजना अधूरी
करीब दो साल पहले ही पटना सहित 35 एयरपोर्ट के आधुनिकीकरण को लेकर निर्णय लिया गया था. इनमें से अधिकतर एयरपोर्ट का आधुनिकीकरण पूरा हो गया, लेकिन जगह कीकमी के कारण पटना एयरपोर्ट में अधिक बदलाव नहीं आ सका. उपलब्ध संसाधन में ही यात्री सुविधाओं को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. पटना एयरपोर्ट भवन करीब 40 साल पुराना है. इसके मौलिक स्वरूप में अधिक बदलाव नहीं किया जा सकता है.