बिहार सरकार 2023-24 में अपने कुल बजट आकार 2.61 लाख करोड़ रुपये में से महिलाओं के लिए चलायी जा रही योजनाओं पर 37,949 करोड़ रुपये खर्च करेगी. बाल बजट पर भी 46,066 करोड़ रुपये खर्च होंगे. बुधवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बाल बजट, जेंडर बजट और परिणाम बजट पेश किया. इस दौरान वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जेंडर बजट में सरकार संसाधनों का आवंटन इस प्रकार करती है कि महिलाओं को भी पुरुषों के समान विकास का लाभ मिल सके.
सरकार की स्पष्ट सोच है कि महिलाओं की आर्थिक आजादी सुनिश्चित किए बिना उनके सशक्तीकरण का लक्ष्य तेज गति से प्राप्त नहीं किया जा सकता. इसको ध्यान में रखते हुये साल-दर-साल महिलाओं पर खर्च होने वाली योजनाओं की राशि जेंडर बजट के माध्यम से आवंटन बढ़ायी जा रही है. 2023-24 के कुल बजट 2.61 लाख करोड़ में से 37949 करोड़ महिलाओं पर व्यय की जाने वाली योजनाओं के लिए आवंटित किया गया है. यह पिछले साल से लगभग 1200 करोड़ अधिक है. यानी राज्य के कुल बजट का 14.5% महिलाओं पर व्यय होगा. राज्य के बजट में बच्चों को हिस्सेदारी 46066 करोड़ है, जो पिछले साल से 1100 करोड़ अधिक है.
जेंडर बजट में महिलाओं से संबंधित 20 विभागों को शामिल किया गया है. जेंडर बजट की शुरुआत 2008-09 से हुई. तब इसमें 10 विभाग शामिल थे. जेंडर बजट के तहत विभागों को दी जाने वाली राशि में से 15 प्रतिशत अलग से केवल महिलाओं के विकास एवं उनके कल्याण पर खर्च करने को सुरक्षित कर दिया जाता है.
बिहार में बाल बजटिंग प्रक्रिया की शुरुआत 2013-14 से हुई है. इस बजट में मुख्य रूप से बाल विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और भागीदारी के मद में राशि खर्च किये जायेंगे. 2013-14 से 2021-22 के दौरान बाल बजट में 21 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. यह 7826 करोड़ से बढ़कर 41,453 करोड़ हो गया है. 2023-24 के बजट में बढ़कर 46,066 करोड़ आवंटित किया गया है.
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बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी की बरना गांगुली ने कहा कि जेंडर बजट से स्पष्ट होता कि महिला विकास सरकार के फोकस में है. इससे जेंडर आधारित योजनाओं पर होने वाली खर्च को ट्रैकिंग करने में भी सुविधा होती है. महिलाओं पर होने वाली खर्च में भी पारदर्शित आती है.