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भूकंप : 15 से 40 हजार रुपये चुकाकर नेपाल से भारत लौट रहे हैं लोग

रक्सौल : रविवार की देर रात से नेपाल में फंसे भारतीयों की वतन वापसी शुरू हो गयी थी और सोमवार की शाम तक लगभग दस हजार लोग रक्सौल पहुंच चुके थे. हालांकि अब भी नेपाल में लाखों लोग देश वापसी के इंतजार में हैं, लेकिन उन्हें वाहन नहीं मिल रहा है. मुख्यपथ पर थी खचाखच […]

रक्सौल : रविवार की देर रात से नेपाल में फंसे भारतीयों की वतन वापसी शुरू हो गयी थी और सोमवार की शाम तक लगभग दस हजार लोग रक्सौल पहुंच चुके थे. हालांकि अब भी नेपाल में लाखों लोग देश वापसी के इंतजार में हैं, लेकिन उन्हें वाहन
नहीं मिल रहा है.

मुख्यपथ पर थी खचाखच भीड़
नेपाल सरकार की मदद से नेपाली बसों से रविवार को रात के 12 बजे के आसपास भारतीय सीमा के पास
पहुंचाया गया. जहां से एसएसबी अपने बसों से लोगों को रक्सौल लायी. सोमवार की सुबह से ही लोग जैसे-तैसे निजी वाहनों से नेपाल पहुंच रहे थे और लगभग 12 बजे तक नेपाल से आने वाले लोगों से मुख्य पथ खचाखच भर गया था. ग्यारह बजे से बॉर्डर से 140 किलोमीटर दूर मुगलिम में एक बार फिर से सड़क बाधित होने के कारण काठमांडू से आने वाले वाहनों की लंबी कतार लग गयी थी. दिन के तीन बजे से सड़क को फिर से खोला गया. इसको लेकर वाहनों का जत्था देर रात तक रक्सौल पहुंचने की उम्मीद है.
रास्ते में फंसी हैं तीन सौ से अधिक गाड़ियां
नेपाल प्रशासन की मानंे तो मुगलिम में करीब तीन सौ से अधिक वाहन काठमांडू से वीरगंज आने के क्रम में
फंसे हैं. वहीं बिहार सरकार द्वारा सोमवार की सुबह पोखरा के लिए भेजे गये दस बसें मुगलिम में ही फंसी हुई हैं. अनुमान है कि बसें मंगलवार की सुबह तक पोखरा पहंुच सकेंगी. जबकि 35 बसेंजो सोमवार की शाम को काठमांडू के लिए भेजी गयी है, उसके भी मंगलवार की सुबह पहुंचने की संभावना है. काठमांडू से रक्सौल पहंुचने वाले यात्रियों की माने तो काठमांडू के कलंकी में (जहां से वीरगंज के लिएबस मिलती है) रात के दो बजे पचास हजार से अधिक लोग वाहन के लिए खड़े थे. रक्सौल पहुंचने वाले परमेश साह, राजू कुमार आदि ने बताया कि काठमांडू से वीरगंज के लिए वे लोग क्रमश: 18 व 35 हजार रुपये में सूमो भाड़ा करके लौटे हैं. हालांकि बिहार सरकार की 35 बसों के पहुंचने के बाद व काठमांडू सेवीरगंज तक की सड़क ठीक होने से मंगलवार तक अधिकांश लोगों को निकाला जा सकेगा. वहीं एसएसबी के सेनानायक राकेश सिन्हा ने बताया कि अब तक लगभग सात हजार लोगों को या तो शिविर में या उनके घर वापसी के लिए उन्हें बस, टे्रन पकड़वाया जा चुका है.
25 किमी पैदल चले तब मिली बस
बथवरिया (बगहा): बगहा एक प्रखंड के चंद्राहा रूपवलिया पंचायत के पांडेय टोला गांव के सद्दाम अंसारी, नौसाद अंसारी व आफताब अंसारी नेपाल के काठमांडू में मौत के मंजर को बेहद करीब से देख कर सोमवार की दोपहर अपने घर लौट आये. इन्हें अभी भी भरोसा नहीं हो रहा है कि कैसे इस आपदा से ये लोग बच गये. इनके नजर के सामने सैकड़ों जिंदगियां काल के गाल में समा गयीं, जिनमें कई इनके परिचित भीथे. ये तीन पिछले 10 वर्ष से काठमांडू में रह कर बढ़ईिगरी का काम करते हैं. तीनों के घर आने के बाद उनके परिजनों ने राहत की सांस ली.
मौत से साक्षात्कार का पहला दिन
अफताब ने बताया कारखाना में सभी साथी काम कर रहे थे. अचानक धरती के हिलने का एहसास हुआ. सद्दाम बोला, भागो रे भूकंप आया. हम तीनों साथी वहां से एक साथ भागे. कारखाने के अन्य मजदूर भीभागे थे. मैं पीछे मुड़ कर देख रहा था. लकड़ी का बना कारखाना गिर गया. कारखाने के निकट का पांच मंजिला मकान देखते हीं देखते ध्वस्त हो गया. कारखाने में लगभग 25 लोग काम कर रहे थे. सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया.
पार्क में गुजरी रात
मजदूरों ने बताया कि करीब दो किलोमीटर की दूरी पर एक पार्क है. उसी छोटे से पार्क में पहुंच कर बैठ गये. सभी भूख- प्यास से तड़प रहे थे. खाने- पीने का कोई दुकान नहीं था. रविवार को फिर तेज भूकंपआया. पार्क में भगदड़ मच गयी. उस भगदड़ में एक वृद्ध महिला और एक मासूम बच्चे की मौत हो गयी. पांच लोग बेहोश हो गये. हालांकि छोटे-छोटे झटके तो हर पांच-दस मिनट के बाद आ रहे हैं. वहां से किसी तरह हम एयरपोर्ट पहुंचे. जहां 20 हजार लोग लाइन लगी थी. ऐसा नहीं लग रहा था कि हम इस लाइन में पार कर पायेंगे. इंडिया जाने के लिए नाम लिखाया और फिर सोचा क्यों नहीं पैदल चलते हैं. हम तीनों वहां से पैदल चल दिये करीब 25 किलोमीटर पैदल चल कर बालाजी बस स्टैंड से बस मिली. सोमवार की सुबह 8 बजे त्रिवेणी पहुंचे.
वतन वापसी के लिए खुला कंट्रोल रूम
रक्सौल : राज्य सरकार की ओर से शहर के हजारीमल उच्च विद्यालय में एक कंट्रोल रूम व राहत शिविर खोला गया है, जो नेपाल में फंसे भारतीयों को नेपाल सरकार के साथ मिल कर वतन वापसी की मुकम्मल व्यवस्था करने में जुटा हुआ है.
लगे पंजीकरण स्टॉल
बिहार सरकार के राहत शिविर में सर्वप्रथम पहुंचने वाले लोगों का पंजीकरण किया जा रहा है. इसकेलिए लगाये गये स्टॉल पर करीब आधा दर्जन कर्मियों को तैनात किया गया है. जो लोगों का पंजीकरण कर उनके जरूरत के सामानों को मुहैया करा रहे हैं.
स्वास्थ्य शिविर में इलाज
शिविर में पीएचसी द्वारा पीड़ितों के इलाज के लिए सुमचित व्यवस्था की गयी थी. यहां आने वाले लोगों का इलाज डॉ शरतचंद्र शर्मा, डॉ उमेश चंद्र, डंकन अस्पताल की टीम,डॉ जीवन कुमार चौरसिया, डॉ पी के सिंह, डॉ आफताब आलम सहित अन्य चिकित्सक व चिकित्साकर्मी मौजूद थे.
महिलाओं के लिए राहत
भूकंप पीड़ित महिलाओं के लिए राहत शिविर में अलग से एक स्टॉल बनाया गया था. इसकी जिम्मेवारीबाल विकास परियोजना पदाधिकारी मीनाक्षी कुमारी को दी गयी थी.
जोगबनी नहीं पहुंचा एक भी पीड़ित
जिला प्रशासन ने भारत-नेपाल सीमा स्थित जोगबनी के महेश्वरी स्थित बालिका उच्च विद्यालय मेंराहत शिविर खोला है. हालांकि सोमवार की शाम तक एक भी पीड़ित न तो नेपाल से और न ही अररियाजिले से राहत शिविर में पहुंचा है.

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