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मुसहर समाज के दो बेटों को 42-42 लाख की छात्रवृत्ति, अशोका विश्वविद्यालय में करेंगे कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई

बिहार के दो महादलित विद्यार्थियों को 42-42 लाख की छात्रवृत्ति दी गयी है. पटना जिले के मसौढ़ी और जमसौत से आने वाले ये दोनों विद्यार्थी मुसहर जाति के हैं. यह छात्रवृत्ति की राशि अशोका विश्वविद्यालय ने दी है.

पटना. बिहार के दो महादलित विद्यार्थियों को 42-42 लाख की छात्रवृत्ति दी गयी है. पटना जिले के मसौढ़ी और जमसौत से आने वाले ये दोनों विद्यार्थी मुसहर जाति के हैं. यह छात्रवृत्ति की राशि अशोका विश्वविद्यालय ने दी है. इनमें से एक मसौढ़ी के गौतम कुमार और दूसरे अनोज कुमार हैं. दोनों के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं. इनका परिवार बीपीएल राशन कार्ड धारक है.

जानकारी के मुताबिक यह छात्रवृति गौतम और अनोज के चार साल की पढाई की पूरी लागत को कवर करेगी. ट्यूशन, निवास, किताबें और आपूर्ति, स्वास्थ्य बीमा और यात्रा खर्च आदि. इसके अतिरिक्त दोनों छात्रों को व्यक्तिगत खर्चों के लिए मासिक जेब खर्च भी मिलेगा. अशोका विश्वविद्यालय में गौतम कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल करेंगे, जबकि अनोज गणित में अपनी प्रतिभा को आगे ले जायेंगे.

दोनों अपने परिवार से कॉलेज जाने वाले पहले सदस्य होंगे. दोनों को राष्ट्रीय संगठन डेक्सटेरिटी ग्लोबल ने चयनित व प्रशिक्षित किया है. डेक्सटेरिटी ग्लोबल शैक्षणिक अवसरों व प्रशिक्षण के माध्यम से भारत और विश्व के लिए नेतृत्व की अगली पीढ़ी तैयार करने में कार्यरत है.

जाने-माने सामाजिक उद्यमी शरद सागर ने 2008 में इसकी स्थापना की. हाल ही में संगठन ने घोषणा की कि संगठन के बच्चों को इस वर्ष एशिया, अमेरिका और यूरोप के शीर्ष कॉलेजों में पढ़ने के लिए 21.93 करोड़ से अधिक की छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है.

गौतम ने कहा-अपने समुदाय की सेवा करूंगा

गौतम के पिता संजय मांझी मसौढ़ी में टोला सेवक व दिहाड़ी मज़दूर के रूप में काम करते हैं. उनकी मां लग्नी देवी एक गृहिणी हैं. छात्रवृति मिलने पर गौतम ने कहा- मैं अपने परिवार से कॉलेज जाने वाला पहला व्यक्ति बनूंगा. मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा है. मैं अपनी शिक्षा का उपयोग अपने समुदाय की सेवा करने में करूंगा.

अनोज ने कहा-परिवार की मेहनत को नहीं भूलूंगा

अनोज के पिता महेश मांझी जमसौत में दिहाड़ी मजदूर हैं. मां शांति देवी आंगनबाड़ी में खाना बनाती हैं. अनोज ने कहा “मेरे माता-पिता कभी स्कूल नहीं जा सके. मैं भी अपने पिता की तरह खेतों और निर्माण स्थलों पर काम करते रह सकता था. मैं अपने परिवार और समुदाय की कड़ी मेहनत और साहस को कभी नहीं भूलूंगा.

दोनों शोषित समाधान केंद्र के छात्र

डेक्सटेरिटी ग्लोबल के संस्थापक एवं सीइओ शरद विवेक सागर ने कहा कि साल 2013 में मेरा पहली बार गौतम और अनोज के स्कूल व समुदाय में जाना हुआ. दोनों शोषित समाधान केंद्र के छात्र हैं, जिसकी स्थापना पद्मश्री जेके सिन्हा ने की.

Posted by Ashish Jha

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