पटना. पटना एयरपोर्ट पर बेहद छोटे रनवे (महज सात हजार फुट) से विमानों को लैंडिंग में हाेने वाली परेशानी को कम करने के लिए तीन वर्ष पहले 720 मीटर लंबा एप्रोच लाइट और उसके साथ इंस्टूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आइएलएस) लगाने का निर्णय लिया गया था. इसमें 400 मीटर एयरपोर्ट परिसर और 320 मीटर पटना जू के भीतर एप्रोच लाइट लगायी जानी थी. लेकिन, अब तक महज 420 मीटर की दूरी में ही एप्रोच लाइट लगायी जा सकी है.
इसमें पटना एयरपोर्ट परिसर में रनवे के किनारे-किनारे 60-60 मीटर की दूरी पर लगायी गयी सात एप्रोच लाइट और पटेल गोलंबर के पास जू के भीतर लगभग 20 मीटर की दूरी पर रेलवे ट्रैक के किनारे लगायी गयी एक एप्रोच लाइट शामिल है. एप्रोच लाइट के 300 मीटर कम लगने की वजह से पटना एयरपोर्ट पर लैंडिंग में पायलट की परेशानी होती है और दिन की तुलना में रात में यह और भी अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि एप्रोच लाइट के सहारे ही रात में पायलट रनवे की स्थिति का अनुमान लगाता है.
720 मीटर एप्रोच लाइट के लग जाने और इंस्ट्रूमेंटल लैंडिंग सिस्टम के इंस्टॉलेशन से पटना एयरपोर्ट पर लैंड होने वाले विमानों के पायलटों को दूर से ही रनवे दिखने लगता और उसके अनुरूप वे अपने विमान को ग्लाइडिंग एंगल दे पाते. इससे न केवल पायलटों को लैंडिंग में सुविधा होती, बल्कि वह महज 700 मीटर की दृश्यता में विमानों को उतार पाते.
जाड़े में घने कोहरे और धुंध भरे मौसम में इससे लैंडिंग में विशेष सुविधा होती और फ्लाइट को कम दृश्यता के कारण रद्द या डायवर्ट करने की जरूरत नहीं पड़ती. लेकिन, महज 420 मीटर तक एप्रोच लाइट लगने से अभी यहां विमानों को उतारने के लिए कम-से-कम एक हजार मीटर की दृश्यता जरूरी है.
एप्रोच लाइट के विस्तार के लिए मीटिंग का दौर बीते तीन वर्षों से जारी है. जू प्रशासन के साथ एयरपोर्ट ऑथोरिटी की इस संबंध में कई बार बातचीत हो चुकी है और अगले माह एक और मीटिंग संभावित है. लेकिन, इन सबके बावजूद काम आगे नहीं बढ़ रहा है.
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