बिहार में जीवित्पुत्रिका व्रत त्योहार के दौरान अलग-अलग घटनाओं में नदियों और तालाबों में पवित्र स्नान करते समय 37 बच्चों समेत 43 लोगों की डूबने से मौत हो गई तथा तीन अन्य लापता हो गए. राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार को एक बयान में यह जानकारी दी। ये घटनाएं बुधवार को त्योहार के दौरान राज्य के 15 जिलों में हुईं. बता दें कि जीवित्पुत्रिका त्योहार के दौरान महिलाएं अपने बच्चों की कुशलता के लिए व्रत रखती हैं.
नहाने के दौरान हुए हादसे
सूबे के अलग-अलग जिलों में 37 बच्चों और 6 मां की नदी-पोखर में नहाने के दौरान डूबने से मौत हो गई. इनमें ज्यादातर पर्व के दौरान पवित्र स्नान के लिए नदी या तालाब गए थे और हादसे का शिकार हो गए. पूरे राज्य में 37 बच्चों और 7 महिलाओं समेत कुल 46 लोगों की मौत हुई है। वहीं, 3 लोगों का अब भी पता नहीं चल पाया हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर अब तक 8 मृतकों के परिजनों को मुआवजा के रूप में चार-चार लाख रुपए का नकद भुगतान भी कर दिया गया है.
मृतकों के परिजनों को 4 लाख के मुआवजे का ऐलान
आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से एसडीआरएफ और एनडीएफआर के जवान लगातार सर्च अभियान चला रहे हैं. मृतकों के परिजनों को अनुग्रह राशि के रूप में चार लाख की राशि प्रदान की जाएगी जो राज्य सरकार द्वारा ऐसे मामलों में मुआवजा के लिए स्वीकृत है. जितिया पर्व मातम में बदला, औरंगाबाद में डूबने से 8 बच्चों की मौत, छपरा और रोहतास में भी जानें गई.
औरंगाबाद में हुई सबसे ज्यादा मौते
सूचना के अनुसार अकेले औरंगाबाद जिले में ही आठ बच्चों की डूबने से मौत हुई है। औरंगाबाद के बरुना थाने के इताहट गांव में चार जबकि मदनपुर थाने के कुशाहा गांव में चार बच्चों की मौत हुई है। कैमूर जिले के भभुआ और मोहनिया थाने में सात बच्चे दुर्गावती नदी और तालाब में स्नान के दौरान डूबने से मरे हैं. पटना के बिहटा थाना इलाके के अमनाबाद गांव में चार बच्चों की मौत हुई है. सारण जिले के दाउदपुर, मांझी, तरैया और मढ़ौरा में दो बच्चों समेत पांच मरे हैं.