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वन रैंक-वन पेंशन कालाधन की तरह ही जुमला साबित हुआ – नीतीश कुमार
पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि चाहे वह पिछले लोकसभा चुनाव पूर्व कालाधन वापस लाने और किसानों को उनकी लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा जोडकर न्यूनतम समर्थन मूल्य दिए जाने की तरह वन रैंक, वन पेंशन दिए जाने का वादा जुमला साबित हो गया. जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम […]
पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि चाहे वह पिछले लोकसभा चुनाव पूर्व कालाधन वापस लाने और किसानों को उनकी लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा जोडकर न्यूनतम समर्थन मूल्य दिए जाने की तरह वन रैंक, वन पेंशन दिए जाने का वादा जुमला साबित हो गया.
जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम की समाप्ति के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान नीतीश ने कहा कि वन रैंक, वन पेंशन की घोषणा केंद्र की पिछली संप्रग सरकार ने घोषणा कर दी थी, उसका निर्णय ले लिया था.
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने वन रैंक-वन पेंशन की बात बहुत जोर-शोर से कही थी और जब उनके प्रधानमंत्री के उम्मीदवार (नरेंद्र मोदी) हरियाणा में पूर्व सैनिकों के सम्मेलन में भाग लिया था. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार का एक साल बीत जाने पर भी आज तक किसी न किसी बहाने वन रैंक, वन पेंशन की योजना लागू नहीं हो पाया है.
नीतीश ने कहा कि इस सरकार की 20 प्रतिशत अधिक कार्यावधि बीत चुकी है और अभी भी पूर्व सैनिकों को ढांढस बंधाया जा रहा है कि इंतजार कीजिए. आखिर ये जोर-शोर से जो यह प्रचार कर रहे थे उसका क्या मतलब था और बार-बार किसी विषय पर कहना कि हमने सोचा नहीं था कि इतना सरल है यह जटिल है.
यह इसबात को प्रमाणित करता है कि चुनाव के समय सिर्फ कालेधन का प्रश्न नहीं है लगभग सारी घोषणाओं के बारे में पहले से कुछ भी सोचा नहीं गया, यूहीं लोगों का वोट हासिल करने और उन्हें खुश करने के लिए सारी बातें कही गयीं जिसका नतीजा है कि न आजतक कालाधन आया और किसानों को उनकी लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा जोडकर न्यूनतम समर्थन मूल्य दिए जाने को लेकर की गयी घोषणा के साथ-साथ वन रैंक, वन पेंशन का वादा भी जुमला साबित हो गया और वे लोग ऐसा खुलेआम बोल रहे हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि साल भर बीतने के बाद भी हमारे भूतपूर्व सैनिकों को उनका न्यायोचित अधिकार नहीं मिला.
उन्होंने मांग की कि भूतपूर्व सैनिकों के साथ पारा मिलिटरी फोर्स को भी वन रैंक, वन पेंशन का लाभ मिलना चाहिये क्यांेकि उनका भी काम बहुत ही चुनौतीपूर्ण होता है.
नीतीश ने कहा कि वन रैंक, वन पेंशन को सीमित किए जाने बातें आयीं हैं जो कि नहीं होना चाहिए और कल प्रधानमंत्री जी ने मन की बात में वन रैंक और वन पेंशन मामले का जिक्र किया है. तो इतना समय बीत जाने के बाद भी लागू न होना यह कार्य दक्षता है. पूरे एक साल बीतने के बाद भी इसका लागू नहीं होने का क्या मतलब है. इसका मतलब है जो बातें चुनाव के दौरान कह दिया उसे पूरा करने की कोई वचनबद्धता नहीं है.
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से फिर से भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर जो अध्यादेश लाया गया वह इसबात को दर्शाता है कि यह सरकार तो जिद पर अड गयी है. चारों तरफ इतना विरोध हो रहा है और राज्यसभा में पास नहीं होने पर उसके लिए कमेटी बना दी गयी. ये इंतजार नहीं कर सकते थे?
नीतीश ने कहा कि यह दिखलाता है कि वे अपनी जिद पर अड़े हुए हैं. किसानों के हित की चिन्ता नहीं है. भले में सत्ता में बैठे लोगों के लिए न हो पर यह किसानों के साथ जमीन का प्रश्न उनके आस्तित्व, अधिकार, आजीविका से जुडा हुआ है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों से चुनाव के समय वादा किया था. कृषि पर लागत मूल्य के उपर पचास प्रतिशत जोडकर समर्थन मूल्य देंगे. वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं. किसानों के दिल को दुखाकर विकास की इमारत नहीं खडी की जा सकती है.
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